व्हाट्सएप के CEO WillCath cart ने हाल ही में ट्विटर पर एक लंबा थ्रेड पोस्ट साझा कर लिखा कि, NSO कंपनी जो पेगासस मालवेयर बनाती है, उसके ऊपर प्रतिबंध लगाने की सख्त जरूरत है। उन्होंने आगे लिखा, आज पूरी दुनिया को NSO जैसी संस्थाएं के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना चाहिए, क्योंकि पेगासस के होने से हमारा डेटा सुरक्षित नहीं है। CEO ने बताया कि, उसने साल 2019 में NSO के ऊपर डेटा चोरी करने के लिए मुकदमा भी किया था।
That's why we continue to defend end-to-end encryption so tirelessly. To those who have proposed weakening end-to-end encryption: deliberately weakening security will have terrifying consequences for us all.
— Will Cathcart (@wcathcart) July 18, 2021
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर व्हाट्सऐप को NSO और उसके द्वारा निर्मित मालवेयर पेगासस से क्या लेना-देना है। यह बताने से पहले हम आपको संक्षेप में पेगासस स्पाइवेयर के बारे में बताएंगे।
दरअसल, पेगासस स्पाइवेयर इजरायली साइबर इंटेलिजेंस फर्म NSO ग्रुप द्वारा बनाया गया है, जो निगरानी रखने का काम करता है। NSO ग्रुप का दावा है कि इस फर्म का काम इसी तरह के जासूसी सॉफ्टवेयर बनाना है और इन्हें अपराध और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने और लोगों के जीवन बचाने के एकमात्र उद्देश्य के लिए सरकारों की खुफिया एजेंसियों को बेचा जाता है। पेगासस एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो बिना सहमति के आपके फोन तक पहुंच हासिल करने और व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी इकट्ठा कर जासूसी करने वाले यूज़र को देने के लिए बनाया गया है।
पेगासस मोबाइल या उसमें पड़े एप्लिकेशन की सेक्युर्टी में कमी को ढूँढता है और जिसके बाद वह उस कमी के जरिये मोबाइल फोन में पड़ी जानकारी को खुफिया एजेंसियों तक पहुँचाता है। जब ऐसा होता है तो मोबाइल एप्लिकेशन को दुबारा से सेक्युर्टी को मजबूत बनाने में लाखों खर्ज करने पड़ते हैं। अगर देखा जाए तो व्हाट्सएप जैसी एप्लिकेशन को NSO जैसी कंपनियों की वजह से लाखों का नुकसान उठाना पड़ता है। इस प्रकरण में पेगासस व्हाट्सएप के गले की हड्डी बन गया है, जिसको न व्हाट्सएप खा सकता है और न ही निगल सकता है। ऐसे में व्हाट्सएप के पास एक ही चारा बचता है, और वह है कि हर हाल में NSO पर प्रतिबंध लगाना, ताकि व्हाट्सएप की विश्वसनीयता पर सवाल न उठे और लाखों रूपये बचाए जा सके।
इससे स्पष्ट होता है कि व्हाट्सएप के CEO अपने यूजर्स की सुरक्षा और गोपनियता बचाए रखने के लिए नहीं बल्कि अपने लाखों – करोड़ रूपये और अपनी साख बचाने के लिए NSO के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
अब हम इस प्रकरण को भारत के परिपेक्ष में समझेंगे। दरअसल, भारत सरकार और व्हाट्सएप के बीच कानूनी जंग चल रही है। यह मामला डेटा स्टोरेज और डेटा सेक्युर्टी को लेकर है। आपको बता दें कि, भारत सरकार पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल लेकर आ रही है। यह बिल कहता है कि भारतीय नागरिकों का डेटा भारत में ही रखा जाएगा, उसे देश के बाहर ले जाने की अनुमति नहीं मिलेगी। व्हाट्सएप ने भारत सरकार के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका डाली है और फिलहाल यह मामला कोर्ट में चल रहा है।
अगर व्हाट्सएप को यह केस जीतना है तो उसे कोर्ट मे यह साबित करना होगा कि भारतीय नागरिकों का डेटा भारत सरकार के पास सुरक्षित नहीं है। ऐसे में कोर्ट व्हाट्सएप पर भरोसा करके उसे डेटा स्टोरेज के लिए अनुमति दे सकता है।
पेगासस मामले में विपक्षी पार्टियां और वामपंथी मीडिया यह साबित करने में जुटी हुई है कि भारत सरकार गैर- कानूनी तरीके से भारत के नागरिकों के फोन में ताक-झाक एवं जासूसी करती है। कुल मिलाकर विपक्ष और वामपंथी मीडिया का तर्क है कि भारत सरकार के पास डेटा सुरक्षित नहीं है, सरकार गोपनियता का हनन करती है। अब ज़रा सोचिए अगर विपक्ष और लिबरल मीडिया यह साबित करने में सफल हो जाती है तो किसका सबसे ज्यादा लाभ होगा, व्हाट्सएप का।
अब सवाल उठता है व्हाट्सएप और विपक्षी दलों का क्या ताल्लुक है। साल 2020 में जब व्हाट्सएप भारत में UPI पेमेंट सिस्टम लाने वाला था, तब भारत में उसकी आलोचना हुई थी। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी और कहा गया था कि, व्हाट्सएप सुरक्षित नहीं है। व्हाट्सएप ने अपने वकील के तौर पर कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल को नियुक्त किया था। बता दें कि व्हाट्सएप को कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने जीत दिलवाई थी और आज भारत में व्हाट्सएप UPI पेमेंट सिस्टम लागू हो चुका है। अथार्त, कांग्रेस नेता के वकालत करने के बाद व्हाट्सएप को जीत मिली थी।
अगर हम देखें तो व्हाट्सएप पेगासस मामले में एक तीर से दो निशाने लगा रहा है। पहला तो यह कि वैश्विक स्तर पर NSO के ऊपर प्रतिबंध लगाने की मुहिम को नई गति मिलेगी। दुसरा यह कि, भारत में मोदी सरकार के ऊपर डेटा जासूसी के आरोप लगने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट में व्हाट्सएप का पलड़ा भारी हो जाएगा।
हाल ही में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पेगासस लिस्ट का खुलासा करने के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। इसका मतलब यह है कि पेगासस लिस्ट मीडिया में कहाँ से आई है, उसका कोई स्रोत नहीं है। वहीं दूसरी तरफ NSO ने भी पेगासस लिस्ट की कहानी को मनगढ़न बता कर उसका खंडन किया है। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पेगासस लिस्ट को जारी नहीं किया था और NSO का इस मसले से कोई लेना-देना नहीं है।
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अंततः इस मामले में सबसे ज्यादा लाभ व्हाट्सएप और भारत के विपक्षी पार्टियों को है। ऐसे में अगर हम सभी अहम बिन्दुओं को मिलाकर देखें तो यह निष्कर्ष निकलता है कि, व्हाट्सएप को वैश्विक स्तर पर NSO से बदला लेना चाहता है और भारत में केंद्र सरकार को हारना चाहता है, जिसके लिए वो देश के कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का सहारा ले रहा है।