चूना पत्थर का खदान बना संगमरमर की खदान : कैसे राजस्थान के खनन विभाग ने पहुंचाया राज्य को 1000 करोड़ का नुकसान

राजस्थान खनन घोटाला

कांग्रेस और घोटालों का गहरा नाता रहा है। चाहे केंद्र में हो या राज्य सरकार में, कांग्रेस भ्रष्टाचार करने का एक भी अवसर अपने हाथ से जाने नहीं देती। कोयला घोटाले से लेकर 2 जी घोटाला तक कांग्रेस की हर सरकार को देखें तो हर बार घोटालों की लिस्ट तैयार रही है। इसी प्रकार राजस्थान में दिन प्रतिदिन कांग्रेस के भ्रष्ट कारनामों का खुलासा हो रहा है। अब इसी लिस्ट में 1000 करोड़ रुपये खनन विभाग का संगमरमर घोटाला भी जुड़ गया है। चूने के पत्थर को संगमरमर बनाकर राजस्थान सरकार के खनन विभाग के अफसरों की मिलीभगत से बेच दिया गया और राजस्थान को 1000 करोड़ रुपये का नुकसान भी हो गया।

राजस्थान खनन घोटाला को सामने लाने में भी दैनिक भास्कर अखबार की अहम भूमिका रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अंदेशा लगाया जा रहा है कि इस घोटाले से राज्य को लगभग 1000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। लाइमस्टोन यानि चूना पत्थर के खदानों को संगमरमर यानि मार्बल की श्रेणी में डाल कर ‘RDSA माइनिंग’ को आवंटित कर दिया गया। लाइमस्टोन एक अहम खनिज की श्रेणी में आता है, जिसकी नीलामी केंद्र द्वारा तय नियमों के अनुसार होती है।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट  के अनुसार, राजस्थान के खनन विभाग ने प्रतापगढ़ के पिपलखूंट तहसील के दांता में 74.249 हेक्टेयर और केला-मेला में 10.4162 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले लाइमस्टोन (सीमेंट बनाने में इसका उपयोग होता है) को मार्बल (संगमरमर) दिखाया गया। मार्बल की बिक्री एवं आवंटन में राज्य की ही भूमिका होती है। इस तरह श्रेणी बदल कर दोनों ब्लॉक का आवंटन किया गया। खनन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल और खनन निदेशक केबी पांड्या इस मामले में निशाने पर हैं।

रिपोर्ट के एक अंश अनुसार, “खनन विभाग ने प्रतापगढ़ के पिपलखूंट तहसील के दांता में 74.249 हेक्टेयर और केला-मेला में 10.4162 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लाइमस्टोन यानी सीमेंट की श्रेणी बदलकर मार्बल कर दी गई। इससे फर्क ये पड़ा कि लाइम स्टोन मेजर मिनरल में आता है, जिसकी नीलामी केंद्र के नियमों के अनुसार करने का प्रावधान है। जबकि मार्बल माइनर मिनरल में आता है और इसकी नीलामी राज्य सरकार के नियमों से की जाती है।

श्रेणी बदलकर विभाग ने मार्बल के लिए दोनों ब्लॉक आरडीएसए माइनिंग को आवंटित कर दिए। इसे लेकर सीधे तौर पर खनन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल और खान निदेशक केबी पांड्या की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।”

इस पूरे प्रकरण में 1000 करोड़ रुपये का नुकसान राज्य को कैसे होगा? इसका जवाब भी दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में दिया है। रिपोर्ट के अंश अनुसार,

“इन दोनों ब्लॉक में 11.4 करोड़ टन लाइमस्टोन होने का अनुमान है। चूंकि लाइम स्टोन मेजर मिनरल है। ऐसे में इनके लिए 419 करोड़ रुपये से बोली शुरू होती, जो करीब एक से डेढ़ हजार करोड़ रुपये तक जाती है। मगर मार्बल की श्रेणी में आते ही सिर्फ 4-5 करोड़ रुपये ही जमा करने पड़ते हैं। डेढ़ हजार करोड़ की बोली के अनुमान का आधार ये है कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में नागौर में 250-250 हेक्टेयर के माइंस ब्लॉक 5-6 हजार करोड़ रुपये में नीलाम हुए थे। चूंकि प्रतापगढ़ के दोनों ब्लॉक करीब 85 हेक्टेयर के हैं, ऐसे में इनकी बोली हजार-डेढ़ हजार करोड़ रु. तक जाती।”

लेकिन, जिस राजस्थान में मार्बल माइंस से 25-30% की ही रिकवरी होती है, वहां इस तरह का आँकड़ा देना संदेहास्पद है। नियम कहता है कि जिस खनिज के लिए नीलामी की गई है, उसकी जगह अगर दूसरा खनिज निकलता है तो उक्त माइंस को उसी खनिज की श्रेणी में रखा जाएगा, जो निकाला गया है। अधिकारी इसे पारदर्शी और नियमानुसार की गई प्रक्रिया बता रहे हैं, और वे किसी भी प्रकार के खनन घोटाला से इनकार कर रहे हैं।

इससे पहले भी राजस्थान से एक के बाद एक ताबड़तोड़ घोटालों की खबरें सामने आई हैं। चाहे वो कोरोना में जीवनरक्षक दवाइयों के आवंटन को लेकर हो, इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर हो, या फिर कुछ और। दैनिक भास्कर पर तो राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री ने मुकदमा करने तक की धमकी दे दी थी, लेकिन दैनिक भास्कर ने उलटे गहलोत सरकार से जुड़े एक और खनन घोटाला की पोल खोल दी, और भी गहलोत सरकार की पोल खोलने में लगी हुई है।

Exit mobile version