शशि थरूर के बचाव में उतरीं महुआ मोइत्रा, निशिकांत दुबे को कहा बिहारी गुंडा

बिहारी गुंडा

PC: Indiablooms

बिहार का ऐतिहासिक नाम मगध है। बिहार की राजधानी पटना का ऐतिहासिक नाम पाटलीपुत्र है। प्राचीन काल में बिहार विशाल साम्राज्यों, शिक्षा केन्द्रों एवं संस्कृति का गढ़ था। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ। बिहार के क्षेत्र जैसे-मगध, मिथिला और अन्य धार्मिक ग्रंथों और प्राचीन भारत के महाकाव्यों में वर्णित हैं। इतिहास में बिहार का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है, इसके बावजूद आज अन्य राज्यों के नागरिकों के मन में बिहार के प्रति भेद- भाव देखने को मिलता है। भारत की राजनीतिक प्रणाली का यह कर्तव्य था कि, नागरिकों के मन में पैदा हो रही दरार को पाटे परंतु वो खुद इसे और गहरा करन का एक मौका नहीं छोड़ रहे।

इसके विपरीत पश्चिम बंगाल की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी तृणमूल कांग्रेस बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच दरार को खाई बनाने की कवयाद कर रही है। दरअसल, बात यह है कि, तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने हाल ही में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे को “ बिहारी गुंडा” कहा है। दुबे ने आरोप लगाया है कि आईटी कमेटी की बैठक में महुआ मोइत्रा ने उन्हें तीन बार बिहारी गुंडा कहा।

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बीजेपी सांसद ने ट्वीट कर टीएमसी और महुआ मोइत्रा पर निशाना साधते हुए लिखा कि, “तृणमूल कांग्रेस ने बिहारी गुंडा शब्द का प्रयोग कर बिहार के साथ साथ पूरे हिन्दी भाषी लोगों को गाली दी है, ममता बनर्जी जी आपकी सांसद महुआ मोइत्रा की इस गाली ने उत्तर भारतीय व ख़ासकर हिंदी भाषी लोगों के प्रति आपकी पार्टी की नफ़रत को देश के सामने लाया है।”

निशिकांत दुबे ने ट्वीट कर आगे लिखा कि, “लोकसभा स्पीकर जी अपने 13 साल के संसदीय जीवन में पहली बार गाली सुना, तृणमूल कांग्रेस की सदस्य महुआ मोइत्रा द्वारा बिहारी गुंडा आईटी कमिटि के मीटिंग में तीन बार बोला गया। शशि थरूर जी, ने इस संसदीय परम्परा को ख़त्म करने की सुपारी ले रखी है।”

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के आरोप का जवाब देते हुए महुआ मोइत्रा ने लिखा कि, “नेम-कॉलिंग के आरोपों पर मुझे थोड़ी हंसी आ रही है। आईटी की मीटिंग हुई ही नहीं, क्योंकि सदस्यों का कोरम ही पूरा नहीं हुआ। मैं कैसे किसी को कोई नाम दे सकती हूं जब वह वहां मौजूद ही नहीं था। अटेंडेंस शीट चेक कीजिए।”

अगर हम इस बिहारी गुंडा मामले की तह में जाए तो, शशि थरूर आईटी संसदीय कमेटी के अध्यक्ष हैं और थरूर ने कमेटी के अन्य सदस्यों की सहमति के बिना बैठक की शुरुआत कर दी थी। इसके बाद बीजेपी के सदस्यों ने आईटी कमेटी की मीटिंग का बहिष्कार करते हुए अटेंडेंस रजिस्टर पर दस्तखत करने से मना कर दिया था। इस दौरान सांसदों के बीच आपसी टकराव हुआ। बीजेपी सांसदों ने आरोप लगया है कि शशि थरूर मनमाने तरीके से मीटिंग का एजेंडा तय कर रहे हैं और उन्हें उसकी जानकारी देने के बजाय उसे सार्वजनिक भी कर रहे हैं।

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दुबे ने बुधवार को विशेषाधिकार हनन का नोटिस देकर थरूर को संसदीय समिति के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की है। शशि थरूर ने दुबे के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा, ‘यही रूल है कि हम कुछ बोल नहीं सकते हैं, इसलिए जो नियम को छोड़कर बोलते हैं, बोलने दीजिए।’ पत्रकारों ने जब महुआ मोइत्रा द्वारा की गई टिप्पणी के बारे में पूछा तो थरूर मोइत्रा का पक्ष लेते हुए कहा कि, “मुझे माफ करें”। परंतु इस बैठक में जिस तरह से मोईत्रा ने शशि थरूर का बचाव कर रही हैं वो बेहद शर्मनाक है।

इससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस लोकसभा सांसद शशि थरूर ने संसदीय कमेटी के नियमों को अपनी पार्टी के निजी एजेंडा चलाने के लिए उल्लंघन कर रहे थे। इतना ही नहीं कमेटी की मर्यादा को ठेस पहुंचाने वाली महुआ मोइत्रा को भी थरूर ने क्लीन चिट दे दिया है।

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