पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की जीत के बाद देश का राजनीतिक मौसम गर्म हो चला है। केन्द्र में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभा रही कांग्रेस भी ममता की जीत से उत्साहित है। कांग्रेस अपने राजनीतिक स्वार्थ की सिद्धि के लिए ममता को विपक्ष के चेहरे के रुप में दिखाने की कोशिश करने की योजना में है, किन्तु ममता बनर्जी कांग्रेस की इस नीति के पीछे के कपट को अच्छी तरह जानती हैं, लेकिन संभवतः ममता के पास भी 2024 चुनावों में कांग्रेस को देश की राजनीति में बर्बाद करने की योजना हो। कांग्रेस और TMC दोनों की दुश्मन एक ही है अर्थात बीजेपी ही है, लेकिन इन दोनों ही दलों में भी एक विशेष टकराव हमेशा ही रहा है।
बीजेपी के विराट कैंपेन के बाद भी ममता बंगाल में जीत गईं, और कांग्रेस को अब ये उम्मीद है कि वो ममता के सहारे PM मोदी को आसानी से हरा सकती है। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी तक ममता की तारीफों के पुल बांधने में लगे हैं। हाल ही में हुई ममता और सोनिया की बैठक के बाद ये माना जा रहा है कि कांग्रेस ममता को 2024 में लोकसभा चुनावों के लिए विपक्ष का चेहरा बना सकती है। इसमें कोई संशय नहीं है कि ममता भी विपक्ष की सबसे बड़ी नेता बनना चाहती हैं; इसीलिए वो शरद पवार और अरविंद केजरीवाल जैसे क्षेत्रीय दलों के नेताओं से मुलाकात कर रही हैं।
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इसके विपरीत ममता बनर्जी ये भी जानती हैं कि कांग्रेस कभी अपने लाभ को नजरंदाज कर किसी का भला नहीं सोच सकती, कांग्रेस की नीति रही है कि वो गैर-बीजेपी गठबंधन की सरकारों को समर्थन तो देती है, लेकिन अचानक समर्थन खींच कर मजबूत नेता को भी जमीन पर पटक देती है, 1980 के अलावा 1996 से लेकर 1999 के दौरान बनी अनेकों गठबंधन सरकारों के वक्त में कांग्रेस का ये चरित्र सभी ने देखा था, संभवतः कांग्रेस एक बार फिर ममता के साथ पुनः कुछ ऐसा ही छल कर सकती है।
इसके विपरीत राजनीतिक कपट का पर्याय बन चुकी ममता को कांग्रेस की फितरत अच्छे से पता है, ऐसे में ममता की एक साथ दो दांव खेलना चाहती हैं। वो कांग्रेस के समर्थन से विपक्ष की प्रमुख नेता भी बनना चाहती हैं, और साथ ही कांग्रेस को देश की राजनीति को पूर्णतः बर्बाद भी। ममता ने सोनिया से बैठक के बाद कहा, “यह अच्छी बैठक थी, पॉजिटिव बैठक। बीजेपी को हराने के लिए सभी को साथ आने की जरूरत है। सभी को मिलकर काम करना होगा। सारे गैर-भाजपाई मुख्यमंत्रियों से संबंध अच्छे हैं और सभी एक साथ आएंगे।”
उन्होंने कहा, “आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और झारखंड के हेमंत सोरेन से काफी अच्छे रिश्ते हैं। ऐसे में अब एक राजनीतिक आंधी केंद्र सरकार के खिलाफ चलने जा रही है जिसे कोई रोक नहीं पाएगा। छह महीने में आप नतीजे देखिएगा।”
ममता बनर्जी की विपक्ष को एक करने की मंशा तो है, साथ ही उनका टारगेट कांग्रेस को जड़ से खत्म करने का भी है। ममता का 2024 लोकसभा चुनाव फॉर्मूला है कि जिन राज्यों में कांग्रेस की बीजेपी से सीधी टक्कर हो, वहां कांग्रेस बीजेपी का मुकाबला करे; और जिन राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हैं, वहां बीजेपी का मुकाबला सपा, बसपा, एनसीपी, बीजेडी, जेडीएस और सीपीएम करें। ममता को ये दिखा रही हैं, कि ममता बनर्जी मोदी को हराना चाहती हैं लेकिन कांग्रेस को इससे सबसे ज्यादा नुकसान होगा।
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ममता के फॉर्मूले के अनुसार देखें तो कांग्रेस गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड असम, राजस्थान छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, कर्नाटक जैसे राज्यों की करीब 200 लोकसभा सीटों में कांग्रेस बीजेपी से लड़े, लेकिन दिलचस्प बात ये है कि इन इलाकों में अभी भी कांग्रेस ही बीजेपी से लड़ती है, और पूरे देश में उसे केवल 52 सीटें ही मिलीं, वहीं यदि इन 200 सीटों के अलावा अन्य राज्यों से कांग्रेस नहीं लड़ती तो उसका जनाधार पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में पूरी तरह खत्म हो सकता है। ऐसे में वो स्थिति भी आ सकती है, कि कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों की अपेक्षा 20-30 सीटों में ही सिमट सकती है।
स्पष्ट है कि यदि ममता के फॉर्मूले के अंतर्गत 2024 लोकसभा चुनावी की पटकथा लिखी जाती है, भले ही कांग्रेस धोखे की नीति के तहत ममता बनर्जी का साथ दें, लेकिन चुनाव के बाद असल नुकसान कांग्रेस को होगा। कांग्रेस उन राज्यों में बिखर जाएगी, और जिन राज्यो में क्षेत्रीय दल होंगे, वहां खात्मा हो जाएगा, जो ममता बनर्जी की कांग्रेस को बर्बाद करने की योजना का स्पष्ट संकेत देता है।