केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में युवा चेहरों को तरजीह दी गई है। यह भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रणनीति और गैर-भाजपा शासित राज्यों में एक मजबूत नेतृत्व देने की कवायद है। तकरीबन दो दशक से डॉ. हर्ष वर्धन ही दिल्ली में बीजेपी का चेहरा थे, भले ही प्रदेश अध्यक्ष कोई भी हो। इसी के चलते वो मोदी के दोनों कार्यकाल में मंत्री पद पाने में सफल हुए।
दिल्ली से 2014 में बीजेपी सभी सातों सीटों पर जीती, वहीं 2019 में भी बीजेपी ने सातों सीटों पर कब्जा किया। इसके बाद से ही सभी सांसद मंत्री पद तक अपनी राह बनाने में जुट गए। 2019 में भी वरिष्ठता के लिहाज से हर्षवर्धन ही दोबारा चुने गए और बाकी दूसरे सांसद हाथ मलते रह गए।
कोरोना काल में जब स्वास्थ्य मंत्रालय पर सवाल खड़े हुए तो पीएम मोदी ने इन सवालों को खत्म किया और डॉ. हर्ष वर्धन को हटाकर दिल्ली से मीनाक्षी लेखी को मंत्रिमंडल में शामिल किया।
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इससे अब करीब 25 साल से दिल्ली की सियासत और सत्ता से दूर भाजपा को नया मोड़ ज़रूर मिल गया है। दिल्ली के शेर के नाम से मशहूर दिवंगत मदनलाल खुराना के बाद न ही सरकार में दिल्ली का कोई पंजाबी चेहरा दिखा और न ही दिल्ली भाजपा अध्यक्ष के तौर पर कोई पंजाबी चेहरा लाया गया।
दिल्ली में पंजाबी समुदाय का प्रतिशत 10 फीसद है। डेढ़ दर्जन से ज़्यादा सीटों पर सिख-पंजाबी समाज हार या जीत तय करता है। इस लिहाज से एक “महिला+पंजाबी+प्रखर चेहरा” मंत्रिमंडल में शामिल करके पीएम मोदी ने दिल्ली भाजपा की आगे की राह आसान कर दी है। इससे पहले भाजपा से एक ही महिला थीं जो दिल्ली की राजनीति को प्रभावित करने का जज़्बा रखती दिखीं, वो थीं दिवंगत दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज। ये दिलचस्प बात है कि मीनाक्षी लेखी को भी विदेश राज्य मंत्री का दायित्व मिला है जो उनके और सुषमा स्वराज के बीच समानताएं बढ़ा देता है ।
आगामी 2022 में दिल्ली नगर निगम के चुनावों में 2017 कि भांति महिलाओं की भूमिका बतौर प्रत्याशी और मतदाता बहुत अहम होने वाली है। मीनाक्षी लेखी को लाकर महिला कार्ड के साथ निगम चुनाव लड़ा जाएगा ये भी उनके मंत्री बनने से तय हो गया है । इस बार आम आदमी पार्टी, 15 साल से दिल्ली नगर निगम में शासित भाजपा को उखाड़ फेंकने का दम भर रही है, तो वहीं निश्चित तौर पर मीनाक्षी लेखी को आता देख खेल बिगड़ने से आहत भी हो रही है।
हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर मीनाक्षी लेखी की मजबूत पकड़, मुद्दों को समझने की उनकी क्षमता और एक तेज-तर्रार प्रवक्ता के तौर पर उनकी पहचान, उनकी काबिलियत को साबित करती है। इसके साथ ही महिला फैक्टर भी उनके पक्ष में गया है।
आने वाले 2022 एमसीडी चुनावों में जहां महिला उम्मीदवारों की भूमिका बेहद अहम रहने वाली है, लेखी के जरिए पार्टी उनके बीच यह संदेश देने में भी सफल रहेगी कि अच्छा काम करने वाली महिलाओं को संगठन और सरकार में आगे बढ़ने का पूरा अवसर मिलेगा।