प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए ये कहा जाता है कि वो हमेशा कुछ अनोखी सोच के साथ ही बड़े कदम उठाते हैं और ये एक बार फिर उनकी कैबिनेट से जाहिर भी हो गया है। मोदी सरकार ने 43 मंत्रियो को शपथ दिलाकर एक विऱाट राजनीतिक इच्छा शक्ति का प्रदर्शन भी किया है। मंत्रियों के इस्तीफे लेने से लेकर नए मंत्रियों के चयन में पीएम ने कार्यक्षमता, पेशे, अनुभव और प्रतिनिधित्व के आधार पर एक विविधतापूर्ण विस्तार किया है। पीएम मोदी के द्वारा कैबिनेट चयन का ये मॉडल नए राजनेताओं के लिए किसी शिक्षा से कम नही हैं। इस विस्तार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व, जातीय सोशल इंजीनियरिंग, राज्यमंत्री, पूर्व- नौकरशाह और आलोचना करने वालों तक को वरीयता दी गई है, जो कि अभूतपूर्व माना जा रहा है।
हाल की पीएम मोदी के कैबिनेट विस्तार की बात करें तो इसमें पीएम मोदी की राजनीतिक दूरदर्शिता और परिपक्वता की विशेष झलक दिखती है, क्योंकि इसमें समाज के प्रत्येक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व है। इसके जरिए पीएम अपनी राजनीतिक पकड़ तो मजबूत कर ही रहे हैं बल्कि देश के उत्थान में समाज के सभी वर्गों की भागीदारी को भी महत्व देते दिखें हैं। सबसे पहले बात महिलाओं की करें तो पीएम मोदी की कैबिनेट में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को विस्तार देने के लिए 7 महिला सांसदों को मंत्री पद दिया गया है। एनडीए के साथी अपना दल को छोड़ दें तो अन्य 6 महिला सांसद पहली बार मंत्री बनी हैं। इसके साथ ही पीएम के मंत्रिंडल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व करीब 11 मंत्रियों का हो गया है।
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शपथ लेने वाली नई 6 महिला मंत्रियों की बात करें तो इनमें दर्शना जरदोश, प्रतिमा भौमिक, शोभा कारंदलजे, भारती पवार, मीनाक्षी लेखी, और अन्नपूर्णा देवी शामिल हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी महिलाओं के बढ़ते प्रतिनिधित्व को लेकर सकारात्मक ट्वीट किया। वहीं, पीएम मोदी ने जातिगत प्रतिनिधित्व के तौर पर भी एक बड़ा संकेत दिया है। 43 नए-पुराने मंत्रियों के शपथ लेने के बाद अब मोदी कैबिनेट में करीब 27 ओबीसी, 20 एससी-एसटी और 5 अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े सांसदों को अपनी कैबिनेट में शामिल किया गया है। इसके जरिए पीएम ने राजनीतिक रूप से तो अलग-अलग जातियों को साधने के साथ समाज के समग्र विकास के लिए अपने ‘सबका साथ, सबका विश्वास’ नारे को भी बल दिया है।
खास बात ये है कि पीएम मोदी की कैबिनेट में दलित समुदाय के 12 मंत्री हैं, जबकि एसटी समुदाय के 8 मंत्री हैं। इसके जरिए पीएम ने पिछड़ी जातियों को ज्यादा से ज्यादा महत्व देने की कोशिश की है। इसके जरिए पीएम मोदी ने उस भ्रम को भी तोड़ दिया है जिसके चलते बीजेपी पर सवर्ण समाज की पार्टी होने का आरोप लगाया जाता है। पीएम की कैबिनेट में इस बार राज्य मंत्रियों के कामकाज के आधार पर उनका प्रमोशन किया है। वहीं, नए राज्य मंत्रियों को शामिल कर अब राज्य मंत्रियों की संख्या 45 कर दी है, जिसके चलते प्रत्येक विभाग में कैबिनेट मंत्रियों की मदद के लिए राज्य मंत्री मौजूद होंगे। खास बात ये है कि इसके लिए अलग-अलग राज्यों से विशेष पेशेवर सांसदों को राज्यमंत्री बनाया गया है।
कैबिनेट के विस्तार में दो नौकरशाहों को भी शामिल किया है। दिलचस्प बात ये है कि पीएम मोदी की कैबिनेट के सबसे बड़े नगीने माने जा रहे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव खुद भी एक पूर्व अधिकारी हैं। वहीं जेडीयू के कोटे से मंत्री बने आरसीपी सिंह भी पूर्व आईएएस अधिकारी ही हैं। पुरानी कैबिनेट में भी पीएम ने पूर्व नौकरशाहों पर अपना विश्वास जताया था। कुछ ऐसा ही इस बार भी है। पीएम मोदी का मानना है कि नौकरशाही का अनुभव होने के कारण मंत्री बने सांसदों को अधिकारियों से काम करवाने में अधिक आसानी होती है।
ऐसा नहीं है कि पीएम मोदी नीतियों के आधार पर सकारात्मक आलोचना करने वालों को नजरंदाज करते हैं, और उनका ये स्वाभाव एक बार फिर कैबिनेट विस्तार से भी प्रतिबंबित हुआ है। कोरोना काल में कई बीजेपी नेताओं ने भी सरकार की सकारात्मक आलोचना की है, जिसमें एक नाम उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज से लोकसभा सांसद कौशल किशोर का है। कौशल किशोर बीजेपी के एससी विंग के अध्यक्ष हैं। ऐसे में पीएम ने एक तो उन्हें बदलावों की जिम्मेदारी दी है, दूसरी ओर उन्हें मंत्री बनाकर जातिगत रणनीति को भी साधा है।
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पीएम मोदी की कैबिनेट में एक बड़ा फैक्टर लोकप्रिय नेताओं से संबंधित भी है। इस बार मोदी कैबिनेट से कई लोकप्रिय नेताओं का पत्ता कटा है, जिनमें रविशंकर प्रसाद से लेकर प्रकाश जावड़ेकर का नाम शामिल है। खास बात ये भी है कि इस बार कैबिनेट में उन सांसदों को शामिल किया गया है, जो कि मीडिया और ट्विटर की राजनीति से दूर रहकर पर्दे के पीछे से काम करते हैं। इस बार पीएम मोदी की कैबिनेट में जो भी नए मंत्री शामिल हुए हैं। उनमें से अधिकतर ऐसे हैं जिन्हें मीडिया में ज्यादा जगह नहीं मिली। मनसुख मंडाविया से लेकर अश्विनी वैष्णव तक… ये सभी बीजेपी के लिए जमीनी स्तर पर काम करते रहे हैं।
ऐसे में पीएम मोदी ने उन लोगों को महत्व दिया है, जो कि मीडिया से दूर रहना पसंद करते हैं। कुल मिलाकर कहें तो पीएम का मंत्रिमंडल पूरी तरह बदल गया है। प्रोफेशनल सांसदों को महत्व देने के साथ ही महिलाओं, विभिन्न जातियों को प्रतिनिधित्व दिया गया है, जिससे समाज के समग्र विकास के साथ ही राजनीतिक और सामाजिक समावेश भी बना रहे। इसीलिए ये नया कैबिनेट विस्तार पीएम मोदी की कार्यशैली का एक बेहतरीन उदाहरण बन गया है, जो विविधता के लिहाज से ऐतिहासिक है।