पश्चिम बंगाल में भले ही सरकार ममता बनर्जी की हो, लेकिन बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी उनके लिए दिन-ब-दिन नई मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं। ममता ने उस दिन अपनी खुशी जाहिर की थी, जब मुकुल रॉय अचानक बीजेपी से TMCमें घर वापसी कर गए थे। वहीं ममता ने संवैधानिक मूल्यों को ताक पर रखते हुए उन्हें विधानसभा की पीएसी का चेयरपर्सन भी बनवा दिया था, लेकिन अब ममता के कदम उनके लिए खतरें की घंटी बनने वाले हैं, क्योंकि दल-बदल कानून को लेकर सुवेंदु अधिकारी ने अदालती कार्रवाई का ऐलान कर दिया है।
ऐसे में जाहिर तौर पर कोर्ट का फैसला मुकुल रॉय के खिलाफ ही आएगा और ममता की मर्जी के खिलाफ बीजेपी से ही कोई पीएसी का चेयरमैन भी बन सकता है, जो ममता के लिए अगले पांच वर्षों तक मुसीबत खड़ी करेगा।
विधानसभा चुनावों के बाद बंगाल की CM ममता बनर्जी ने जो कुछ भी काम किए, वो सारे विवादों का विषय बने हुए हैं। नंदीग्राम में उनकी हार से लेकर चुनाव बाद की हिंसा तक के मामले अदालतों में जा चुके हैं और सभी मुद्दों पर ममता के हाथ नकारात्मकता ही लगी है। ऐसे में बीजेपी से विधायक बने मुकुल रॉय जब घर वापसी कर TMC में गए तो ममता ने उन्हें पीएसी का चेयरपर्सन बना दिया।
वहीं अब मुकुल रॉय ही ममता के लिए बड़ी मुसीबत बनने वाले हैं, क्योंकि दल-बदल कानून के तहत उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो सकती है। मुकुल रॉय के खिलाफ सबसे अधिक आक्रामक उनके धुर-विरोधी सुवेंदु अधिकारी हैं, उनकी विधानसभा सदस्यता को लेकर नेता विपक्ष के नाते उन्होंने हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर ली है। हाल ही में उन्होंने स्पीकर बिमान मुखर्जी से मुलाकात की है क्योंकि अभी तक इस मुद्दे पर स्पीकर ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
उन्होंने कहा, “स्पीकर ने मुझे दलबदल विरोधी कानून लागू करने के लिए मुकुल रॉय के खिलाफ याचिकाकर्ता के रूप में बुलाया था। उन्होंने हमें अगली सुनवाई के लिए 30 जुलाई को बुलाया है। हम यहां दलबदल विरोधी कानून लागू करने की मांग को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट जाएंगे।”
मुकुल रॉय के खिलाफ कार्रवाई के लिए सुवेंदु स्पीकर को पहले ही याचिका भेज चुके हैं, इसके बावजूद अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। इसके चलते सुवेंदु ने लेट-लतीफी पर सवाल उठाते हुए कहा, “हम एक समय समय सीमा चाहते हैं, जिसके भीतर सुनवाई पूरी की जाए। हम चाहते हैं कि रॉय को जितनी जल्दी संभव हो, अयोग्य घोषित किया जाए।”
गौरतलब है कि जब से मुकुल रॉय को टीएमसी ने नियमों के विरुद्ध जाकर पीएसी का चेयरपर्सन बनाया है, तब से भाजपा की आक्रामकता का स्तर बढ़ गया है। लेट लतीफी के पुराने मामलों को याद करते हुए उन्होंने कहा है कि उन्हें किसी खास कार्रवाई की उम्मीद नहीं है। सुवेंदु ने कहा, “हम विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को 64 पन्नों को डोजियर दे चुके हैं। सुनवाई की प्रक्रिया में ज्यादा वक्त नहीं लगना चाहिए। हम विधानसभा अध्यक्ष के पद का बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन अतीत के अनुभवों के कारण हमें चिंता हो रही है।”
उन्होंने कहा कि पिछले दस सालों में दल-बदल के अनेकों मामले सामने आए, लेकिन कभी की एक्शन नहीं हुआ, इसलिए बीजेपी को स्पीकर पर कोई भरोसा नहीं है। यही कारण है कि सुवेंदु अब मुकुल रॉय को अदालती कार्रवाई में ले जाने की प्लानिंग कर चुके हैं।
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वहीं ये मामला अगर हाईकोर्ट में जाता है तो भी ज्यादा दिन नहीं टिकेगा क्योंकि ममता ने नियमों के विपरीत जाकर सारे काम किए हैं। मुकुल रॉय पर दल-बदल कानून के तहत ही सख्त कार्रवाई हो सकती है, जो ममता के लिए एक बड़ा झटका होगा। ममता ने एक रणनति के तहत मुकुल रॉय को पीएसी का अध्यक्ष बनाया था, जिससे बीजेपी उनके गलत कार्यों पर सवाल न उठा सके। इसके विपरीत जब मुकुल रॉय की विधानसभा सदस्यता जाएगी तो PAC का पद भी उन्हें छोड़ना पड़ेगा।
हाईकोर्ट के संभावित आदेश के बाद ममता को विपक्ष के नेता को पीएसी का चेयरपर्सन बनाना होगा। TFI आपको पहले ही बता चुका है कि बीजेपी ने अपना उम्मीदवार अर्थशास्त्री अशोक लाहिरी को चुना है। ऐसे में यदि वो पीएसी के अध्यक्ष बनेंगे, तो ममता की मुसीबतों में थोक के भाव बढ़ोतरी होगी क्योंकि आर्थिक मोर्चों के मुद्दों पर विपक्षी पीएसी अध्यक्ष ममता को आए दिन निशाने पर लेंगे। ऐसे मे में कहा जा सकता है कि मुकुल रॉय के विधायकी को लेकर हाईकोर्ट जाने का सुवेंदु अधिकारी का फैसला ममता पर नई मुसीबतों का बोझ लाने वाला है।