जिस जगह करते हैं अभिसार शर्मा काम, उसी न्यूजक्लिक के तार CCP और नक्सलियों से जुड़ते दिखाई दे रहे

अभिसार शर्मा के सितारे इस समय गर्दिश में ही चल रहे हैं। जहां भी जाते हैं, भद्द ही पिटवाते हैं। एबीपी न्यूज से निकाले जाने के बाद अभी न्यूजक्लिक के लिए काम करने वाले अभिसार और न्यूजक्लिक दोनों पर ही प्रवर्तन निदेशालय का शिकंजा कस सकता है। प्रवर्तन निदेशालय को संदेह है कि ये साइट नक्सलियों से भी जुड़ी है और इसे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से प्रत्यक्ष रूप से फंडिंग मिलती है।

लेकिन ये संभव कैसे है? प्रवर्तन निदेशालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, अभिसार शर्मा और न्यूजक्लिक को अनेक स्त्रोतों के जरिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से भारी मात्रा में पैसे मिल रहे हैं। इसकी ओर संकेत देते हुए टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी अपनी रिपोर्ट में ये बात उठाई है।

रिपोर्ट के अंश अनुसार, “PPK Newsclick Studio Pvt Ltd’ को जो 38 करोड़ रुपए की बड़ी फंडिंग मिली थी, उसका मुख्य स्रोत इसी कारोबारी को माना जा रहा है, जिसके सम्बन्ध चीन से हैं। वेबसाइट को ये रकम 2018-21 के बीच विदेश से भेजी गई थी। कारोबारी नेविल रॉय सिंघम (Neville Roy Singham) के सम्बन्ध चीन की सत्ताधारी पार्टी ‘कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC)’ के एक प्रोपेगेंडा संगठन से है। ‘भीमा-कोरेगाँव’ हिंसा से भी इस न्यूज़ पोर्टल के तार जुड़ रहे हैं क्योंकि जो रकम इसे मिली, उसका कुछ हिस्सा तथाकथित एक्टिविस्ट्स को गया।

इसमें ‘एल्गार परिषद’ के गौतम नवलखा का नाम भी शामिल है, जो फ़िलहाल जेल में बंद है। न्यूजक्लिक के संस्थापक और मुख्य संपादक प्रबीर पुरकायस्था से संबंधों को लेकर ED ने जेल में ही गौतम नवलखा से पूछताछ भी की है। वेबसाइट को जो रकम मिली, उसके एक बड़े हिस्से को उसने ‘सेवाओं का निर्यात (Export Of Services)’ के रूप में प्रदर्शित किया है। पुरकायस्था ने सिंघम के CPC से सम्बन्ध होने या फिर खुद के पोर्टल के चीनी सरकार से सम्बन्ध होने से इनकार किया है”।

इसमें से क्या सच है और क्या झूठ, इस बात पर प्रवर्तन निदेशालय जल्द ही जांच करेगा। लेकिन यदि ये बातें शत प्रतिशत सत्य है, तो फरवरी 2021 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा न्यूजक्लिक पर पड़ा छापा यूं ही नहीं पड़ा था। फरवरी माह में वित्तीय अनियमितताओं के चलते न्यूजक्लिक के स्टूडियो पर ED ने छापा भी डाला था। यही नहीं, ये भी सामने आया था कि न्यूजक्लिक का प्रबंधन संभालने वालों में से एक, प्रबीर पुरूकायस्थ गौतम नवलखा के भी बेहद नजदीक थे।

इसी बात पर सवाल उठाते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सम्बित पात्रा ने कहा, “न्यूजक्लिक एक पोर्टल, जो अपने आप को मीडिया हाउस के तौर पर चित्रित करता है। लेकिन हाल ही में उसे विदेश से संदेहास्पद तौर पर करोड़ों रुपये मिले, ताकि वह भारत के प्रशासन को ध्वस्त प्रशासन के तौर पर चित्रित कर सके और विदेशी प्रोपगैंडा फैला सके। ऐसे कथित पोर्टल्स का सिर्फ एक ही एजेंडा है – भारत की एक देश के इशारे पर बुराई करना। यह एक अंतर्राष्ट्रीय टूलकिट का हिस्सा है।”

ट्विटर यूजर अंकुर सिंह ने भी इसी ओर इशारा करते हुए ट्वीट किया, “एक मीडिया पोर्टल एलगर परिषद और गौतम नवलखा को क्यों पैसे देगी? सिर्फ एक इलेक्ट्रिशियन को 1.55 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया? ऐसी कौन सी सुविधा दे दी अभिसार शर्मा ने, जो एक साइट शुरू होते ही उन्होंने करोड़ों का भुगतान मिलने लगा?” 

इन सवालों के जवाब न्यूजक्लिक अगर देना भी चाहे, तो भी नहीं दे पाएगी, क्योंकि यदि एक की पोल खुलेगी, तो सब एक साथ नपेंगे। ऐसे में यदि प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच फिर से शुरू की, तो अभिसार शर्मा और न्यूजक्लिक का फंसना निश्चित लग रहा है।

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