मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में हीरो बनना चाहते थे नीतीश कुमार, सहायक अभिनेता भी नहीं बन पाए

पीएम मोदी का नीतीश को संदेश साफ है, ‘छोटे भाई’ की तरह रहो !

नीतीश कुमार और जदयू

बिहार की राजनीति में खुद को खुदा समझने वाले नीतीश कुमार को पीएम मोदी ने सख्त संदेश दे दिया है। पीएम मोदी ने कैबिनेट विस्तार किया तो इसमें जेडीयू के कोटे से सिर्फ एक मंत्री बनाया गया।

2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से नीतीश कुमार लगातार केंद्र में चार-पांच मंत्री पद की मांग कर रहे थे; लेकिन विधानसभा चुनाव में ‘छोटे भाई’ की भूमिका में आने के बाद अब शायद उनकी अक्ल ठिकाने आ गई है। नीतीश कुमार का अपनी जिद्द से हट जाना बताता है कि वो पीएम मोदी के सामने झुक गए हैं, जोकि पीएम मोदी और बीजेपी के लिए एक कूटनीतिक जीत की तरह ही है।

मोदी मंत्रिमंडल के इस नए विस्तार में गठबंधन के कई साथियों को भी शामिल किया गया है। इसके साथ ही उन साथियों को झटका भी दिया गया है; जोकि मोदी सरकार पर आए दिन दबाव बनाने की राजनीति करते रहते हैं, जैसे जेडीयू। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से एनडीए सरकार में केवल एक ही कैबिनेट मंत्री का पद जेडीयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह को दिया गया है।

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साल 2019 में लोकसभा चुनावों के बाद जब बीजेपी ने गठबंधन के साथियों को मंत्रिमंडल में शामिल करने का प्रस्ताव रखा; तो बाकी सब मान गए, लेकिन जेडीयू की अकड़ कुछ अलग ही स्तर की थी। नीतीश कुमार चाहते थे कि बिहार से जितने बीजेपी के मंत्री बनें, उतने ही जेडीयू के भी हों, लेकिन ये हो न सका। ऐसे में तोल-मोल से बेहतर नीतीश कुमार सही मौके के इंतज़ार में बैठ गए और अपना कोई मंत्री मोदी सरकार में बनाया ही नहीं। इसके विपरीत अब जब दोबारा मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं शुरू हुईं, तो जेडीयू पुनः अपना फॉर्मूला निकाल लाई।

इस बार भी जेडीयू 2019 के फॉर्मूले पर ही मंत्री पद चाहती थी, लेकिन पीएम मोदी के आगे उनकी एक न चली। इसके बाद जेडीयू 2+1 का एक अतिरिक्त फॉर्मूला लाई; जिसके तहत दो कैबिनेट और एक राज्यमंत्री के पद की मांग की गई। बीजेपी इस पर भी सहमत नहीं हुई।

नीतीश कुमार के लिए ये एक बार फिर मुश्किल वक्त था क्योंकि वो मोदी सरकार में जेडीयू का प्रतिनिधित्व चाहते ही थे। ऐसे में ज्यादा ना-नुकुर करते तो फिर उनके हाथ शून्य ही आता। इसका नतीजा ये हुआ कि नीतीश कुमार को पीएम मोदी की शर्तों के आगे दो साल बाद ही सही; लेकिन झुकना पड़ा। बीजेपी की ये कूटनीतिक जीत बिहार की राजनीति के लिहाज से बेहद अहम है।

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