जब से प्रधानमंत्री मोदी ने कैबिनेट का विस्तार किया है तब से बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। JDU कोटे से एक ही मंत्री पद मिलना और उस पद पर भी JDU अध्यक्ष RCP Singh का स्वयं बैठना कई सवाल खड़े कर चुका है। जिस तरह एक के बाद एक कई घटना सामने आई हैं अब उससे यह कयास लगाया जा रहा है कि JDU अध्यक्ष RCP Singh और नीतीश कुमार के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। कुछ का तो यह भी कहना है कि नीतीश कुमार को ही पार्टी से निकाल कर JDU को नीतीश-मुक्त किया जा सकता है।
दरअसल, समता पार्टी की स्थापना के बाद से नीतीश कुमार से जुड़े जदयू नेता प्रमोद चंद्रवंशी ने आरोप लगाया कि RCP Singh ने मंत्री पद पाने के बाद उनके साथ बदसलूकी की। हैरानी की बात यह है कि इस घटना के सामने आने के बाद नीतीश कुमार भी चुप है। ऐसा लगता है कि अब JDU में नीतीश की नहीं बल्कि RCP Singh की चल रही है।
प्रमोद चंद्रवंशी ने दिल्ली में मीडियाकर्मियों से कहा, “मैं नीतीश कुमार के साथ 27 साल पहले जुड़ा था और RCP Singh उस समय नीतीश कुमार के निजी सचिव थे। जब वे केंद्रीय मंत्री बने तो मैं व्यक्तिगत रूप से उन्हें बधाई देने यहां आया था। हालांकि, उन्होंने कुछ और ही सोच लिया और मुझे अपने आधिकारिक आवास से बाहर करवा दिया।“
अब इसी मुद्दे पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने कहा है कि जदयू अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री RCP Singh जल्द ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके प्रमुख सहयोगियों को पार्टी से बाहर कर देंगे। राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि “प्रमोद चंद्रवंशी के साथ जो किया गया वही नीतीश कुमार और जदयू में उनके भरोसेमंद नेताओं के साथ दोहराई जाएगी।”
अब यह सवाल उठने लगा है कि नीतीश कुमार इस घटना की आलोचना क्यों नहीं कर रहे हैं। यह पहला मौका नहीं है जब नीतीश कुमार ने RCP Singh से जुड़े मुद्दे पर चुप्पी साधी है। इससे पहले जब कैबिनेट विस्तार होना था तब JDU लगातार 2-3 मंत्री पद की मांग कर रहा था, परन्तु आखिर में एक ही पद पर मान गया।
तब भी यह सवाल उठे थे कि आखिर सांकेतिक भागीदारी से इनकार के बाद कैबिनेट विस्तार में JDU एक मंत्री पद को लेकर ही कैसे मान गई? इन सवालों के बीच जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने एक बड़ा दावा करते हुए कहा कि, “केंद्र में मंत्री बनने का फैसला RCP Singh ने खुद लिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते उन्हें ही इस पर निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया गया था।“
अब भले ही कुशवाहा यह कहे कि पार्टी में सब कुछ ठीक चल रहा है, परन्तु यहाँ तो स्पष्ट टकराव दिखाई दे रहा है। जदयू सासंद ललन सिंह ने कहा है ”ये बात सही है कि आरसीपी सिंह इसके लिए अधिकृत थे और जब केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक ही सीट जदयू को मिली तो बिना किसी लागलपेट के उन्होंने खुद मंत्री बनने का निर्णय ले लिया। वो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, लेकिन उन्होंने यहां पार्टी के बारे में नहीं सोचा। इसी बात का मलाल JDU के आम कार्यकर्ताओ में है।”
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पार्टी अध्यक्ष पद पर रहने के बावजूद RCP Singh का स्वयं मंत्री बनना और नीतीश कुमार का इस मामले पर भी कुछ बयान पक्ष या विपक्ष में न देना भी सवाल खड़े करता है। अगर सब कुछ ठीक चल रहा है तो बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह के मंत्री बनने के बाद कोई बधाई ट्वीट क्यों नहीं किया?
इससे पहले जब मुंगेर कांड में RCP Singh की बेटी और SP लिपि सिंह का मामला उठा था तब भी नीतीश कुमार ने उनके खिलाफ कुछ नहीं कहा था और चुप्पी साधी हुए थे। हिन्दुओं पर गोली चलवाने वाली लिपि सिंह के खिलाफ कोई भी एक्शन नहीं लिया गया। ऐसा लगता है कि अब JDU पर नीतीश की पकड़ ढीली हो चुकी है और आरसीपी सिंह ने उन्हें चारो तरफ से घेर लिया है। CM नीतीश कुमार से ज्यादा RCP Singh के आवास पर भीड़ होती है। एक तरह से JDU पर आरसीपी सिंह का कब्जा हो चुका है और वह समय दूर नहीं जब नीतीश कुमार को भी JDU से बहार निकाला जा सकता है।