नीतीश कुमार के अल्पसंख्यक मंत्री खुलेआम धर्मांतरण को बढ़ावा दे रहे हैं

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अवैध धर्मांतरण की समस्या देश के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। परंतु कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो न सिर्फ इस बात को स्वीकारते हैं, बल्कि खुलेआम इसे बढ़ावा भी देते हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं नीतीश कुमार के अल्पसंख्यक मंत्री मोहम्मद जमा खान, जो खुलेआम धर्मांतरण को बढ़ावा दे रहे हैं।

मोहम्मद जमा खान के अनुसार, “धर्मांतरण अपनी मर्जी से किया गया हो, तो कोई बुराई नहीं है। आज भी मेरे खानदान के आधे लोग हिन्दू हैं और वे अपने हिन्दू रिश्तेदारों से मुलाकात करते रहते हैं। हम राजपूत थे। हमारा परिवार बैसवारा से आया था और वैश्य ठाकुर थे। हमारे पूर्वजों का नाम जयराम सिंह, भगवान सिंह था। धर्म परिवर्तन के लिए जब लड़ाई छिड़ी, तो भगवान सिंह ने इस्लाम कबूल कर लिया और हम लोग मुसलमान हो गए। यही खानदान हम लोगों का है”।

जमा खान वहीं पर नहीं रुके। वे आगे बोले, “मुसलमानों ने जदयू को वोट नहीं दिया, फिर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुसलमानों का ख्याल रखते हैं, उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में मुसलमान को मंत्री बनाया।” केंद्रीय मंत्रिमंडल में जेडीयू को एक मंत्री पद मिलने पर उन्होंने कहा कि “पार्टी को एक से ज्यादा मंत्री पद मिलना चाहिए था। अब अगर कोई मेरे सर पर बंदूक भी रखता है तो भी अपना मजहब नहीं बदलूँगा”।

इससे मोहम्मद जमा खान ने एक ही तीर से दो निशाने साधे। एक तो बतौर अल्पसंख्यक मंत्री उन्होंने अपने मंत्रालय का एजेंडा आगे बढ़ाया, और दूसरा उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से उत्तर प्रदेश सरकार के अवैध धर्मांतरण के विरुद्ध चल रही कार्रवाई का विरोध भी किया। हाल ही में उत्तर प्रदेश की एटीएस ने अवैध धर्मांतरण से जुड़े एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसके तार ज़ाकिर नाईक से लेकर लश्कर तक जुड़े हुए थे। इसका नेतृत्व श्याम प्रसाद सिंह गौतम उर्फ मोहम्मद उमर गौतम कर रहा था, जिसने मोहम्मद जमा खान के परिवार की भांति ही धर्म परिवर्तन किया था।

इससे एक बात ये भी सिद्ध होती है कि नीतीश कुमार अब भी ऐसे लोगों को बढ़ावा दे रहे हैं, जो अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के नाम पर देश को निचोड़ने तक के लिए तैयार हैं। जिस प्रकार से मोहम्मद जमा खान ने कहा कि वह बंदूक की नोक पर भी धर्म परिवर्तन नहीं करेगा, उससे वह सिद्ध करना चाहता था कि उसने धर्मांतरण कर कितना नेक काम किया, और क्यों सभी को इसी राह पर चलना चाहिए। यह न सिर्फ समाज के लिए, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बहुत हानिकारक है।

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