‘एक बच्चा करो, एक लाख रुपये मिलेंगे’, जनसंख्या नियंत्रण ड्राफ्ट के इस प्रावधान को समझ लीजिए

इस प्रावधान से रुकेगी बढ़ती हुई मुस्लिम आबादी !

यूपी विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण कानून का ड्राफ्ट तैयार किया है। इस ड्राफ्ट बिल की कॉपी वेबसाइट पर अपलोड कर यूपी विधि आयोग ने जनता से इस संबंध में सुझाव मांगे हैं। इसे उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण एवं कल्याण) एक्ट 2021 के नाम से जाना जाएगा और यह 21 वर्ष से अधिक उम्र के युवकों और 18 वर्ष से अधिक उम्र की युवतियों पर लागू होगा। योगी सरकार अगर इस फॉर्मूले को हरी झंडी देती है तो यूपी में जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में ये एक बड़ा कदम माना जाएगा।

इस बिल में कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा गया है. दो बच्चों की नीति के साथ एक बच्चे की नीति पर भी इस तरह के प्रोत्साहन रखे गए हैं कि इससे लोग आकर्षित होंगे और एक बच्चे की नीति अपनाने की कोशिश करेंगे।

वन चाइल्ड पॉलिसी स्वीकार करने वाले बीपीएल श्रेणी के माता-पिता को विशेष तौर पर प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत जो माता-पिता पहला बच्चा पैदा होने के बाद नसबंदी करा लेंगे, उन्हें कई तरह की सुविधाएं दी जाएंगी।

जनसंख्या नियंत्रण ड्राफ्ट बिल के अनुसार, “पहला बच्चा अगर लड़का है तो 80 हजार रुपये और अगर लड़की है तो एक लाख रुपये की विशेष प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यही नहीं ऐसी नीति के तहत जन्मी पुत्री उच्च शिक्षा तक नि:शुल्क पढ़ाई कर सकेगी, जबकि पुत्र को 20 वर्ष तक नि:शुल्क शिक्षा मिलेगी।

इसके अलावा उन्हें नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा और सरकारी नौकरी होने की स्थिति में सेवाकाल में दो इंक्रीमेंट भी दिए जाएंगे। यानी देखें तो एक बच्चा होने पर वह बच्चा किसी भी BPL से नीचे वाले लोगों के लिए 1 लाख के चेक के समान हो जाएगा।“ कोई भी BPL से नीचे का परिवार इस योजना का लाभ लेने की कोशिश करेगा।

2004-05 में यूपी में लगभग आधी मुस्लिम आबादी गरीबी रेखा से नीचे थी। हालांकि पिछले 15-16 वर्षों में यह संख्या घटी है लेकिन अब भी हिंदुओं के मुकाबले ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है।

यूपी में मुस्लिम आबादी 17-19% है, लेकिन कल्याणकारी योजनाओं के लाभ में उनका हिस्सा 30-35% है। इसका अर्थ यह है कि BPL परिवार को मिलने वाली इस योजना का भी अधिक लाभ वे ही उठाएंगे. वहीं, अगर आंकड़ों की बात की जाए तो National Family Health Survey 2015-16 के अनुसार उत्तर प्रदेश में हिंदुओं में Total Fertility Rate 2.7 है तो वहीँ मुस्लिमों में यह 3.1 है

अगर मुस्लिम वर्ग ने इस योजना का लाभ उठाया तो Total Fertility Rate को कम किया जा सकेगा और इससे जनसंख्या नियंत्रण में मदद मिलेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि उत्तर प्रदेश के विधि आयोग ने अप्रत्यक्ष रूप से विशेष समुदाय की बढ़ती आबादी को रोकने के लिए इस प्रोत्साहन योजना को शामिल किया है।

इस जनसंख्या नियंत्रण ड्राफ्ट बिल में आयोग ने दो से ज्यादा बच्चों के माता-पिता को कई तरह की सुविधाओं से वंचित करने का प्रस्ताव रखा है। जनसंख्या नियंत्रण ड्राफ्ट बिल के महत्वपूर्ण बिंदुओं को देखें तो इसमें कहा गया है कि जो कोई भी कानून के लागू होने के बाद दो बच्चे के नियम का उल्लंघन करता है, उसे सरकार द्वारा प्रायोजित सभी कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया जाएगा।

वह स्थानीय निकायों के लिए चुनाव नहीं लड़ सकता। इसके साथ ही राज्य सरकार के तहत सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने के लिए योग्य नहीं होगा। ऐसे लोगों को सरकारी नौकरी में प्रमोशन भी नहीं मिलेगा। कानून की प्रस्तावना कहती है, ‘यूपी में संसाधन बेहद सीमित हैं।

ऐसे में ये आवश्यक है कि किफायती भोजन, सुरक्षित पेयजल, सभ्य आवास, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच, आर्थिक और आजीविका सहित मानव जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं का प्रावधान हो। विकास को बढ़ावा देने के लिए राज्य की जनसंख्या को नियंत्रित करना, स्थिर करना आवश्यक है।’ जनसंख्या नियंत्रण ड्राफ्ट बिल पर जनता भी 19 जुलाई तक अपने सुझाव भेज सकती है. अब देखना यह है कि योगी सरकार कब इस कानून को लागू करती है।

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