अफगानिस्तान में तालिबान लाने में सहायक पाकिस्तान जल्द ही ख़ुद ‘तालिबान’ की चपेट में होगा

पाकिस्तानी तालिबान, अफगान तालिबान की सफलता से और ज्यादा उत्साह में है।

तालिबान अफ़ग़ानिस्तान

आजकल भारत के रक्षा विशेषज्ञों के लिए सबसे ज्यादा तनाव पूर्ण मुद्दा तालिबान का है। दरअसल, अमेरिकी सुरक्षा बलों एवं NATO फोर्स के अफ़ग़ानिस्तान से निकलने के बाद तालिबान का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। वह तेजी से नए-नए इलाकों पर कब्जा करता जा रहा है। तालिबान अफ़ग़ानिस्तान के एक तिहाई से ज्यादा हिस्से पर अपना कब्ज़ा जमा चुका है।

तालिबान की गतिविधियों से लगता है कि उसे पाकिस्तान सेना से रणनीतिक मदद मिल रही है, लेकिन पाकिस्तान की यह चाल उसके लिए कई मुश्किलें खड़ी कर सकती है, क्योंकि पाकिस्तानी तालिबान पाकिस्तान में राज करने की तैयारी में जुट गया है।

पाकिस्तानी खुफिया विभाग ISI और पाकिस्तानी सेना मिलकर तालिबान के माध्यम से अफ़ग़ानिस्तान में अपना वर्चस्व बनाने की हर मुमकिन कोशिश कर रहें है। पाकिस्तान, तालिबान का अफ़ग़ानिस्तान में सबसे बड़ा समर्थक रहा है और यह बात किसी से छुपी नहीं है। चाहे भारत हो या अमेरिका या फिर खुद पाकिस्तानी तालिबान। जी हाँ, पाकिस्तान में एक अलग आतंकी संगठन काम करता है जिसे, तहरीक-ए-तालिबान यानी TTP भी कहते हैं।

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टीटीपी का मक़सद पाकिस्तान में शरिया पर आधारित एक कट्टरपंथी इस्लामी शासन कायम करना है। इस चरमपंथी संगठन की स्थापना दिसंबर 2007 में 13 चरमपंथी गुटों ने मिलकर की थी। गौर करने वाली बात यह है कि, अफगानी तालिबान की तरह पाकिस्तानी तालिबान भी जनता द्वारा चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकना चाहता है और वहाँ शरिया कानून स्थापित करना चाहता है।

आपको बता दें कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए पाकिस्तानी तालिबान भी अपना कद बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तानी तालिबान अफ़ग़ानिस्तान के पकटिका राज्य में गुटबाजी कर रहा है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तानी तालिबान चीन के खिलाफ है। TTP पाकिस्तान में CPEC प्रोजेक्ट के लिए आए चीनी कर्मचारियों को निशाना बनाता रहता  है।

पाकिस्तानी तालिबान, पाकिस्तान की सरकार का सबसे बड़ा कट्टर विरोधी है और इस बात के कई पुख्ता प्रमाण हैं। TTP सगंठन ने साल 2014 में पेशावर में एक आर्मी स्कूल पर गोलीबारी की थी जिसमें करीब 200 बच्चों की जान चली गई। ऐसे में पाकिस्तान की सबसे बड़ी चिंता ये है कि अफ़ग़ान तालिबान के मज़बूत होने से पाक तालिबान का भी हौसला बढ़ेगा।

अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद उसके कट्टरपंथी पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सक्रिय हो सकते हैं। पाकिस्तान तालिबान का पाकिस्तान की सेना से टकराव बना रहता है। हाल ही में संगठन के प्रभाव वाले इलाक़े में पेट्रोलिंग कर रहे एक पुलिसकर्मी को बुरी तरह पीटने की ख़बर सामने आई थी।

साल 2014 में ऑपरेशन Zarb-e-Azb के दौरान पाकिस्तानी सेना और TTP के बीच ज़बरदस्त झड़प हुई थी। जिसमें TTP के 3,500 आतकियों की मौत हुई थी, वहीं 490 पाकिस्तानी जवानों ने अपनी जान गवाई थी। US प्रशासन की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 तक  TTP से 6,000 आतंकी जुड़ गए है जोकि पहले करीब 2,500 थे। TTP ने साल 2020 में पाकिस्तानी सेना को अपना मुख्य निशाना बनाया है। 73 प्रतिशत हमला पाकिस्तानी सेना के ऊपर हुए है, जिसमें 179 जवानों की जान गई है।

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इसमें कोई दो राय नहीं है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का राज स्थापित होने से पाकिस्तान का दशकों पुराना सपना सकार हो गया है। ऐसे में पाकिस्तानी तालिबान का भी आत्मविश्वास मजबूत हुआ है कि जब अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान राज स्थापित हो सकता है, तो पाकिस्तान में क्यों नहीं ! पाक ने जो तालिबान का जहर अफ़ग़ानिस्तान में घोला है, अब समय आ गया है कि वो उसका स्वाद खुद चखे।

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