भारतीय संस्कृति की खासियत है कि जो यहां आया, वो यहां की संस्कृति का होकर ही रह गया। यही कारण है कि कई विदेशी पर्यटक हमेशा के लिए भारत के धार्मिक स्थलों के पास आकर बस गए हैं। कुछ ऐसा ही इंडोनेशिया से आए एक पादरी के साथ हुआ। पादरी रॉबर्ट सॉलोमन आए तो थे भारत में लोगों के धर्म परिवर्तन का टारगेट लेकर; लेकिन भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से इतना अधिक प्रभावित हुए कि उन्होंने खुद ही हिन्दू धर्म अपना लिया। आज वो RSS के ही प्रचारक हैं और उनका बदला हुआ नाम ‘सुमन कुमार’ है। दिलचस्प बात ये है कि RSS ने भी पादरी रॉबर्ट सॉलोमन के साथ एक नया प्रयोग करते हुए उन्हें अपने संगठन में अपना लिया था।
धर्मांतरण का मुद्दा पिछले काफी समय से एक विराट चर्चा का विषय बना हुआ है। उत्तर प्रदेश में पकड़े गए धर्मांतरण के रैकेट के बाद आए दिन मुस्लिम संगठनों या ईसाई मिशनरीज़ के जरिए धर्मांतरण की खबरें आ रही हैं। इसी मामले में एक दिलचस्प कहानी ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में ऑर्गेनिक रिसर्च की पढ़ाई करने के दौरान पादरी बने एक शख्स की भी हैं, जिन्हें चर्च द्वारा धर्मांतरण का काम सौंपा गया था। खबरों के मुताबिक जब वो धर्मांतरण के उद्देश्य से ही इंडोनेशिया से पादरी रॉबर्ट सॉलोमन बनकर 1984 में भारत आए; तो वो तमिलनाडु में धर्मांतरण का काम कर रहे थे। इसी दौरान वो RSS के संपर्क में आए और उनका ये संपर्क किसी 180 डिग्री के बदलाव की तरह ही था।
संघ से रॉबर्ट सॉलोमन इतना प्रभावित हुए कि हिन्दू संस्कृति और चिंतन देखकर उन्होंने भी हिन्दू धर्म अपना लिया। ये RSS के हिन्दू जागरण मंच की शाखा में प्रचारक के तौर पर काम करने लगे। रॉबर्ट सॉलोमन से बदलकर उनका नाम सुमन कुमार हो गया। आज वो हिन्दू जागरण मंच के बिहार-झारखंड क्षेत्र के संगठन मंत्री हैं। उन्होंने बताया कि भारत आने से पहले उन्हें जानकारी दी गई थी कि संघ के लोग ईसाईयों को प्रताड़ित करते हैं और बाईबल तक जला देते हैं।
रॉबर्ट सॉलोमन ने कहा कि दी गई जानकारी से विपरीत जब वो भारत आए तो उन्होंने संघ का एक दूसरा ही रूप देखा। उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि संघ के लोग किसी को भी परेशान नहीं करते हैं। वो साफ कहते हैं कि ईसाई धर्म का प्रचार करना है तो करो; परंतु धर्मांतरण मत करो। उन्होंने कहा, “भारत में रहना है तो भारत को समझिए, भारत को जानिये और भारतीयता में रंगिये।”
उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने झारखंड में चल रहे धर्मांतरण के रैकेट के खिलाफ अभियान चलाया। मिशनरी पर लोगों को विश्वास करने से रोका। उन्होंने राज्य में धर्मांतरण को रोकने के लिए चिंतन शिविरों को आयोजन किया। कई बार RSS के वरिष्ठ कार्यकर्ता इंद्रेश कुमार भी इन शिविरों में आए। धर्मांतरण के उद्देश्य से आए रॉबर्ट सॉलोमन ने न केवल खुद संघ से प्रभावित होकर हिन्दू धर्म अपनाया, बल्कि उन्होंने सुमन कुमार बनकर धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों की घर वापसी भी कराई।
सुमन कुमार ने खुद बताया है कि वो अब तक करीब 8,000 धर्मांतरण कर चुके लोगों की घर वापसी करा चुके हैं, जो कि एक सकारात्मक पहल है। ये प्रकरण एक उदाहरण है कि RSS हिन्दू संस्कृति के आधार पर लोगों पर किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाता है, बल्कि लोगों को सहजता से सच्चाई से रूबरू कराता है।
वो लोग जो RSS के नाम पर आए दिन दुष्प्रचार फैलाने की कोशिश करते हैं, और RSS को एक कट्टर हिन्दूवादी संगठन मानते हैं; उन सभी के लिए रॉबर्ट सॉलोमन से सुमन कुमार बने शख्स एक सकारात्मक उदाहरण हैं। इनकी प्लानिंग तो हिन्दुओं को ईसाई बनाने की थी, लेकिन RSS से प्रभावित होकर ये न केवल खुद हिन्दू बने, बल्कि इन्होंने 8,000 लोगों की घर वापसी भी करवा दी और यह घटना न केवल संघ पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने वालों के मुंह पर एक तमाचा है बल्कि भारतीय संस्कृति की रमणीयता की भी एक झलक दिखाती है।