पायलट को BJP में शामिल हो जाना चाहिए या अपने भाग्य के आगे आत्मसमर्पण कर देना चाहिए

सचिन पायलट

PC: newswing

कांग्रेस की स्थिति इतनी बुरी है कि जब एक राज्य की परेशानी खत्म होती है, तो दूसरे और फिर तीसरे राज्य में विद्रोह शुरू हो जाती है। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू का झगड़ा सुलझाने के नाम पर अमरिंदर का अपमान कर दिया गया था। ऐसे में अब पंजाब के बाद पार्टी राजस्थान में गहलोत और पायलट के टकराव को दबाने के लिए भी तैयारी कर चुकी है। केसी वेणुगोपाल और अजय माकन को इसीलिए आलाकमान द्वारा दिल्ली से राजस्थान भेजा गया है, लेकिन दिलचस्प बात ये है कि पार्टी का पैटर्न बताता है कि सचिन पायलट को कुछ खास प्राप्ति नहीं होने वाली है, इसलिए उनके लिए बेहतर है कि वो बीजेपी में शामिल हो जाएं।

पंजाब के बाद अब राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच दरार को पाटने की कोशिश करने लगी है। इस मामले में अब पार्टी केसी वेणुगोपाल और अजय माकन को दिल्ली से राजस्थान भेजा है। पार्टी ने इनको काम दिया है कि किसी भी तरह से टकराव को शांत कराना है। ख़बरें ये भी हैं कि पार्टी जल्द ही राजस्थान में कैबिनेट विस्तार करवाने की तैयारी में है, जिससे पार्टी की राज्य में राजनीतिक फजीहत न हो, लेकिन अब सवाल ये है कि क्या पार्टी में सचिन पायलट की महत्वकांक्षाएं पूरी होंगी।

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सचिन पायलट ने पिछले साल जून-जुलाई में मुख्यमंत्री के विरुद्ध मोर्चा खोला था। उनका उद्देश्य था कि पार्टी में उनके नेताओं को महत्व मिले, और उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए। इसके विपरीत अशोक गहलोत ने उन्हें ही झटका देते हुए उनके विधायकों और समर्थक नेताओं को नजरंदाज करना शुरू कर दिया। पायलट के विधायकों को दिल्ली ले जाने का नतीजा ये हुआ कि पार्टी आलाकमान ने उनसे डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के पद से ही हटा दिया। आज की स्थिति में पायलट के पास कांग्रेस का कोई भी महत्वपूर्ण पद नहीं है। अब केसी वेणुगोपाल और माकन के जरिए ये दिखाया जा रहा है कि पार्टी पायलट को महत्व देने वाली है।

इसके विपरीत कांग्रेस के पैटर्न को देखें तो कहा जा सकता है कि कांग्रेस से पायलट को कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं मिलने वाला है। सबसे पहले बात करते हैं मध्य प्रदेश के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की, पार्टी ने उनके नेतृत्व में चुनाव जीता और उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने का नतीजा ये हुआ कि सिंधिया साइड लाइन हो गए। सिंधिया को राज्यसभा सीट के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा था। ऐसे में साल भर में सरकार गिर गई और आज सिंधिया बीजेपी में सम्मान के साथ मोदी कैबिनेट में हैं। सिंधिया को बीजेपी में जाने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लेकर निचले स्तर के नेता कोसते रहते हैं, लेकिन असल‌ में कांग्रेस की ही इस केस में भद्द पिटी।

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कुछ इसी तरह कांग्रेस आलाकमान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरुद्ध मोर्चा खोलने वाले नवजोत सिंह सिद्धू का कद बढ़ा दिया है। कैप्टन अमरिंदर को पंजाब कांग्रेस का सबसे बड़ा माना जाता है, उनके संबंध में ये तक कहा गया कि 2017 का चुनाव उन्होंने आलाकमान की मदद के बिना जीता था।  कांग्रेस आलाकमान कैप्टन के बढ़ते कद को लेकर इतना परेशान था कि उन्होंने चाटुकारिता के कारण अपरिपक्वता का पर्याय बन चुके कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया है। कांग्रेस यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि उसने पंजाब का झगड़ा सुलझा लिया है लेकिन संभावनाएं हैं कि कैप्टन कभी भी विद्रोह की नई ज्वाला भड़का सकते हैं।

साफ है कि कांग्रेस ने पंजाब और मध्य प्रदेश में मजबूत नेताओं का अपमान किया है, जिसके चलते सिंधिया ने पार्टी छोड़ी, और कैप्टन से भी ऐसे ही विद्रोह की आशंका है। कुछ इसी आधार पर ये कहा जा सकता है कि गहलोत ने साल भर पहले जैसे पायलट को अपमानित किया था, कुछ इसी तरह झगड़ा सुलझाने के नाम पर कांग्रेस आलाकमान उन्हें अपमानित कर सकता है, इसलिए सचिन पायलट के लिए ये बेहतर होगा कि वो पार्टी छोड़कर बीजेपी ही ज्वाइन कर लें, जहां सिंधिया की तरह ही उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें सम्मान मिल सकता हैं।

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