पीएम मोदी के ‘हनुमान’ हैं पीयूष गोयल! गोयल को कपड़ा मंत्रालय देने के पीछे है मोदी की रणनीति

सोच समझ कर किए गए हैं कैबिनेट में बदलाव!

कपड़ा मंत्रालय

हाल ही में मोदी सरकार ने एक अप्रत्याशित दांव चला है, जहां अकर्मण्य मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा है, चाहे वो प्रकाश जावड़ेकर हों, रमेश पोखरियाल निशंक हो या फिर कोई और। लेकिन इसी बीच दो मंत्रियों की नियुक्ति ने सोशल मीडिया के स्वघोषित अर्थशास्त्रियों और आलोचकों की सिट्टी-पिट्टी गुल कर दी है। पीयूष गोयल को वाणिज्य मंत्रालय के साथ रेल मंत्री के बजाए कपड़ा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है, जो उनके ‘ओहदे’ के अनुसार बहुत नीचे हैं।

इसपर सोशल मीडिया पर बड़ी मिश्रित प्रतिक्रिया आ रही है। कुछ लोग पीयूष गोयल की अवनति करने के लिए मोदी सरकार को ‘आड़े हाथ’ ले रहे हैं।

लेकिन सच तो यह है कि पीयूष गोयल वो मंत्री है जो बंजर खेत पर भी फसल उगा दे। उनका कभी डिमोशन नहीं होता, बल्कि उनकी परीक्षा ली जाती है। उदाहरण के लिए, जब उन्होंने रेल मंत्रालय की कमान संभाली थी, तो वह बेकार नहीं थी, परंतु सुरेश प्रभु ग्राउन्डवर्क में निपुण थे, PR और कॉर्पोरेट जगत को संभालने में नहीं।

लेकिन पीयूष गोयल के हाथ से रेल मंत्रालय हटाकर कपड़ा मंत्रालय देना डिमोशन कैसे नहीं है? दरअसल, पीयूष गोयल ऐसे व्यक्ति हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी टीम के लिए उत्कृष्ट परफ़ॉर्मेंस में विश्वास रखते हैं। जब ऊर्जा मंत्रालय उन्हें सौंपा गया था, तो वह बेहद खस्ता हालत में थी, लेकिन आज उनके नेतृत्व में देश ऊर्जा संकट से न केवल बाहर आ चुका है, बल्कि अब अतिरिक्त ऊर्जा निर्मित करने में भी सक्षम है।

इसी भांति रेल मंत्रालय को यदि सुरेश प्रभु ने आवश्यक ग्राउन्डवर्क और इन्फ्रास्ट्रक्चर दिया है, तो पीयूष गोयल ने रेल मंत्रालय को एक्सीडेंट प्रूफ और आकर्षक बनाने में भी काफी सहयोग दिया। वुहान वायरस के दौरान पीयूष गोयल के मार्गदर्शन में ही रेलवे मंत्रालय ने वुहान वायरस से निपटने में अहम योगदान दिया। अब ऐसे में जब स्मृति ईरानी ने बतौर कपड़ा मंत्री औसत काम किया है, तो कपड़ा उद्योग का कायाकल्प करने की जिम्मेदारी पीयूष गोयल पर ही आती है।

पीयूष गोयल इन दोनों में ही पारंगत है और इसी कारण से इन्हें जो भी मंत्रालय दिया गया , वो चाहे जैसा भी था, उसका कायाकल्प करके ही दम लिया। इसीलिए इसी उद्देश्य से इन्हें कपड़ा मंत्रालय सौंपा गया है।

इसी परिप्रेक्ष्य में TFI के संस्थापक अतुल मिश्रा ने भी अपने विचार प्रकट किए हैं। उनके ट्वीट्स के अनुसार, “निर्मला सीतारमण को हटाना चाहिए, क्योंकि दहेसार के अर्थशास्त्री और उत्तम नगर के कुछ वित्तीय विश्लेषकों ने फरमान जारी किया है। ये बात कि उन्होंने इस देश को सबसे मुश्किल समय से कुछ खरोंचों और चोटों सहित सफलतापूर्वक निकाल लिया यह कई लोगों को पचेगा नहीं। ऐसे ही कुछ लोगों का मानना है कि पीयूष गोयल को डिमोट किया गया है” –

लेकिन अतुल मिश्रा वहीं पर नहीं रुके। उन्होंने आगे ट्वीट किया, “पीयूष गोयल अपने संगठन कौशल के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने ऊर्जा मंत्री और रेल मंत्री के तौर पर सिद्ध भी किया है। अब उनके मंत्रालय एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। जो काम स्मृति ईरानी सही ढंग से नहीं पूरा कर पाई, उन्हें पूरा करने का अवसर बतौर कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल के पास है।”

इसके अलावा कपड़ा उद्योग एक ऐसा उद्योग है, जिसमें अवसर तो खूब है, लेकिन उसका उपयोग कभी भी ढंग से नहीं हुआ है। यदि ऐसा हुआ होता, तो कपड़ा उद्योग 80 के दशक में यूनियनबाज़ी की भेंट नहीं चढ़ा होता। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि पीयूष गोयल भारत सरकार के सबसे बड़े संकटमोचक में से एक है और ऐसे में उन्हें कपड़ा मंत्रालय सौंपकर एक बार फिर उनसे यही आशा की जा रही है कि वे कपड़ा उद्योग का भी कायाकल्प कर देंगे।

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