PM मोदी की कैबिनेट का बिल्कुल नया “सहयोग मंत्रालय” – है क्या ? और यह आपको कैसे प्रभावित करने वाला है?

शाह की 'Ministry of Cooperation' कैसे डालेगी आम लोगो पर प्रभाव?

सहकारिता

सहकारिता मंत्रालय है क्या? 

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रालय में फेरबदल किया है। इसमें जो अकर्मण्य थे, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया है, और कई नए चहरों को अवसर भी दिया गया है। इसी बीच एक अहम निर्णय में सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया है, जिसकी कमान कोई और नहीं, स्वयं गृह मंत्री अमित शाह संभालेंगे।

लेकिन ये सहकारिता मंत्रालय है क्या? इससे क्या लाभ हो सकता है, और किन चुनौतियों से निपटने में सहायता हो सकती है? सहकारिता मंत्रालय कैबिनेट मंत्रालय का ही एक अहम हिस्सा होगा, जिसकी कमान गृह मंत्री अमित शाह संभालेंगे। यह मंत्रालय कोऑपेरेटिव संगठनों के लिए ‘ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस’ में सहयोग करेगा, और साथ ही साथ अनेक राज्यों में सहकारी संगठनों की सहभागिता को बढ़ावा देगा।

परंतु सहकारिता मंत्रालय का देश पर असर क्या पड़ेगा? इससे आम जनता को क्या लाभ मिलेगा? इस पर प्रकाश डालते हुए द हिन्दू की रिपोर्ट में कहा गया है, “सरकार का मानना है कि हमारे देश में एक सहकारी संगठन आधारित आर्थिक मॉडेल की बहुत आवश्यकता है, जहां हर सदस्य जिम्मेदारी के साथ राष्ट्र के निर्माण में सहयोग दे। इसी आशा से ये मंत्रालय सहकारी संगठनों के लिए ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ में सहयोग करेगा’ और ‘सहकार से समृद्धि’ के लक्ष्य’ को पूरा करने में सहयोग करेगा।”

यह मंत्रालय क्या काम करेगा?

लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं है। देश में पिछले कुछ सालों में कोऑपरेटिव्स से जुड़े घोटालों में काफी इजाफा हुआ है। हम सभी जानते हैं कि महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सहकारी बैंकों के नाम पर संसाधनों का कितना दुरुपयोग हुआ है। ऐसे में इन भ्रष्ट गतिविधियों पर नियंत्रण लगाने के लिए भी एक स्पष्ट, वैधानिक फ्रेमवर्क की सख्त आवश्यकता है।

नवभारत टाइम्स के रिपोर्ट के ही अंश अनुसार, “हाल ही में महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने ताबड़तोड़  कार्रवाई की है। इसके तहत ED ने सतारा जिले के चिमनगांव-कोरोगांव इलाके में स्थित 65 करोड़ रुपये मूल्य की जारंदेश्वर चीनी मिल को अस्थायी रूप से सीज कर दिया। न्यूज एजेंसी ‘ANI’ की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे मामले के तार राज्य के डिप्टी सीएम अजीत पवार और उनकी पत्नी से भी जुड़े हो सकते हैं। यह घोटाला 25000 करोड़ रुपये का है।”

एक प्रकार से केंद्र सरकार ने सहकारिता मंत्रालय के जरिए एक ही तीर से दो शिकार किये हैं। एक ओर उन्होंने गरीबों के उन्मूलन और उनके सशक्तिकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। वहीं दूसरी तरफ उन्होंने बिना लाग लपेट के सहकारिता मंत्रालय के जरिए भ्रष्ट अफसरों और दोहरे मापदंड अपनाने वाले राजनीतिज्ञों के लिए भी एक निश्चित उपाय ढूंढ निकाला है। मतलब हींग लगे न फिटकरी और रंग भी चोखा।

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