केरल गोल्ड घोटाला: कम्युनिस्ट सरकार जबरदस्ती बीजेपी नेताओं का नाम घसीटना चाहती है !

आरोपी का कहना है कि उसका मानसिक और शारीरिक तौर पर शोषण भी किया जा रहा है!

केरल गोल्ड घोटाले में एक नया मोड़ सामने आया है। इस घोटाले से जुड़े एक आरोपी ने केरल पुलिस और सरकार पर बदसलूकी और प्रताड़ना का आरोप लगाया है। सिर्फ प्रताड़ना और बदसलूकी नहीं बल्कि आरोप ये भी लगाया गया है कि केरल पुलिस इस आरोपी के जरिए भाजपा नेताओं को इस घोटाले में घसीटना चाहती है।

ये हमारा नहीं, ये कहना है केरल गोल्ड घोटाले के प्रमुख आरोपियों में से एक पीएस सरिथ का। NIA कोर्ट में दाखिल याचिका के अनुसार पूजाप्पुरा सेंट्रल जेल के सुपरईंटेंडेंट समेत तीन अधिकारियों ने उनका मानसिक और शारीरिक शोषण किया है। ये भी दावा किया गया है कि उसके ऊपर घोटाले में कथित तौर पर शामिल भाजपा नेताओं के नाम लेने का भी दबाव बनाया जा रहा है।

इस बात पर NIA ने केरल प्रशासन को हड़काते हुए केरल पुलिस के DGP को ये सुनिश्चित करने को कहा कि आरोपियों को विशेषकर पीएस सरिथ को किसी प्रकार का नुकसान न हो और उनकी निजी सुरक्षा का पूरा प्रबंध किया जाए।

ये केरल गोल्ड घोटाला है क्या, जिससे वर्तमान केरल प्रशासन आज भी इतना भयभीत है? जुलाई 2020 में तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर कस्टम्स विभाग के अफसरों ने 30 किलो सोना जब्त किया था, जो Diplomatic immunity का फ़ायदा उठाते हुए UAE ले जाया जा रहा था। जांच पड़ताल में UAE कॉन्सुलेट जनरल के यहाँ पूर्व पब्लिक रिलेशन्स ऑफिसर रह चुके सरिथ कुमार और पूर्व कॉन्सुलेट अधिकारी स्वप्ना सुरेश का नाम सामने आया था।

स्वयं गोल्ड घोटाले की प्रमुख आरोपी स्वप्ना सुरेश के अनुसारकस्टम्स विभाग द्वारा की जा रही पूछताछ में स्वप्ना सुरेश ने उजागर किया है कि विजयन को सोने की तस्करी के बारे में पूरी जानकारी थी और वे UAE के कॉन्सुलेट से बराबर टच में भी थे।”

स्वप्ना सुरेश इतने पर ही नहीं रुकी, उन्होंने आगे बताया, विजयन के साथ-साथ 3 कैबिनेट मंत्री भी इस पूरे प्रकरण में शामिल थे, जिनमें केरल के तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष पी श्रीरामकृष्णन भी शामिल हैं। कस्टम्स विभाग के हलफनामे के अनुसार स्वप्ना सुरेश सीएम विजयन और UAE कॉन्सुलेट के बीच मध्यस्थता करती थीं, क्योंकि CM अरबी नहीं बोलते हैं।”

कुछ हफ्तों पहले मलयाली न्यूज पोर्टल मातृभूमि की एक रिपोर्ट आई थी, जिसने आरोप लगाया था कि कैसे लूट के सोने की कथित तौर पर हिस्सेदारी होती थी और एक हिस्सा कथित रूप से कम्युनिस्ट पार्टी यानी सत्ताधारी केरल सरकार को भी जाता था।

अब केरल सरकार किसी भी भांति इस घोटाले से अपना नाम हटाना चाहती है, लेकिन उनकी तैयारी इतनी आधी अधूरी थी कि पी एस सरिथ ने काम पूरा होने से पहले ही उनका भंडाफोड़ कर दिया।

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