26 जनवरी 2021 के दिन एक तरफ पूरे भारतवर्ष में हर्षोल्लास के साथ देश का 72वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ देश की राजधानी दिल्ली में कथित किसानों ने दंगे और हिंसा का प्रदर्शन किया था। इस घटना ने देश का सर शर्म से झुका दिया था। अफसोस की बात यह है कि, कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर से खुद को दंगाइयों के साथ जोड़ लिया है। दरअसल, दिल्ली पुलिस ने पंजाब के जिन किसानों पर केस दर्ज किया था पंजाब सरकार उन्हें कानूनी सहायता के साथ-साथ मुआवजा देने पर भी विचार कर रही है।
बता दें कि प्रदेश कांग्रेस ने कांग्रेस विधायक कुलदीप वैद की अगुवाई में एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी में भारतीय जनता पार्टी छोड़ शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के विधायक शामिल हैं। इस कमेटी का उदशेय यह है कि, सरकार राज्य से जुड़े 100 किसानों का बयान दर्ज कर रही है, यह वही किसान है, जिनका नाम किसान आंदोलन दंगों से जुड़ा हुआ है। अभी तक 60 किसानों का बयान दर्ज भी किया जा चुका है। बयान के आधार पर उन्हें पंजाब सरकार सरकारी खर्चे पर सुविधा मुहैया कराएगी, जिसमें नौकरी, पैसा जैसी अन्य सुविधाएं है।
TFI ने किसान आंदोलन की वास्तविकता बहुत पहले ही उजागर कर दी थी। हमने स्पष्ट रूप से बताया था कि, यह किसान आंदोलन, भारत विरोधी तत्वों द्वारा करवाया जा रहा है और इन कथित किसानों को राजनीतिक शह प्राप्त है। हाल ही में पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी TFI की दलीलों को पुख्ता करते हुए कहा था कि, ‘कैप्टन की जगह कोई और होता तो केंद्र सरकार के बजाय किसानों के गुस्से का सामना पंजाब सरकार को करना पड़ता’।
नवजोत सिंह सिद्धू की राज्य पार्टी के नए प्रमुख के रूप में नियुक्ति के उपलक्ष्य में कांग्रेस समारोह में बोलते हुए जाखड़ ने कहा, “पूरा पंजाब कृषि कानूनों के विरोध में सामने आया है। उस समय अगर कोई अन्य मुख्यमंत्री होता आज जो विरोध प्रदर्शन हो रहा है, वह हमारे (पंजाब सरकार और कांग्रेस) के खिलाफ होता। उन्होंने (अमरिंदर सिंह) किसानों को बखूबी संभाला और वहां (दिल्ली बॉर्डर) भेज दिया।”
और पढ़ें- ‘अमरिंदर ने किसानों को भेजा था दिल्ली’ सुनील जाखड़ ने खोल दिया कांग्रेस का काला चिट्ठा
जाखड़ के बयानों का सिर्फ एक ही अर्थ हो सकता है कि, पंजाब मुख्यमंन्त्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब के किसानों को दिल्ली बार्डर पर भेजा था। कैप्टन की बातों को मानने वाले कथित किसान हो न हो, कांग्रेस पार्टी के समर्थक या कार्यकर्ता है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी quidproquo(प्रतिदान) देने हेतु कथित किसानों को 26 जनवरी के हिंसा के आरोप से बचाने की पूरी कोशिश कर रही है। ये ही नहीं पंजाब सरकार ने उन्हें सरकारी मुआवजा और अन्य लाभ देकर, उन्हें हिंसा करने के लिए इनाम भी दिया है।
इससे स्पष्ट होता है कि महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों का ढिंढोरा पीटने वाली कांग्रेस पार्टी अपनी राजनीतिक फायदे के कथित किसान आंदोलनकारियों का समर्थन कर रही है और दंगाइयों को अघोषित इनाम देकर, हिंसा को बढ़वा भी दें रही है।