‘राजपूत’ रवींद्र जडेजा ने ‘ब्राह्मण’ सुरेश रैना का समर्थन किया, तो हिंदू विरोधी नफरत में उबल पड़े

रवींद्र जडेजा ने सुरेश रैना के समर्थन में अपने जाति पर गर्व क्या किया, जातिवादी वामपंथियों के छाती पर सांप लोटने लगे

राजपूत बॉय रवींद्र जडेजा

राजपूत बॉय फॉरेवर लिखने से क्या होता है? कुछ नहीं, बस कुछ वामपंथियों की अंतरात्मा को जलन होती है। कुछ ऐसा ही किया है भारतीय क्रिकेट स्टार रवींद्र सिंह जडेजा ने, जिन्होंने सुरेश रैना के समर्थन में एक ट्वीट राजपूत बॉय फॉरेवर से घोर जातिवादी वामपंथियों को क्रोध से ओंठ चबाने पर विवश कर दिया है –

 

हाल ही में, तमिलनाडु प्रिमियर लीग में बतौर कमेंटेटर सुरेश रैना को आमंत्रित किया गया था। तमिलनाडु की संस्कृति को लेकर अपना अनुभव साझा करते हुए सुरेश ने अपने जाति का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे इससे उन्हें तमिल संस्कृति से जुडने में सहायता मिली।

इसी बात पर वामपंथी उन्हें जद्द बद्द सुनाने लगे। सनातन संस्कृति का गुणगान करने के लिए नासा की इंटर्न प्रतिमा रॉय को अपमानित करने वाली कुख्यात चरमपंथी संस्था मिशन अंबेडकर एक बार अपने असली रूप में आते हुए ट्वीट किया, “रैना और रवींद्र आप अपनी द्विज जाति का महिमामंडन कर सकते हैं। यह वर्ण व्यवस्था की महिमा है। लेकिन एक शूद्र और एक अछूत अपने वर्ण का महिमामंडन कैसे करेंगे?”

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स्वयं रवींद्र जडेजा भी इसी वामपंथ का शिकार हो चुके हैं। पिछले जब उन्होंने तलवार चलाते हुए एक वीडियो अपलोड की, जिसका शीर्षक था ‘राजपूत बॉय’, तो उसपर वामपंथियों ने उन्हें बहुत अपमानित किया। लेकिन इस बार जो उन्होंने ‘राजपूत बॉय’ ट्वीट किया, वो मानो जानबूझकर किया गया था, ऐसे लोगों को उकसाने के लिए कि हाँ, हूँ मैं उच्च जाति का, जो करना है कर लो।

रवींद्र जडेजा का यही एक राजपूत बॉय ट्वीट इन निकृष्ट वामपंथियों की विकृत मानसिकता को बाहर निकालने के लिए काफी था। कुछ लोग तो सिर्फ इसी राजपूत बॉय ट्वीट बात पर रवींद्र जडेजा को भी ठीक उसी तरह निशाने पर लेने लगे, जैसे सुरेश रैना को लिया गया था। उदाहरण के लिए कुश अम्बेडकरवादी के इस ट्वीट को देख लें,

“वही राजपूत, जिन्होंने अकबर के साथ जोधा ब्याही थी?”

 

एक अन्य जातिवादी यूजर, दिलीप मण्डल ट्वीट करते हैं, “ओके। बाप राजपूत है तो बेटा भी राजपूत ही होगा। वेद से लेकर गीता और मानुस्मृति के हिसाब से तो जाति तो जन्म से ही तय होती है। ज्यादातर जगह तो हिंदुओं के शमशान भी अलग अलग होते हैं। हर जाति दूसरी जाति से नफरत करती है। सिर्फ दंगे के समय ये हिन्दू बन सकते हैं”

 

एक ही ट्वीट में सनातन संस्कृति के लिए अपनी घृणा और वामपंथी संस्कृति के प्रति चाटुकारिता दोनों ही दिलीप मण्डल ने प्रदर्शित कर दी। लेकिन रवींद्र जडेजा ऐसे ही वामपंथियों को अंदर तक जलाने तक के लिए प्रसिद्ध है। जब वह क्रिकेट के मैदान पर भी कोई उपलब्धि प्राप्त करते हैं, तो वह चिर परिचित शैली में एक राजपूत की भांति अपने बल्ले को तलवार की भांति चलाते हुए अपनी शैली में सेलिब्रेट करते हैं। इससे भी कई वामपंथियों को समय समय पर दिक्कत रही है।

लेकिन इस बार सुरेश रैना के समर्थन में सिर्फ एक राजपूत बॉय ट्वीट से रवींद्र जडेजा ने वामपंथियों को ऐसा झटका दिया है, जिससे उबरने में उन्हे कई दिन लग सकते हैं। जिस प्रकार से उन्होंने जाति पर गर्व करने की बात कही है, वो भी गलत नहीं है, क्योंकि उन्होंने किसी जाति का अपमान नहीं किया है।

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