अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भारत दौरे पर हैं। ये दौरा बेहद अहम है, लेकिन इससे ठीक कुछ ही दिनों पहले असम मिज़ोरम के सीमा पर हिंसक झड़प होती है, जिसमें 6 पुलिसकर्मी शहिद हो गये। यहां राज्य सरकारों और खुफिया एजेंसियों की लापरवाही के साथ एक बड़ी साजिश भी दिखाई दे रही है। जल्द ही कुछ तथ्य और सोशल मीडिया लिंक्स सामने आने लगे, जिससे प्रश्न उठते हैं कि ये सब महज संयोग है या फिर एक सुनियोजित योजना के अंतर्गत भारत का नकारात्मक चित्रण किया जा रहा है? ऐसा कहने के पीछे दो कारण है, जिनपर चर्चा करना बेहद आवश्यक है। सर्वप्रथम तो अभी हाल ही में एक ट्विटर ट्रेंड काफी चर्चा में आया – Shame on Assam। यह ट्रेंड एक प्रकार से मिज़ोरम और असम की हिंसक झड़प को लेकर है और ये ट्रेंड तब देखने को मिला जब अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भारत दौरे पर आये हुए हैं । इसको लेकर विक्रांत कुमार नामक ट्विटर यूजर ने कहा, “मैंने Shame on Assam ट्रेंडिंग ‘देखा, फिर जल्दी से चेक किया कि कौन इसे ट्रेंड करा रहा है। आपको विश्वास नहीं होगा, केवल एक तिहाई हैंडल भारत से है, बाकी सब अमेरिकी बॉट है। तो इस कुत्सित ट्रेंड के पीछे कौन है?”
Saw the' Shame on Assam' hashtag trending.. so did a quick check on who is trending it.
Found that most of the handles are from the USA, only 1/3rd from India. Just 2.6 million reach shows that mostly bots were used.
Who is behind it? pic.twitter.com/wjXf9OftCV
— Vikrant ~ विक्रांत (@vikrantkumar) July 28, 2021
‘असम-मिज़ोरम संघर्ष के पीछे Beef व्यापारी और ड्रग माफिया’, हिमंता बिस्वा सरमा ने खोली पोल
अमेरिकी विदेश मंत्री भारतो दौरे पर आये और असम-मिजोरम में तनाव की आग में भारत विरोधी तत्वों ने घी डालने का काम शुरू कर दिया जिसे संयोग तो नहीं कहा जा सकता। ऐसे में सवाल उठते हैं कि असम और मिज़ोरम के पुलिसकर्मियों के बीच यह झड़प ठीक उसी समय क्यों हुई, जब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के भारत दौरे में एक-दो दिन ही शेष थे? कुछ ऐसा ही 2020 में भी हुआ था जब डोनाल्ड ट्रम्प भारत दौरे पर थे और उत्तर भारत में हिंसा भड़काई गई थी। इस हिंसा ने भारत की छवि पर बट्टा लगाने का काम किया था।
दरअसल, 2020 में जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत दौरे पर आए थे, तो उनके स्वागत में अहमदाबाद में ‘Howdy Modi’ के तर्ज पर ‘नमस्ते ट्रम्प’ का आयोजन किया गया। ठीक उसी दिन पूर्वोत्तर दिल्ली के जाफराबाद क्षेत्र में उपद्रवियों ने शाहीन बाग के तर्ज पर कब्जा जमाने का प्रयास किया, लेकिन जब स्थानीय लोगों ने विरोध किया, तो कट्टरपंथी मुस्लिम भड़क गए और उन्होंने पूर्वोत्तर दिल्ली को हिंसा की आग में झोंक दिया। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि ये दंगा जानबूझकर डोनाल्ड ट्रम्प के दौरे के दौरान किया गया, ताकि भारत की छवि को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धूमिल किया जा सके।
इसी प्रकार से बोरिस जॉनसन गणतंत्र दिवस परेड के लिए भारत आने वाले थे, लेकिन उससे ठीक पहले किसान आंदोलन के नाम पर दिल्ली में जो आतंक फैलाया गया है, उससे कोई भी अपरिचित नहीं है। अब ठीक एक वर्ष बाद इसी प्रकार से भारत में अराजकता को बढ़ावा देने की नीयत से पूर्वोत्तर में हिंसा भड़काई गई है। इसी ओर स्वयं असम के मुख्यमंत्री हिमन्ता बिस्वा सरमा ने भी इशारा किया है। ऐसे में एक ही निष्कर्ष निकलता है – जब भी ब्लिंकन जैसा कोई भी अहम विदेशी नेता भारत दौरे पर आता है, तो असामाजिक तत्व जानबूझकर हिंसा को बढ़ावा देते हैं, ताकि वे अपना कुत्सित एजेंडा साध सकें और भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नीचा दिखा सकें।