फादर स्टेन स्वामी, जिन्हें एलगार परिषद मामले में गिरफ्तार किया गया था, उन्होंने मुंबई के अस्पताल में कल अपनी आखरी सांस ली है । 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। स्टेन स्वामी को पिछले वर्ष 8 अक्टूबर में उनके निवास स्थान रांची से गिरफ्तार किया गया था। स्टेन स्वामी पर माओवादियों के साथ कनैक्शन के आरोप लगे थे। अतः उन्हें गैर- कानूनी गतिविधियां (रोकधाम) यानि UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था।
स्टेन स्वामी का इलाज मुंबई के होली फैमिली अस्पताल में लंबे समय से चल रहा था। ऐसे में अस्पताल होली के निदेशक डॉ इयान डिसूजा ने उच्च न्यायालय की जस्टिस एस एस शिंदे और जस्टिस एन जे जमादार की पीठ को बताया कि रविवार तड़के स्वामी को दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। अधिकारी ने अदालत को बताया, ‘उनकी (स्वामी) हालत ठीक नहीं हो पायी और आज दोपहर उनका निधन हो गया।’ उन्होंने बताया कि फेफड़े में संक्रमण, पार्किंसंस रोग और कोविड-19 की जटिलताओं के कारण स्वामी की मौत हो गयी।
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स्टेन स्वामी की मौत उनके बढ़ते उम्र और कई सारी बीमारियों के कारण हुआ है, लेकिन हमारे देश के लेफ्ट लिबरल्स और विपक्षी नेताओं ने इस स्वाभाविक मृत्यु में अपना अजेंडा से जोड़ कर नैरेटिव तैयार कर रहें है और वह यह है कि- स्वामी की मौत सरकार और कानून व्यवस्था की वजह से हुई है। वामपंथी स्वामी की मौत का जिम्मेदार NIA और जेल प्रशासन को भी मान रहें है। बता दें कि, स्वामी के वकील ने बॉम्बे हाई कोर्ट में उन्हें जमानत दिलाने के लिए याचिका डाली थी।
स्टेन स्वामी के निधन पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”फादर स्टेन स्वामी के निधन पर संवेदना। वह न्याय और मानवता के पक्षधर थे।”
Heartfelt condolences on the passing of Father Stan Swamy.
He deserved justice and humaneness.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 5, 2021
रामचंद्रा गुहा ने अपने टिवीटर पर लिखा कि, ‘स्वामी जिंदगी भर गरीब और मजलूम लोगों के लिए लड़े हैं। उनके इस मौत का जिम्मेदार गृह मंत्रालय और कोर्ट है।‘
Father Stan Swamy spent a lifetime working for the dispossessed and the disadvantaged. His tragic death is a case of judicial murder, for which the Home Ministry and the Courts are jointly culpable.
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) July 5, 2021
बता दें कि स्टेन स्वामी अपने जीवनकाल में आदिवासियों के हक़ की लड़ाई की आड़ में नक्सल और माओवादी गतिविधियों का समर्थन किया है। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में स्टेन स्वामी की भूमिका अहम मानी जा रही है। आरोप है कि, 31 दिसंबर 2017 को एलगार परिषद में हुए एक सम्मेलन में भड़काऊ भाषणों से संबंधित है जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि अगले दिन इन भाषणों के कारण कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी।
आरोप यह भी है कि स्वामी सीपीआई –माओवादी के प्रमुख सदस्य रह चुके हैं। यह संगठन अपने आतंकी गतिविधियों के कारण प्रतिबंधित है। NIA ने अपनी चार्जशीट में दावा किया था कि, स्वामी को 8 लाख रुपये नक्सल गतिविधियों को बढ़ाने के लिए दिया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि, स्टेन स्वामी के ऊपर संगीन आरोप लगे थे, जिससे उन्हें जमानत मिल पाना मुश्किल था।