प्रियंका ने कांग्रेस को बचा रखा है, लेकिन नेता राहुल हैं, क्रेडिट राहुल को जाएगा क्योंकि राहुल ‘लड़के’ हैं’

कांग्रेस का महिला विरोधी चरित्र का एक इतिहास है, प्रियंका गांधी भी उसी का शिकार हो रही हैं ?

कांग्रेस पार्टी में बवाल मचा है। महाराष्ट्र से लेकर पंजाब तक हर जगह कांग्रेस पार्टी आंतरिक कलह से जूझ रही है। भारत का सबसे पुराना राजनीतिक दल आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है, और इस लड़ाई में सबसे बड़ी भूमिका निभा रही हैं प्रियंका गांधी।

प्रियंका गांधी जिन्होंने कांग्रेस को डूबने से बचाने की जिम्मेदारी उठा रखी है। कई अहम मुद्दों पर, कई अहम जगहों पर हमने देखा कि प्रियंका गांधी फैसले करती नजर आईं। प्रियंका गांधी ने विवादों को सुलझाया लेकिन इनका क्रेडिट हमेशा राहुल गांधी को दिया जाता है, आखिर ऐसा क्यों ? क्या सिर्फ इसलिए क्योंकि राहुल गांधी, बेटे हैं- गांधी परिवार के पुत्र हैं ?

राज्यों में पार्टी के नेतृत्व को लेकर मची आंतरिक कलह और गुटबाजी खत्म करने का जिम्मा प्रियंका गांधी ने उठा रखा है। कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए अभी मात्र प्रियंका ही भरसक प्रयास कर रही हैं। प्रत्येक मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति प्रियंका के दिशा-निर्देश पर ही बन रही है।

वहीं, अगर इन मुद्दों पर कांग्रेस के लिए कुछ सकारात्मक आता दिखता है तो इसका पूरा क्रेडिट तुरंत राहुल गांधी को दे दिया जाता है। इससे क्या ये परिणाम निकाला जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी में महिलाओं के साथ भेदभाव होता है। प्रियंका गांधी को भी क्रेडिट इसलिए नहीं दिया जाता क्योंकि वो महिला हैं।

इसको साफ तौर पर कहने के लिए हमें इतिहास में जाना पड़ेगा। कांग्रेस पार्टी के राजनीतिक इतिहास की अगर बात करें तो पार्टी के अंदर इंदिरा गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक ने विरोध झेला है। इंदिरा गांधी को पहले तो ‘कांग्रेस के आदमी’ प्रधानमंत्री नहीं बनने देना चाहते थे, हालांकि विकल्प के अभाव में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बन भी गईं तो इसके बाद भी इंदिरा के साथ ठीक व्यवहार नहीं किया गया। बात इतनी बढ़ गई कि कांग्रेस पार्टी दो भागों में टूट गई। 1969 में इंदिरा गांधी ने अपने धड़े को लेकर कांग्रेस (आई) नाम से नई पार्टी बनाई।

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इसके बहुत बाद जब राजीव गांधी की हत्या कर दी गई तो फिर से कांग्रेस अध्यक्ष का सवाल उठा। इस दौरान भी सोनिया गांधी को नजरअंदाज़ किया गया, हालांकि बाद में सोनिया गांधी ही कांग्रेस अध्यक्ष बनीं।

महिलाओं के सम्मान को लेकर पूरी की पूरी कांग्रेस पार्टी का ही रिकॉर्ड ख़राब है। पार्टी के बाहर छोड़िए पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए ही कांग्रेस नेताओं ने ऐसी-ऐसी शब्दावली का इस्तेमाल किया है जो साफ करती है कि कांग्रेस महिला विरोधी पार्टी है। राहुल गांधी ने संघ पर हमला बोलते हुए कहा था कि ‘संघ में कोई महिला Short पहने हुए दिखती है क्या?’

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक सभा में महिला को आइटम कहा था। कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने एक कांग्रेस नेता को टंच माल बताया था। पूर्व कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा था कि ‘‘शादी के बाद औरत में वो बात नहीं रहती।”
जिस पार्टी का चरित्र ही महिला विरोधी रहा हो उस पार्टी में हम ये कैसे उम्मीद कर सकते है कि प्रियंका गांधी के साथ न्याय होगा।

हाल ही में CBSE परीक्षाओं को स्थगित करने के सरकार के फैसले को कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल गांधी की जीत के तौर पर प्रचारित-प्रसारित कर रहे थे, हालांकि ये सरकार ने बिना किसी विपक्षी पार्टी के दवाब के फैसला किया था। इसके बाद भी अगर हम देखें तो एकदम साफ है कि इस मुद्दे को लेकर प्रियंका गांधी मुखर थी।

प्रियंका गांधी ने छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से बात की थी, और सरकार से लगातार मांग कर रही थी कि परीक्षाओं को स्थगित किया जाए।

कांग्रेस पार्टी आगामी चुनावों को देखते हुए प्रियंका के नेतृत्व में ही काम कर रही है, फिर चाहे वो पंजाब हो या उत्तर प्रदेश। पंजाब में अमरिंदर-सिद्धू के बीच का विवाद भी प्रियंका गांधी ही सुलझाने में लगी हैं।

यूपी में योगी सरकार के ख़िलाफ़ भी प्रियंका गांधी ही बोलती हैं, आपको कहीं भी इसमें राहुल गांधी काम करते हुए नहीं दिखेंगे लेकिन जैसे ही क्रेडिट की बात आएगी राहुल गांधी आ जाएंगे। ऐसे में बिल्कुल साफ है कि प्रियंका गांधी को इसलिए क्रेडिट नहीं दिया जाता क्योंकि वो महिला हैं।

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