कभी-कभी कुछ भारतीय ऐसे काम कर देते हैं जिससे यह अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है कि भारतीयों के टैलेंट का लेवल क्या है। सिर्फ अच्छे काम में ही नहीं बल्कि कभी-कभी बुरे काम में भी जिसका परिणाम अन्य भारतीयों के लिए घातक साबित हो जाता है। अब उदहारण के लिए दक्षिण अफ्रीका को ही देख लीजिए। पूरा देश अराजकता की आग में जल रहा है। भारतीयों को ही चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है, उनके बिजनेस पर हमला किया जा रहा है और उन्हें लुटा जा रहा है। इन सब की वजह भी भारतीय ही है। भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के सहारनपुर के रहने वाले तीन भाई (गुप्ता ब्रदर्स ) हैं, अजय गुप्ता, अतुल गुप्ता और राजेश गुप्ता। दक्षिण अफ्रीका के कई इलाको में इन गुप्ता भाइयों के कारण वहाँ रहने वाले अन्य भारतीयों पर हिंसक हमले हो रहे हैं। कारण है इन भाईयों का भ्रष्टाचार जिसमें इन्होंने दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति भी लपेटे में ले लिया।
भ्रष्टाचार के आरोपों के सिलसिले में पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा की गिरफ्तारी के बाद से दक्षिण अफ्रीका व्यापक हिंसा की चपेट में है। पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के जेल जाने के बाद, दक्षिण अफ्रीका में शुरू हुई हिंसा में अभी तक कम से कम 72 लोगों की जान जा चुकी है। हालांकि, सबसे ज्यादा प्रभावित वहां रहने वाले भारतीय हैं।
कहा जाता है कि दक्षिण अफ्रीका के Gauteng और KwaZulu-Natal प्रांतों में हुए दंगों में अज्ञात संख्या में भारतीय मूल के कई लोग मारे गए। भारतीय समुदाय के स्वामित्व वाले हजारों व्यवसायों को लूट लिया गया और नष्ट कर दिया गया। डरबन, जहां दस लाख भारतीय दक्षिण अफ़्रीकी रहते हैं, वहाँ उनकी दुकानों, व्यवसायों और गोदामों को लूटने के बाद आग लगा दिया गया। डरबन में 50,000 से अधिक व्यवसाय नष्ट या प्रभावित हुए हैं, जहां कई रिटेल और प्रौद्योगिकी व्यवसाय, मोटर डीलरशिप, चिकित्सा केंद्र, फ़ार्मेसी और सुपरमार्केट भारतीय समुदाय द्वारा चलाए जाते हैं।
दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हमले का कारण गुप्ता ब्रदर्स का भ्रष्टाचार हैं जो 1990 के दशक में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से दक्षिण अफ्रीका चले गए थे।
गुप्ता ब्रदर्स – अजय गुप्ता, राजेश गुप्ता, और अतुल गुप्ता 1993 में दक्षिण अफ्रीका चले गए। अतुल सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका गए और वहाँ उन्होंने सहारा कंप्यूटर्स कंपनी नामक एक छोटे पारिवारिक व्यवसाय की शुरुआत की। BBC की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में, यह 10,000 से अधिक लोगों को रोजगार देता है और इसका वार्षिक कारोबार लगभग 22 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। धीरे-धीरे कंप्यूटर व्यवसाय से, गुप्ता बंधुओं ने खनन, प्रौद्योगिकी, मीडिया जैसे अन्य व्यवसायों में प्रवेश किया और अंततः सरकार में अपनी इतनी धाक जमा ली कि वहां के मंत्रियों की भी नियुक्ति इनके कहने पर होती थी।
ऐसा कहा जाता है कि 2015-16 के आसपास एक सहारा कंप्यूटर कार्यक्रम में गुप्ता ब्रदर्स और जैकब जुमा के बीच मुलाकात के बाद, अतुल गुप्ता राष्ट्रपति के करीबी बन गए। वे इतने करीबी हो गए कि उन्हें “जुप्ता”(जुमा+गुप्ता) के नाम से जाना जाने लगा।
हालाँकि, 2016 से कहानी में ट्विस्ट आया, जब गुप्ता ब्रदर्स ने तत्कालीन उप वित्त मंत्री को वित्त मंत्री के पद पर पदोन्नत करने का वादा किया और गुप्ता बंधुओं के व्यावसायिक हितों को आगे बढ़ाते रहने की शर्त रखी थी।
मार्च 2016 में, उप वित्त मंत्री मसेबिसी जोनास ने कहा कि गुप्ता परिवार के एक सदस्य ने उन्हें 2015 में 60 करोड़ रैंड यानी 375 करोड़ रुपये के बदले में मंत्री पद पर पदोन्नत करने की पेशकश की थी। उन्होंने तब गुप्ता बंधुओं पर सरकारी खजाना लूटने का भी आरोप भी लगाया।
लगभग उसी समय, पूर्व वित्त मंत्री प्रवीण गोरधन ने भी आरोप लगाया कि जैकब जुमा सरकार से उन्हें निकाल दिए जाने में भी गुप्ता ब्रदर्स ही जिम्मेदार थे।
बता दें कि 2017 में, लगभग 1 लाख ईमेल लीक हुए थे, जिससे पता चलता है कि गुप्ता ब्रदर्स ने जैकब जुमा सरकार को कितना प्रभावित किया था। लीक हुए ईमेलों के कारण जैकब जुमा और गुप्ता परिवार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। 2009 से 2018 के बीच पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए गए जिनकी जांच विधि आयोग द्वारा की जा रही थी।
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पैनल आरोपों की जांच कर रहा है कि उन्होंने तीन भारतीय मूल के व्यवसायियों गुप्ता ब्रदर्स , अतुल गुप्ता, अजय गुप्ता और राजेश गुप्ता को ‘राज्य के संसाधनों को लूटने’ और सरकारी नीति पर प्रभाव डालने की अनुमति क्यों दी। जुमा को अदालत की अवमानना के आरोप में गिरफ्तार किया गया और 15 महीने के लिए Escort correction centre भेज दिया गया है।
जुमा ने फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इसके विरोध में उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए। कई जगहों पर प्रदर्शन हुए और हिंसा भड़क उठी तथा भारतीयों पर हमले शुरू हो गए। भारत के विदेश मंत्री ने दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री से बातचीत की है। अब यह देखना है कि दंगे कब समाप्त होते हैं।