अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते आतंक के बीच अफगान सेना प्रमुख के 27 जुलाई से भारत आने की ख़बर है। जनरल वली मोहम्मद अहमदजई की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिकी बलों की वापसी के बाद पूरे अफगानिस्तान में तालिबान कब्जा करने की कोशिशों में लगा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जनरल वली मोहम्मद अहमदजई अपने समकक्ष जनरल एमएम नरवने और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल समेत शीर्ष भारतीय सैन्य अधिकारियों के साथ व्यापक बातचीत करेंगे।
एक सूत्र के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगान सेना प्रमुख जनरल वली मोहम्मद अहमदजई के तीन दिवसीय दौरे पर 27 जुलाई को भारत आने का कार्यक्रम है। उनका मकसद रक्षा सहयोग को मजबूत करना होगा। अफगानिस्तान पहले ही अपनी वायु क्षमता बढ़ाने के लिए भारत की मदद मांग चुका है। अब अफगान सेना प्रमुख का भारत आना यह संकेत करता है कि दोनों देशों के बीच कुछ योजना चल रही है। यह योजना भारत द्वारा अफगानिस्तान को सैन्य सहयोग हो सकता है।
यह मदद किसी भी रूप में हो सकती है- चाहे वो गोला बारूद हो यह तमाम सैनिक जरुरतें। एयर सपोर्ट की मदद से भी इनकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह अफगानिस्तान की मांग रही है। भारत, अफगान सेना, Northern Alliance या दूसरे तालिबान विरोधी मिलिशिया की मदद कर तालिबान को खदेड़ने में मदद कर सकता है।
अब यह भी खबर सामने आ रही है कि Northern Alliance एक बार फिर से तालिबान के खिलाफ एकजुट हो रहा है। भारत पहले से ही Northern Alliance के नेताओं जैसे पूर्व उपराष्ट्रपति मार्शल अब्दुल राशिद दोस्तम और हेरात के इस्माइल खान का समर्थन करता रहा है। बता दें कि यह Northern Alliance ही था जिसने 1996 और 2001 के बीच तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार तालिबान से लड़ने के लिए दर्जनों लड़ाकों ने तालिबान के खिलाफ उत्तरी प्रांतों में वफादारी का वादा किया है। इस खबर के बाद भारत भी अफगान सेना और Northern Alliance का साथ दे सकता है।
यह यात्रा, हालांकि कई महीने पहले निर्धारित की गई थी, ऐसे समय में हो रही है जब तालिबान काबुल के द्वार तक आ पहुंचा है। कब्जा किए गए जिलों और प्रमुख केंद्रों को वापस लेने के लिए तालिबान और अफगान सेना के बीच भीषण लड़ाई छिड़ी हुई है।
अफगानिस्तान में भारत के लिए एक प्रमुख सुरक्षा चिंता लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे समूहों के 7,000 से अधिक पाकिस्तानी आतंकवादियों की मौजूदगी है। ये लड़ाके तालिबान के साथ कई इलाकों में लड़ रहे हैं। अब देखना ये होगा कि अफगान सेना प्रमुख जनरल वली मोहम्मद अहमदजई की यात्रा के बाद सैन्य मदद पर भारत क्या रुख अपनाता है।
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हालाँकि अफगान सरकार ने अभी तक भारत से सैन्य हस्तक्षेप की मांग नहीं की है, लेकिन भारत में अफगानिस्तान के दूत फरीद मामुंडजे ने कुछ सप्ताह पहले Foreign Policy को बताया था कि अफगानिस्तान ऐसा कर सकता है। दूत ने कहा था कि अगर उनकी तालिबान के साथ पूर्ण रूप से लड़ाई छिड़ जाती है तो वे भारत की सैन्य सहायता चाहेंगे।
अफगान सेना प्रमुख जनरल वली मोहम्मद अहमदजई ऐसे समय में भी भारत का दौरा करेंगे जब पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान के संबंध नए तनाव में आ गए हैं, खासकर तब जब अफगान दूत की बेटी का पिछले हफ्ते इस्लामाबाद में अज्ञात लोगों द्वारा अपहरण और हमला किया गया था। घटना के बाद अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के राजदूत और वरिष्ठ राजनयिकों को वापस बुला लिया था।
पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने इस युद्धग्रस्त देश को कम से कम पांच सैन्य हेलीकॉप्टर प्रदान किए हैं, जिससे अफगानिस्तान की वायु शक्ति मजबूत हुई है।
अफगान सेना को केवल non-lethal support प्रदान करने की नीति पर टिके रहने के बाद, भारत ने 2015-16 में अफगानिस्तान को चार MI -35 अटैक हेलीकॉप्टर और 2019 में चार और एमआई -35s प्रदान किए, जिन्हें बेलारूस द्वारा त्रिपक्षीय समझौते के तहत नवीनीकृत किया गया था। भारत ने 2016 में अफगानिस्तान को तीन चीता हल्के हेलीकॉप्टर भी प्रदान किए थे।
ऐसे में अब भारत सैन्य मदद भी कर सकता है। अफ़ग़ानिस्तान में अपने किये गए विकास कार्यों और Structural Development को बचाने के लिए तथा तालिबान के हमलों को रोकने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि भारत न सिर्फ सैन्य बल्कि वायु सेना की मदद भी भेजे।
भारत अफगानिस्तान की शांति और स्थिरता में एक प्रमुख हितधारक रहा है। यह पहले ही देश में सहायता और पुनर्निर्माण गतिविधियों में लगभग 3 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश कर चुका है। वहीँ, भारत घायल अफगान सैन्यकर्मियों के चिकित्सा उपचार में भी भूमिका निभा रहा है, जिनमें से कई का देश भर के अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
पिछले ही महीने राष्ट्रपति अशरफ गनी ने जनरल यासीन जिया की जगह जनरल वली मोहम्मद अहमदजई को नया सेनाध्यक्ष नियुक्त किया था। रिपोर्ट्स के अनुसार जनरल अहमदजई अपने बलों की युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए भारत से सैन्य हार्डवेयर की आपूर्ति की मांग कर सकते हैं।