NHRC की रिपोर्ट आ गई है और इसमें वो सभी सबूत है, जिससे बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सके

ममता अब अपना बोरिया बिस्तर बांधने की तैयारी शुरू कर सकती हैं!

बंगाल NHRC

बंगाल में गुंडाराज चल रहा है, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन इस बात की पुष्टि अब आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानि NHRC ने भी कर दी है, और वह भी अब CBI जांच एवं बंगाल के बाहर जांच पड़ताल की मांग कर रहा है। इसके साथ ही साथ वह ये भी सुनिश्चित करा रहा है कि बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू होने में कोई कसर न रह जाए।

2 मई 2021 को बंगाल के विधानसभा चुनाव में तृणमूल काँग्रेस ने लगातार तीसरी बार चुनाव में विजय प्राप्त करने के साथ ही 213 सीटें प्राप्त की। लेकिन या तो वे इस बात से भड़क गए कि ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव हार गई या फिर इस बात से कि अब भाजपा राज्य में प्रमुख विपक्षी पार्टी है, जिसके कारण TMC के नेताओं ने हिंसा का ऐसा तांडव रचा कि एक बार को डायरेक्ट एक्शन डे के भयानक दिन याद आ जाए।

अब NHRC की माने तो बंगाल में कानून का राज नहीं, गुंडाराज चल रहा है। वो कैसे? बिज़नेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, “NHRC की रिपोर्ट कहती है कि बंगाल में इस समय जो स्थिति व्याप्त है, उसे हम सामान्य तो बिल्कुल नहीं कह सकते। यहाँ कानून का राज तो बिल्कुल नहीं है। यहाँ पर हत्या और दुष्कर्म के जो भी मामले सामने आए हैं, उसके लिए हम निष्पक्ष सीबीआई जांच की मांग करते हैं, जो बंगाल से बाहर हो।”

जांच पड़ताल को बंगाल के बाहर कराने का अर्थ स्पष्ट है – NHRC को पश्चिम बंगाल एवं उसके संस्थानों, विशेषकर उसके पुलिस प्रणाली पर कोई विश्वास नहीं है।

यह उनकी रिपोर्ट में भी स्पष्ट ज़ाहिर होता है, जहां उन्होंने वर्तमान बंगाली प्रशासन की भरपूर निन्दा की है।  रिपोर्ट के अंश अनुसार, “कितनी विडंबना की बात है कि जिस राज्य में रवींद्रनाथ टैगोर जैसे कवि पैदा हुए, जहां पर भयमुक्त मन और गर्व से परिपूर्ण व्यक्तियों की बातें की जाती थी, उस बंगाल में लोगों को अपने विचार रखने के लिए मारा जा रहा है। उनकी बहू बेटियों की इज्जत लूटी जा रही हैं, उन्हें घर छोड़ने पर विवश किया जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में ये घटनाएँ हद से ज्यादा हो गई। ये देश में लोकतंत्र के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता है। यदि इसे अभी नहीं रोक गया, तो ये सड़ांध अन्य राज्यों में भी फैलने लगेगी। यदि पुलिस ने इस अराजकता में सक्रिय भूमिका नहीं निभाई है, तो इसे नियंत्रित न करके भी उन्होंने कोई कल्याणकारी काम नहीं किया है।”

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इस रिपोर्ट में बंगाल की वर्तमान दशा को मानो अक्षरश: बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट से लेकर NHRC तक में रिपोर्ट्स दाखिल की गई कि किस प्रकार से सत्ता के नशे में चूर होकर तृणमूल काँग्रेस के गुंडों ने ममता की शह पाकर पूरे बंगाल में तांडव मचाया। भाजपा के कार्यकर्ता तो छोड़िए, छोटे छोटे बच्चे, और वृद्ध नागरिकों तक को नहीं बख्शा गया। सुप्रीम कोर्ट के सामने एक ऐसा मामला सामने आया, जहां एक 60 वर्षीय महिला का सिर्फ इसलिए दुष्कर्म किया गया, क्योंकि उसका बेटा भाजपा के लिए प्रचार करता था।

यही नहीं, जब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम इस बारे में जांच पड़ताल करने बंगाल आई, तो उन पर भी तृणमूल काँग्रेस के गुंडों ने हमला कर दिया। ये अराजकता की पराकाष्ठा नहीं तो क्या है? ऐसे में NHRC की रिपोर्ट ये सुनिश्चित कर रही है कि बंगाल में राष्ट्रपति शासन का रास्ता अब साफ हो जाए, क्योंकि ममता बनर्जी बंगाल संभालने के योग्य बिल्कुल नहीं रही, और बतौर विधायक उनके पास अब ज्यादा समय भी नहीं है।

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