जम्मू-कश्मीर में अब दूसरे राज्य के दामादों को भी मिलेगी स्थानीय नागरिकता, खरीद सकेंगे जमीन

मोदी सरकार ने कानून बदल दिया है और ये पाकिस्तान के लिए एक और झटका है।

जम्मू कश्मीर नागरिकता

जम्मू कश्मीर में काले कानूनों को खत्म करने के साथ ही बड़े सुधारों की शुरुआत तो उसी दिन हो गई थी, जब अनुच्छेद-370 और 35-ए को मोदी सरकार ने खत्म किया था। इसके बाद से ही जम्मू कश्मीर में देश के कानूनों को संविधान के अनुसार लागू करने के कदम धीरे-धीरे मोदी सरकार उठा रही है, लेकिन अब राज्य की युवतियों के विवाह से संबंधित एक ऐसा फैसला लिया गया है जो कि पहली नजर में तो साधारण लग सकता है लेकिन उसका असर बड़ा होने वाला है। इसकी वजह ये है कि अब यहां की युवतियों के साथ विवाह करने वाले युवकों को भी जम्मू कश्मीर की नागरिकता मिलेगी और उनके बच्चों को भी राज्य के स्थानीय नागरिक का दर्जा मिलेगा। 20 जुलाई को जारी हुआ ये आदेश ऐसा है जिसका असर पाकिस्तान पर भी नकारात्मक ही होगा।

अनुच्छेद-370 के समाप्ति के पहले जम्मू कश्मीर में महिलाओं की सबसे ज्यादा दुर्गति होती थी। उनके विवाह को लेकर कानून था कि यदि वो जम्मू कश्मीर के अलावा देश के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी करती है तो उनकी जम्मू कश्मीर की नागरिकता खत्म हो जाती थी।

इसके साथ ही उनके राज्य संबंधी अधिकार छिन जाते थे, लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं। अनुच्छेद-370 के खात्मे के बाद अब उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने एक बड़ा फैसला लिया है। उपराज्यपाल ने फैसला किया है कि अब जम्मू कश्मीर की कोई भी युवती देश के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से अपनी मर्जी के आधार पर विवाह कर सकती है, इससे उसकी नागरिकता या राज्य संबंधी अधिकारों पर कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा।

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इतना ही नहीं केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन के आदेश की महत्वपूर्ण बात ये भी है कि विवाह करने वाले युवकों और दंपत्ति के बच्चों तक को स्थानीय तौर पर जम्मू कश्मीर की नागरिकता या सभी विधायी अधिकार मिलेंगे। उप-राज्यपाल द्वारा उठाया गया ये कदम अपने आप में ऐतिहासिक है, क्योंकि इस नियम के बाद युवतियों की विवाह संबंधी सभी अड़चने दूर हो जाएंगी।

नए आदेश के बाद ये युवक सरकारी नौकरी पाने तक के अधिकारी होंगे। महत्वपूर्ण बात ये है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने डोमिसाइल में संशोधन की अधिसूचना को लेकर अपनी सहमति दर्ज करा दी है। इस अहम फैसले के बाद अब सरकार देश के अन्य राज्यों में विवाह करने वाली जम्मू कश्मीर की बेटियों के बच्चों को भी डोमिसाइल का अधिकारी बनाने  के लिए प्लानिंग कर रही है।

खास बात ये भी है कि अब डोमिसाइल का ये नियम लिंग के आधार पर नहीं है, युवतियों या युवकों के लिए समान तरह के प्रावधान ही रहेंगे। इस अधिसूचना के पहले विवाह के दौरान डोमिसाइल प्रमाणपत्र मिलने में दिक्कतें आती थी, क्योंकि नागरिकता के लिए कम से कम 15 साल तक जम्मू कश्मीर में रहना पड़ता था, और सरकारी अधिकारियों में उनके बच्चों के लिए भी नागरिकता के संबंध में विशेष प्रवाधान थे।

गौरतलब है कि डोमिसाइल को लेकर जम्मू कश्मीर में महिलाओं के लिए काफी मुश्किलें थीं क्योंकि यदि वो भारत के किसी भी अन्य राज्य के युवक के साथ विवाह करती थीं तो उनके राज्य संबंधी सारे अधिकार छिन जाते थे, जिसमे रोजगार से लेकर संपत्ति तक के अधिकार भी थे। इसके विपरीत अब परिस्थितियां बद गईं हैं।

इसका एक बड़ा नुकसान पाकिस्तान को भी होने वाला है क्योंकि अभी तक राज्य की नागरिकता में एक अजीबो-गरीब प्रावधान ये भी था कि पाकिस्तान से आने वाले युवकों के साथ शादी करने पर युवती की नागरिकता तो नहीं जाती थी, बल्कि उस पाकिस्तानी युवक को स्वतः ही नागरिकता मिल जाती थी।

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पुराने प्रावधानों के वक्त में पाकिस्तानी नागरिकों से विवाह से जुड़े प्रावधान युवतियों के जरिए भारत में आतंक फैलाने का एक मौका थे। आतंकी पहले तो युवतियों फंसाकर उनसे शादी करते थे, फिर यहां आतंक का तांडव मचाते थे, लेकिन अब उन सभी प्रावधानों पर अनंतकाल के लिए ब्रेक लग गया है। इस फैसले से पाकिस्तान को एक बड़ा झटका लगा और संभवतः इससे जुड़ी प्रतिक्रियाएं जल्द ही सामने भी आएंगी।

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