समंदर में चीन को टक्कर देने के लिए भारत का एक और फैसला, सरकार नियुक्त करेगी NMSC

कारगिल युद्ध के बाद से ये फैसला पेंडिंग पड़ा था!

समुद्री सुरक्षा समन्वयक

भारत सरकार आखिरकार देश की समुद्री तटीय रेखा में अपनी सुरक्षा को बढ़ा रही है। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार नरेंद्र मोदी सरकार राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक (NMSC) बनाने और नियुक्त करने के लिए पूरी तैयारी कर चुकी है। साउथ ब्लॉक के सूत्रों के अनुसार भारतीय नौसेना के एक सेवारत या हाल ही में सेवानिवृत्त वाइस एडमिरल को इस पद के लिए नियुक्त किया जाएगा।

समुद्री सुरक्षा समन्वयक, भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अधीन काम करेगा और समुद्री सुरक्षा डोमेन पर सरकार का प्रमुख सलाहकार होगा। यह ध्यान देने योग्य है कि हमारा पड़ोसी देश चीन, जोकि हिंद महासागर में भारत के लिए खतरा बन गया है, वो 21वीं सदी में समुद्र की चुनौतियों से निपटने के लिए अपने शासन ढांचे को पुनर्गठित करने में कामयाब रहा है। हालांकि, भारत इस मामले में पिछड़ गया था।

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बता दें कि दो दशक पहले कारगिल ग्रुप ऑफ मिनिस्टर की कमेटी ने समुद्री सुरक्षा समन्वयक पद को बनाने के लिए भारत सरकार को सुझाव दिया था। कमेटी ने “नौसेना, तटरक्षक बल, केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रालयों के बीच संस्थागत संबंधों के लिए समुद्री मामलों के प्रबंधन के लिए एक शीर्ष निकाय’’ की आवश्यकता को रेखांकित किया था।

एक शीर्ष संघीय निकाय की स्थापना से देश के महत्वपूर्ण जलमार्गों में दुश्मनों की आवाजाही पर रोक लगेगी। गौरतलब है कि समुद्री सुरक्षा पर काम करने वाले अधिकारियों के बीच सामंजस्य की कमी के कारण 26/11 जैसा कायरतापूर्ण हमला भारत पर हुआ।

आतंकवादी कराची से पूरे रास्ते मुंबई के तट तक एक साधारण नाव पर पहुंचने में कामयाब रहे। नौसेना, तटरक्षक बल और मुंबई पोर्ट सभी अपने अधिकार क्षेत्र को लेकर आपस में भिड़ गए और आखिरकार देशवासियों को उनके मतभेद का खामियाजा उठाना पड़ा था।

इस साल की शुरुआत में चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने घोषणा की थी कि निकाय की स्थापना के संबंध में तौर-तरीकों पर काम किया गया है।

जनरल बिपिन रावत ने कहा था, “अंतर-मंत्रालयी परामर्श के बाद एक राष्ट्रीय समुद्री आयोग (NMC) के संगठनात्मक ढांचे पर काम किया गया है। यह अब अंतिम चरण में है, जिसके लिए केवल सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) की मंजूरी की आवश्यकता है। इस साल के मध्य तक एनएमसी एक वास्तविकता बन जाएगी।”

भारत का समुद्री तट कुल 7,516 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। Exculsive economic zone का विस्तार 2.03 मिलियन वर्ग में फैला हुआ है। देश का 90 प्रतिशत से अधिक का व्यापार और मुख्यतौर पर कच्चे तेल का 70 प्रतिशत से अधिक का व्यापार समुद्र के रास्ते होता है। समुद्र का रास्ता हमारे देश के अर्थव्यवस्था और ऊर्जा के लिए महत्वपूर्ण है।

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अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास चीन का प्रभाव खत्म हो रहा है। चीन ने अब अपना ध्यान Malacca Strait की और केंद्रित कर लिया है। TFI की रिपोर्ट के अनुसार चीन की 80 प्रतिशत तेल आपूर्ति दक्षिण चीन सागर से Malacca Strait से होकर गुजरती है और कोई भी भारतीय उपस्थिति चीन की हाइड्रोकार्बन आपूर्ति को आसानी से बाधित कर सकती है। इससे चीन को घुटने पर आने में देर नहीं लगेगी।

यदि भारत हिंद महासागर में चीन की उपस्थिति को कम या सीमित करना चाहता है तो केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों (गृह, शिपिंग, मत्स्य पालन आदि) और राज्य सरकारों से लेकर नौसेना, तटरक्षक, सीमा शुल्क, खुफिया एजेंसियों और बंदरगाह अधिकारियों तक विभिन्न हितधारकों के बीच तालमेल की आवश्यकता है। राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक की त्वरित घोषणा इस प्रक्रिया में तेजी ला सकती है और भारत को अपनी रक्षा को मजबूत करने में मदद कर सकती है।

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