देश की संसद में हमने कई बार देखा है कि सांसदों द्वारा मर्यादाओं की बलि चढ़ाई जाती है, लेकिन ऐसे सांसदों के ख़िलाफ़ कोई ज्यादा सख्त कार्रवाई नहीं की जाती। इस बार उस परंपरा के विपरीत देश के उप-राष्ट्रपति और राज्यसभा के अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने इस मामले में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने राज्यसभा में कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथ से दस्तावेज छीनकर फाड़ दिए थे। वेंकैया नायडू ने इस पर सख्त कार्रवाई करते हुए शांतनु सेन को सदन के पूरे सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया है। इसको वेंकैया नायडू का एक बड़ा फैसला माना जा रहा है।
हम संसद में अक्सर देखते हैं कि सदस्य स्पीकर के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करते हुए सदन की मर्यादाएं लांघ जाते हैं। सदन में पर्चे उछालने से लेकर कुर्सियां टूटने तक की खबरें सभी ने सुनी और देखी हैं।
इस बार तो तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद शांतनु सेन ने सारी मर्यादाएं ही तार-तार कर दी हैं। पेगासस मामले में राज्यसभा में रेल और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव सरकार का पक्ष रख रहे थे, इसी दौरान सांसद शांतनु सेन ने उनके हाथ से दस्तावेज छीनकर फेंक दिए।
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एक मंत्री के साथ इस तरह का आपत्तिजनक बर्ताव विपक्षी सांसदों के अमर्यादित व्यवहार को दर्शाता है। ऐसे में शांतनु पर कार्रवाई करते हुए राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने उन्हें इस सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया है। उन्होंने कहा, “सदन में हो रहे घटनाक्रम से मैं बहुत व्यथित हूं. दुर्भाग्य से सदन की कार्यवाही के दौरान मंत्री के हाथ से कागज छीन लिया गया और उसे फाड़कर फेंका गया। इस तरह की हरकत हमारे संसदीय लोकतंत्र पर स्पष्ट हमला है। सांसद शांतनु सेन को इस सत्र के लिए निलंबित किया जाता है।”
शांतनु सेन के ख़िलाफ़ कार्रवाई का प्रस्ताव राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने दिया था। इस मामले को लेकर रेल और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “टीएमसी की बंगाल में हिंसा की संस्कृति है और वही संस्कृति वो संसद में लाने की कोशिश कर रहे हैं। टीएमसी ने बंगाल में बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर जिस तरह की हिंसा की है, उसी संस्कृति को आज वो संसद में ला रहे हैं।”
सांसद शांतनु सेन के इस रवैए पर सरकार का रुख बेहद आक्रामक है। इस मुद्दे पर विपक्ष की कोशिश है कि किसी भी तरह से वेंकैया नायडू अपना फैसला वापस ले लें और उनका सस्पेंशन रद्द हो। टीएमसी से लेकर कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है, लेकिन सभापति वेंकैया नायडू का रुख बेहद ही सख्त है, जोकि अन्य सांसदों के लिए अब उदाहरण है कि सांसदों द्वारा विरोध के नाम पर किसी भी तरह का अमर्यादित रवैया स्वीकार नहीं किया जाएगा।