White House ने अपने ट्वीट में ताइवान का झंडा लगाया और फिर हटा दिया, शायद बीजिंग से फोन आया होगा!

चीन से दुश्मनी बाइडन मोल नहीं ले सकते!

व्हाइट हाउस ट्वीट

जब से जो बाइडन ने अमेरिका की कमान संभाली है तब से विश्व का सबसे शक्तिशाली देश चीन के सामने घुटनों पर आता दिखाई दे रहा है। कई मौकों पर चीन के विरोध को देखने हुए अमेरिका अपने कदम पीछे खिंच चुका है। इसी क्रम में एक और उदहारण देखने को मिला जब व्हाइट हाउस ने पहले ताइवान के झंडे के साथ ट्वीट किया और फिर उसे चीन के डर के कारण डिलीट कर दिया।

दरअसल, मंगलवार यानी 6 जुलाई को, व्हाइट हाउस ने एक ट्वीट पोस्ट किया जिसमें राष्ट्रपति बाइडन ने अमेरिका को “arsenal of vaccines for the world” बताया और उल्लेख किया कि जिन देशों को 40 मिलियन वैक्सीन के डोज दान किया गया है उसमें ताइवान भी है। ट्वीट में पोस्ट किये गए फोटो में ताइवान को दिखाने के लिए उसका झंडा लगाया गया था, और कहा गया था कि इस द्वीप देश को 18 जून को मॉडर्ना COVID-19 वैक्सीन के 240,000 डोज प्राप्त हुई थी।

उसी दिन, ताइवान के राष्ट्रपति Tsai Ing-wen ने इस पोस्ट को रीट्वीट भी किया और अमेरिका को उसकी उदारता के लिए धन्यवाद देते हुए लिखा, “एक साथ, हम इस महामारी को हरा देंगे।”

हालाँकि, बुधवार को, व्हाइट हाउस के ट्वीट को अचानक डिलीट कर दिया गया था। अब यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अमेरिका ने चीन की नाराजगी के डर से इसे हटा दिया। ऐसा लगता है इस पोस्ट के बाद अमेरिका को जिनपिंग का फोन आया और उसे इस पोस्ट को हटाना पड़ा।

बता दें कि अमेरिका भी, अधिकांश देशों की तरह केवल बीजिंग के साथ आधिकारिक संबंध रखता हैं, जो ताइवान को चीनी क्षेत्र के रूप में दावा करता है। हालाँकि, डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल में अमेरिका के ताइवान के साथ अनौपचारिक संबंधों को गहरा करने के लिए कई कदम उठाये गए थे परन्तु अब जो बाइडन चीन के साथ पंगा नहीं लेना चाहते हैं और ताइवान को एक स्वतंत्र देश का ओहदा नहीं होने देना चाहते है।

व्हाइट हाउस के ट्वीट में ताइवान का अलग से झंडा लगाना उसकी स्वतंत्रता को स्वीकार करने जैसा है। चीन किसी भी ऐसी हरकत से ही नाराज हो जाता है जिसमें ताइवान को स्वतंत्र देश मानाने की बात हो। हालाँकि, रॉयटर्स के अनुसार उस दिन व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता ने दावा किया कि ग्राफिक्स टीम की यह एक honest mistake थी। साथ ही यह भी कहा कि अमेरिका अपनी ताइवान नीति में बदलाव नहीं करने जा रहा है। प्रेस सचिव Jen Psaki ने व्हाइट हाउस की दैनिक प्रेस वार्ता में कहा, “इसे किसी भी तरह से आधिकारिक अमेरिकी नीति में बदलाव के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। जब हमें गलती का ऐहसास हुआ तो हमने ट्वीट को हटा दिया।”

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उन्होंने कहा कि अमेरिका वन चाइना पॉलिसी के लिए प्रतिबद्ध है, जो पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को मान्यता देती है लेकिन ताइवान की स्वतंत्रता को नहीं। बाइडन सरकार के इस तरह चीन के सामने घुटनों पर आने के बाद सीनेटर टेड क्रूज़ ने बाइडन प्रशासन को लताड़ लगायी। ताइवान के झंडे की एक छोटी सी इमोजी लगाकर उन्होंने ट्वीट किया कि, “यह ताइवान का ध्वज है।”

साथ ही उन्होंने बाइडन प्रशासन पर “कम्युनिस्ट तानाशाह शी को अपमानित करने के डर से” ध्वज को “स्वीकार करने से डर जाने” का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, बाइडन “चीन के मामलों पर कमजोर” हैं।

 

कुछ दिनों पहले भी Indo-Pacific पर व्हाइट हाउस के समन्वयक कर्ट कैंपबेल ने एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ASPI) द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन चर्चा के दौरान यह कहा था कि,“हम ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करते हैं अब ताइवान के झंडे वाले ट्वीट को हटा दिया गया। दोनों घटनाओं से स्पष्ट संकेत जाता है कि बाइडेन प्रशासन ताइवान के मामलों पर अब चीन के सामने घुटनों पर आ चुका है और शी जिनपिंग को नाराज नहीं करना चाहता है।

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