चीन रहने योग्य जगह नहीं है, और यह चीनियों से बेहतर कौन जान सकता है? चीन में आप किस प्रजाति के हो, इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि कम्युनिस्ट चीन में सबका शोषण समान रूप से हुआ है। Han प्रजाति के चीनियों को छोड़कर बाकी चीनियों के साथ जमकर शोषण किया जाता है, जिसके कारण समय-समय पर भारी संख्या में चीन से पलायन भी हुआ है, और अब शी जिनपिंग के राज में एक बार फिर से ये समस्या खुलकर सामने आने लगी है।
चीन पलायन से बिल्कुल भी अपरिचित नहीं है। जब 1960 के दशक में माओ जेडोंग के नेतृत्व में चीन ‘सांस्कृतिक क्रांति’ से गुजर रहा था, तो बाकी चीनी उन देशों की ओर भाग रहे थे, जहां उन्हे किसी भी प्रकार की मानवता दिखाई दे।
शी जिनपिंग के शासन में एक बार फिर से आव्रजन यानी चीन से पलायन की समस्या ने विकराल रूप धारण किया है। UNHCR के आंकड़ों के अनुसार, चीन से विभिन्न देशों में शरण मांगने वालों की संख्या 2012 से 2020 के बीच में 15362 से बढ़कर 107864 हो चुकी है।
दिलचस्प, बात यह है कि 2012 ही वह वर्ष था जब शी जिनपिंग ने चीन की सत्ता संभाली थी। चीन में हालात कितने खराब हैं, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि The Economist तक को स्वीकारना पड़ा है कि चीन से पलायन करने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है। The Economist की रिपोर्ट के अनुसार 2020 में ही 613000 चीनियों ने विभिन्न देशों में शरण के लिए आवेदन किया, जिनमें से 70 प्रतिशत लोगों ने अमेरिका में आवेदन किया।
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आम धारणा यह है कि चीन में अमीर लोगों की ऐश है। परंतु स्थिति इसके ठीक उलट है। असल में सबसे ज्यादा तो अमीर लोग ही चीन से पलायन करना चाहते हैं, क्योंकि शी जिनपिंग ने उनके लिए चीन में जीवन नारकीय बना दिया है। जिस प्रकार से वे हाथ धोकर उद्योगपतियों और उद्यमियों के पीछे पड़े हुए हैं, उससे स्पष्ट होता है कि आखिर चीन के अमीर लोग क्यों अन्य देशों की ओर पलायन करना चाहते हैं।
उदाहरण के लिए Yang Huiyan को ले लीजिए। ये चीन के सबसे धनाढ्य लोगों में शामिल थी, लेकिन जिनपिंग प्रशासन के अत्याचारों से तंग आकर इन्हे साइप्रस की नागरिकता लेने को बाध्य होना पड़ा। यांग जितना भाग्यशाली हर कोई नहीं होता! चीन के सबसे धनाढ्य लोगों में से एक, सुन डावू को हिरासत में ले लिया गया और अशान्ति फैलाने के आरोप में 18 वर्ष के लिए कारागार में डाल दिया गया।
सभी चीनी नागरिक इतने धनवान नहीं हैं कि अपनी स्वतंत्रता खरीद सकें। ऐसे में चीनी लोग घुट-घुट कर जीने को विवश हैं और वे बस किसी तरह इस कुचक्र से स्वतंत्र होना चाहते हैं। चीनी अपने तानाशाह शासक की सनक से भी तंग आ चुके हैं, जो इस समय युद्ध पर आमादा है। हिमालय में भारत को उकसाने पर चीन को मुंह की खानी पड़ी थी, परंतु जिनपिंग कोई सबक लेने को तैयार नहीं है। जो व्यक्ति वर्तमान बाढ़ में मारे गए लोगों के प्रति तनिक भी संवेदना जताने को तैयार नहीं, उससे मानवता की कोई आशा कैसे कर सकता है-
In the fatal tunnel of Zhenzhou, while the flood rushed in and the situation got increasingly dangerous, the toll machine was still collecting tunnel fee
Unbelievable! Only in China!
Within 5 minutes, the tunnel was submerged and hundreds died
pic.twitter.com/YQ2IX3N9K7— 霧亭 (@wutingzy) July 22, 2021
#CCP says 33 have died. This tunnel is 4KM, has 6 lanes. Let's do the math. Say there was a car at every 7m. So there were 4000/7*6=3428 cars in the tunnel. So the death toll could be thousands, even 10 thousand if each car had 3 ppl in it. #floods #Zhengzhou #HenanProvince https://t.co/2JZumVYAfc
— Inconvenient Truths by Jennifer Zeng 曾錚真言 (@jenniferzeng97) July 22, 2021
ऐसे कई कारण है, जिसके कारण अब चीनी नागरिक अपने देश में नहीं रहना चाहते। शी जिनपिंग के अत्याचारी शासन के प्रति चीनियों का आक्रोश दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। जो चीन से निकल सकते हैं, वे निकल रहे हैं। लेकिन जो नहीं निकल पा रहे हैं, वे शी जिनपिंग के अत्याचारी शासन के हाथों अत्याचार सहने को विवश हैं।
अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन ऐसा भी आ सकता है, जब लोग इनके अत्याचारी शासन से तंग आकर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के विरुद्ध विद्रोह कर दें, और उसे हमेशा के लिए जड़ से उखाड़ फेंकें!