Biden के सत्ता में आने से पाकिस्तान को लगा वो FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर हो जायेगा, पर ऐसा नहीं हुआ

अमेरिका  में जो बाइडन प्रशासन आने के बाद पाकिस्तान ने अंदर ही अंदर राहत की सांस लिया होगा। पाकिस्तान ने उम्मीद जताई होगी कि डेमोक्रेटिक पार्टी की यह नई सरकार उसे राहत प्रदान करेगी। वह सारी राहत जो अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति  डोनाल्ड ट्रम्प ने उनसे छीन लिया था, जैसे कि- डोनाल्ड ट्रम्प ने साल 2018 में पाकिस्तान पर झूठ और फरेब जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए 1.3 बिलयन की  सुरक्षा सहायता राशि को रोक दिया था।

अगर हम जो बाइडन प्रशासन की बात करें, तो यह प्रशासन anti- Trump वादें करके चुनाव जीता है। जो बाइडन ने सता को संभालते ही डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा की गई हर कार्य को रोकने और उसे पलटने की कोशिश करने लगें थे। आप चाहे बात करें ईरान परमाणु समझोते की या फिर मेक्सिको बार्डर से आ रहें शरणार्थियों की। बाइडन सरकार का पक्ष ट्रम्प सरकार के बिल्कुल विपरीत ही रहा है, लेकिन पाकिस्तान के मसले में दोनों प्रशासनों ने पाकिस्तान को आतंक के मामले पर लताड़ा है।

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ऐसे में लाजिमी है कि पाकिस्तान बाइडन सरकार से राहत के कयास लगा रहा था, परंतु पाकिस्तान के मुद्दे पर अमेरिका के दोनों प्रशासनों का रुख एक सामान ही है। मिसाल के तौर पर बताए तो, FATF में डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन और बाइडन प्रशासन दोनों ने ही पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख रखा है। अभी भी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (एफ़एटीएफ़) पाकिस्तान को एक बार फिर ग्रे लिस्ट में बनाए रखने का फ़ैसला किया गया है। पाकिस्तान अब भी ‘इन्क्रीज़्ड मॉनिटरिंग लिस्ट’ में बना रहेगा। ‘इन्क्रीज़्ड मॉनिटरिंग लिस्ट’ को ही ग्रे लिस्ट कहा जाता है।

अमेरिका की पाकिस्तान कंट्री रिपोर्ट ऑन टेररिज्म के अनुसार, पाकिस्तान ने अपनी धरती से संचालित होने वाले आतंकी समूहों को खत्म करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

रिपोर्ट मे लिखा है कि, “पाकिस्तान ने कुछ क्षेत्रीय रूप से केंद्रित आतंकवादी समूहों को एक सुरक्षित आश्रय देने का काम करना जारी रखा है। इसने अफगानिस्तान के खिलाफ हमला करने वाले आतंकी समूहों को अनुमति दी, जिसमें अफगान तालिबान और HQN, साथ ही साथ भारत पर आतंकी हमला करने वाले समूह, जिसमें लश्कर और उसके संबद्ध फ्रंट संगठन, और जैश शामिल हैं, यह सभी पाकिस्तान से संचालित किए जा रहें है।“

अपने रिपोर्ट में अमेरिका पाकिस्तान को अफ़ग़ानिस्तान और भारत दोनों देशों के लिए खतरा बतया है। जो बाइडन प्रशासन के इस रुख से पाकिस्तान को करारा झटका लगा है। अमेरिका के साथ फ़्रांस ने भी पाकिस्तान को grey list से निकालने का विरोध किया था।

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दरअसल, जो बाइडन प्रशासन मुस्लिम देशों पर सख्त रुख अपनाने के मुक़ाबले ट्रम्प प्रशासन से नरम है। डोनाल्ड ट्रम्प ट्रैवल बैन या अन्य बैन की बात करें तो, ट्रम्प ने कट्टर इस्लामिस्ट देश को अमेरिका आने पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन जो बाइडन ने सता  अपने हाथ में लेते ही डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसले को पलट दिया था। बाइडन ने मुस्लिम देशों के नागरिकों का अमेरिका में स्वागत किया था। इसी आधार पर पाकिस्तान भी बाइडन प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठा था, लेकिन जो बाइडन ने इमरान खान के मंसूबो पर पानी फेर दिया है।

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