यदि कहा जाए कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी ने अन्य सभी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया है तो शायद ये गलत नहीं होगा। विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में बीजेपी ने प्रदेश की सभी राजनीतिक पार्टियों के गढ़ ध्वस्त कर दिए हैं, जिससे बीजेपी के लिए भविष्य की राजनीतिक राह बेहद ही आसान हो गई है।
कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली से लेकर सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के मैनपुरी तक में बीजेपी ने जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीता है, जो इस बात का प्रमाण है कि अब उत्तर प्रदेश बीजेपी के लिए एक अभेद्य राजनीतिक गढ़ है, और इसी के चलते बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति में सबसे मजबूत पकड़ है।
2022 विधानसभा चुनावों से पहले विपक्षी दलों ने राम मंदिर निर्माण में भ्रष्टाचार से लेकर किसान आंदोलन जैसे मुद्दों को हवा देते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर ब्राह्मण विरोधी होने तक का टैग लगाने की कोशिशें की हैं। इस सबके बीच हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों को लेकर आशंकाएं थीं कि पार्टी को जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में शायद ही कोई बड़ी उपलब्धि हासिल हो, लेकिन अब जब पंचायत चुनाव के नतीजे आए हैं, तो नतीजों में विपक्ष ही अप्रासंगिक बन गया है।
75 में बीजेपी ने करीब 67 पंचायत अध्यक्ष के चुनाव जीत लिए हैं।
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किसान आंदोलन के जरिए दुष्प्रचार फैलाने वाले किसान नेता राकेश टिकैत के गढ़ मुजफ्फरनगर में टिकैत की पार्टी के उम्मीदवार को महज चार वोट मिले हैं। इसके इतर अगर राजनीतिक जायंट्स की बात करें तो बीजेपी ने इन पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में मुलायम सिंह यादव के गढ़ मैनपुरी से सपा को तगड़ी हार का मजा चखाया है। सपा पिछले तीन दशकों से लगातार यहां जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव जीतती आ रही थी, लेकिन इस बार पार्टी का सारा रसूख धरा रह गया, और यहां बीजेपी ने पहली बार एक एतिहासिक जीत दर्ज की है।
कुछ ऐसा ही हाल कांग्रेस का भी हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में तो कांग्रेस पूरी तरह अप्रासंगिक बन ही गई है, लेकिन अब पार्टी को सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली से भी पंचायत चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है। यहां भी बीजेपी को कभी इतनी बड़ी सफलता नहीं मिली थी। बीजेपी उम्मीदवार रंजना चौधरी ने कांग्रेस नेता आरती सिंह को काफी बड़े अंतर से हराया जो कि अब कांग्रेस के लिए ही ख़तरे की घंटी है, क्योंकि हाल फिलहाल की राजनीति में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पास केवल रायबरेली का इलाका ही है, लेकिन अब बीजेपी वहां तगड़ी सेंधमारी कर रही है।
उत्तर प्रदेश जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव नतीजों को देखकर कहा जा सकता है कि विपक्षी दलों के सभी जातिगत रणनीति वाले कार्ड पूर्ण रूप से विफल हो गए हैं, और बीजेपी ने लगभग-लगभग सभी राजनीतिक दलों का जनाधार शून्य कर दिया है। इतना ही नहीं पार्टी ने उन जगहों पर भी अपनी मजबूत पकड़ बनाई है जो अन्य दलों का राजनीतिक गढ़़ मानी जाती हैं। 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुए उत्तर प्रदेश के जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों ने ये संकेत दे दिया है कि बीजेपी को हाल-फिलहाल में उत्तर प्रदेश की सत्ता से हटाना सपा, बसपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों के लिए दूर की कौड़ी ही है।