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सिद्धू ‘कैप्टन’ बन गए, अब ‘असली कैप्टन’ चुनाव नतीजों वाले दिन क्या-क्या कर सकते हैं ?

कांग्रेस आलाकमान ने अमरिंदर के ऊपर सिद्धू को थोप दिया, अब चुनाव नतीजों वाले दिन अमरिंदर क्या करेंगे ?

Abhinav Kumar द्वारा Abhinav Kumar
20 July 2021
in चर्चित
कैप्टन सिद्धू
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पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच छिड़े विवाद पर आखिरकार कांग्रेस आलाकमान ने फैसला ले ही लिया। कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी ने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है। पंजाब विधानसभा चुनाव को देखते हुए चार वर्किंग प्रेसिडेंट भी बनाए गए हैं। हालांकि इस फैसले का असर पूरे पंजाब में दिखाई देगा परंतु यह कैप्टन अमरिंदर सिंह के राजनीतिक करियर के लिए भी टर्निंग पॉइंट साबित होगा।

ऐसे में अब कैप्टन के पास आखिर विकल्प क्या है? विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अमरिंदर सिंह क्या-क्या कर सकते हैं। क्या उन्हें हटा दिया जायेगा या वे स्वयं सन्यास ले लेंगे? क्या वे एक बार फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं या दूसरी पार्टी का रुख करेंगे?

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आइए कैप्टन अमरिंदर सिंह के क्या-क्या संभावित कदम हो सकते हैं, उन्हें समझने की कोशिश करते हैं।

पंजाब में अमरिंदर सिंह अब भी एक बड़ा नाम हैं और कांग्रेस पार्टी में उनके रहने से ही पार्टी का पलड़ा भारी दिखेगा। चुनावों तक कैप्टन कांग्रेस में बने रहते हैं और कांग्रेस चुनाव जीत जाती है तो कैप्टन अमरिंदर के लिए कई नए रास्ते खुल जायेंगे। यह तो तय है कि कैप्टन और सिद्धू दोनों ही अपने-अपने समर्थकों को चुनावी मैदान में उतारेंगे और कोशिश करेंगे कि उनका समर्थन करने वाले ज्यादा विधायक जीत जाएं। चुनाव में अगर कांग्रेस जीत जाती है और कैप्टन अमरिंदर सिंह के समर्थन के विधायक ज्यादा जीतते हैं तो कैप्टन के फिर से CM बनने के रास्ते खुल जायेंगे।

ऐसी परिस्थिति में कैप्टन अमरिंदर CM तो बन ही जायेंगे, इसके साथ ही हो सकता है कि सिद्धू को साइडलाइन कर दिया जाए। अधिक विधायक कैप्टन के पक्ष में होने के कारण कांग्रेस हाईकमान भी यह नहीं चाहेगी कि कांग्रेस पार्टी ही टूट जाए और सत्ता से बेदखल हो जाए। ऐसे में उन्हें कैप्टन की मांग को मानना ही होगा।

इस स्थिति में यह भी हो सकता है कि कैप्टन अमरिंदर CM बने रहें और सिद्धू को पिछली बार की तरह कोई छोटा-मोटा मंत्रालय दे दिया जाए। हालांकि, सिद्धू इसको मानें या नहीं लेकिन ऐसी परिस्थिति में हाईकमान के पास कोई अन्य विकल्प भी नहीं होगा।

तीसरी सिचुएशन यह हो सकती है कि कैप्टन खुद CM रहें और आलाकमान पर यह दबाव बनाएं कि सिद्धू को हटाकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उनकी पसंद के व्यक्ति को बनाया जाए। दूसरे राज्यों में अपनी जमीन खो चुकी कांग्रेस के पास राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ में ही सत्ता बची है। जिस तरह अशोक गहलोत ने चालाकी से सचिन पायलट के बढ़ते प्रभाव को दबा दिया उसी तरह चुनाव में जीत के बाद कैप्टन भी कर सकते हैं।

हालांकि चुनाव में कुछ भी हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि कांग्रेस चुनाव तो जीत जाए परंतु सिद्धू के समर्थक विधायकों की संख्या अधिक हो।

ऐसे में भी कैप्टन अमरिंदर के सामने तीन विकल्प हो सकते हैं। चुनाव में जीत के बाद समर्थक विधायकों की मदद से कैप्टन को CM पद से हटा दिया जाए और सिद्धू स्वयं मुख्यमंत्री बन जाएं। यही नहीं, अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए कैप्टन को कोई छोटा-मोटा मंत्रालय ही दें।

और पढ़े: और पढ़ें-‘पंजाब में सिख नहीं हिंदू हैं kingmaker’, आखिर कैसे इस बार पंजाब में हिंदू किंगमेकर बनने जा रहे हैं?

दूसरा विकल्प यह होगा कि कैप्टन अपने आत्मसम्मान को देखते हुए राजनीति से सन्यास ले लें। कैप्टन अमरिंदर सिंह को कुछ ही ऐसे नेताओं में गिना जाता है जो जल्दी किसी के सामने झुकते नहीं हैं। इस कारण से सिद्धू पक्ष के मजबूत होते ही अगर वह राजनीति से सन्यास ले लेते हैं तो हैरानी नहीं होनी चाहिए।

तीसरा विकल्प यह भी हो सकता है कैप्टन अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए सिद्धू के विधायकों को तोड़कर अपनी तरफ कर लें। ऐसे में एक बार फिर से कमान कैप्टन के हाथों में होगी और वो आलाकमान को अपनी बात मनवाने पर मजबूर कर सकते हैं।

इन सब के अलावा चुनाव से पहले कांग्रेस में अस्थिरता को देखते हुए जनता भड़क भी सकती है और वोट कांग्रेस को न देकर बीजेपी को दे सकती है। यानी अगर कांग्रेस चुनाव हार जाती है तो कैप्टन के पास क्या विकल्प होंगे?

अगर कांग्रेस की बुरी तरह से हार हो जाती तो अमरिंदर सिंह के पास यह विकल्प भी रहेगा कि वह हार का ठीकरा सिद्धू के ऊपर फोड़ दें। यही नहीं दबाव बनाकर सिद्धू को पार्टी से निकलवा दें।

ऐसी स्थिति में भी कांग्रेस के जिन विधायकों को जीत हासिल हुई होगी, उनकी बड़ी भूमिका रहेगी कि वे किस तरफ जाते हैं। अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह के पक्ष में विधायक ज्यादा आते हैं तो वे आलाकमान पर खुद को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का दबाव डाल सकते हैं।

अगर ये संभावना बनती है कि आलाकमान, कैप्टन की बात नहीं मानता है तो ये भी हो सकता है कि कैप्टन अपने समर्थक विधायकों के साथ दूसरी पार्टी बना लें। इसके साथ ही हो ये भी सकता है कि जिस पार्टी ने ज्यादा सीटें जीती हैं, उसे समर्थन देकर खुद किंगमेकर बन जाएं।

कांग्रेस की हार के बाद कैप्टन अमरिंदर के पास अधिक विकल्प तो नही होंगे परंतु वह सिद्धू को पार्टी से बाहर या अध्यक्ष पद से हटवाने के लिए कांग्रेस आलाकमान पर मजबूती से दवाब बना सकते हैं।

हालांकि अभी ये देखना है कि विधानसभा चुनाव होने तक पंजाब कांग्रेस में और क्या-क्या होता है ? अभी भी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हार नहीं मानी है वो अपने समर्थक विधायकों और दूसरे नेताओं के साथ अभी भी बातचीत कर रहे हैं। अभी जो भी हो, लेकिन एक बात तय है कि चुनावों के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह के ऊपर ही सबकी निगाहें होंगी।

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