उत्तर-प्रदेश में मानकों के विपरित चल रहे 5000 मदरसे योगी सरकार ने किए बंद

अल्पसंख्यक आयोग ने कहा है कि इससे 100 करोड़ रुपये की बचत हुई है!

उत्तर प्रदेश में 5 हजार मदरसों को आदेश द्वारा बंद कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि यह मदरसे मानकों के विपरीत चल रहे थे इसलिए अल्पसंख्यक आयोग ने इन्हें बंद कर दिया है। दरअसल देश और उत्तरप्रदेश में मदरसों को लेकर बदलाव की तैयारियां चल रही हैं। केंद्र द्वारा पहले भी मदरसों को लेकर बदलाव लाने के लिए कहा गया है। अब समय की मांग को देखते हुए मदरसों को उत्तराधुनिकता से परिपूर्ण शिक्षण संस्थान बनाने की कोशिश चल रही ह। हालांकि, कुछ लोगों को यह बदलाव पसंद नहीं आ रहा था इसलिए बदलाव के खिलाफ विरोध कर रहे थे लेकिन अब शायद वो काम करने लायक भी नहीं बचेंगे।

केंद्र सरकार द्वारा आधुनिक शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए मदरसा को और हाईटेक बनाए जाने की बात तय हुई थी। भविष्य में मदरसों में हाईटेक तरीके से पढ़ाई होगी। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद ने कहा कि “मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ अंग्रेजी, साइंस, गणित के अलावा कम्प्यूटर साइंस, सोशल साइंस, इतिहास, मनोविज्ञान, हिन्दी आदि आधुनिक विषयों की शिक्षा को प्रोत्साहित किये जाने की योजना है।”

केन्द्र सरकार द्वारा मदरसा आधुनिक शिक्षा योजना को अब केन्द्रीय मानव संसाधान विकास मंत्रालय से हटाकर केन्द्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के पास कर दिया गया है।

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उत्तर प्रदेश भी केंद्र के दिशा-निर्देश पर चलते हुए राज्य के मदरसों में बदलाव कार्य कर रही है। उत्तरप्रदेश सरकार ने राज्य के मान्यता प्राप्त अनुदानिक मदरसों को अब और आधुनिक बनाने पर जोर दे रही है। उनके मुहिम में मदरसों के सिलेबस में बदलाव, कर्मचारियों द्वारा पारदर्शिता शामिल है। अभी तक इन मदरसों में पढ़ाई सिर्फ धार्मिक शिक्षा के लिए ही होती लेकिन अब इसके साथ हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कम्प्यूटर आदि को और ज्यादा प्राथमिकता देते हुए अनिवार्य कर दिया है। धार्मिक शिक्षा यानी दीनयात का केवल एक वैकल्पिक विषय ही रहेगा।

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उत्तर प्रदेश के मान्यता प्राप्त मदरसों का पूरा लेखा-जोखा पोर्टल पर अपलोड करना तय किया गया था लेकिन इस प्रावधान के बाद भी पांच हजार मदरसे मानकों के विपरीत चलते पाए गए, जिस पर कार्रवाई करते हुए मदरसों को बंद कर दिया गया है।

ऋतुराज ने बताया कि इन मदरसों को बंद कर देने से 100 करोड़ रुपए की वार्षिक बचत भी हुई है। मदरसा बोर्ड ने यह भी पाया कि कई स्थानों पर फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी हो रही है और मामलें को संज्ञान में लेते हुए मेरठ में 10 लोगों पर कानूनी कार्रवाई भी की गई है।

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