यूपी में नया ‘वोट कटवा गठबंधन’ बन रहा है और इससे बीजेपी बड़ी जीत हासिल करेगी

भागीदारी संकल्प मोर्चा सपा और बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने वाला है!

उत्तर प्रदेश चुनाव वैसे तो योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री में रखकर लड़ा जाने वाला है और बीजेपी की दावेदारी पहले ही बहुत मजबूत है। अब एक नए समीकरण के कारण भाजपा को आगामी चुनाव में और भी लाभ हो सकता है। असदुद्दीन ओवैसी और ओमप्रकाश राजभर ने 10 दलों का एक गठबंधन बनाया है और अब ऐसी संभावना है कि इस गठबंधन में चंद्रशेखर रावण एक नए सहयोगी के रूप में सम्मिलित होने वाले हैं। हाल ही में दोनों नेताओं ने लखनऊ के एक होटल में शुक्रवार को चंद्रशेखर से मुलाकात की है। इसके बाद यह अटकलें तेज हो गई है कि ओवैसी और राजभर की के साथ चंद्रशेखर भी उनके भागीदारी संकल्प मोर्चा में शामिल हो जाए।

इस गठबंधन में पहले ही अपना दल का एक धड़ा जिसका नेतृत्व, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल कर रही हैं, वह शामिल है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रोदय पार्टी, जनता क्रांति पार्टी जैसे कई अनेक छोटे दल शामिल हैं।

गठबंधन का उद्देश्य प्रजापति राजभर पटेल आदि कई पिछड़ी जातियों का एक समूह बनाना है। यह सर्वविदित है कि यह गठबंधन कभी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं आएगा फिर भी ओवैसी और राजभर की रणनीति यही है कि ऐसे छोटे-छोटे समूहों को जोड़कर विधानसभा में अपनी उपस्थिति मजबूत की जाए। अब तक गठबंधन का उद्देश्य मुस्लिम और बैकवर्ड वोट बैंक को प्रभावित करना ही था लेकिन चंद्रशेखर के आने से दलितों में भी इस गठबंधन का प्रभाव बढ़ सकता है।

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चंद्रशेखर को लंबे समय से मीडिया द्वारा मायावती के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। चंद्रशेखर की राजनीति विभाजनकारी और आक्रामक है। हालांकि, चंद्रशेखर का नवयुवकों में अच्छा प्रभाव बन चुका है। ऐसे में परंपरागत बसपा वोट बैंक भले ही मायावती के साथ दिखाई देगा लेकिन हिंदू समुदाय की दलित जातियों के युवाओं का एक हिस्सा चंद्रशेखर के साथ भी जा सकता है।

हाल ही में राजनीतिक घटनाक्रम जिस प्रकार बदल रहे हैं, उससे भाजपा को कोई नुकसान नहीं होने वाला उल्टे भाजपा को इसका फायदा ही मिलेगा क्योंकि भागीदारी संकल्प मोर्चा सपा और बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने वाला है। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा ने जिस प्रकार से ओबीसी और एसटी एससी वोटरों को साधा है उन्हें तोड़ना किसी भी दल के लिए बहुत मुश्किल है।

भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करते हुए विकास और हिंदुत्व के एजेंडा से हिंदुओं की सभी जातियों को एक मुख्यधारा में लाने का काम किया है। केंद्र द्वारा चलाई जा रही उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि का सीधा लाभ पिछड़ी और ST SC जातियों को ही सबसे अधिक मिला है। वहीं इन जातियों से जुड़े हिंदुत्व के कई आदर्श पुरुषों को सरकार ने सम्मान देकर, इन जातियों में हिंदुत्व का गौरव पुनः जागृत किया है। जैसे भाजपा ने प्रयागराज में भगवान श्री राम और निषादराज की एक प्रतिमा लगवाई। सामान्य प्रतिमा निषाद जाति में सनातन संस्कृति का अभिन्न हिस्सा होने का भाव जगाने के लिए पर्याप्त है।

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वहीं सपा और बसपा ने जाति की राजनीति जिस प्रकार की है उसमें वैचारिक और भावनात्मक जुड़ाव से अधिक बड़ी भूमिका सत्ता में भागीदारी की भावना ने निभाई है। एक जाति का व्यक्ति मंत्री बने तो उसकी जाति के लोगों को सरकारी संसाधनों की लूट में हिस्सा मिलेगा। ऐसे में सपा और बसपा का वोट बैंक वैचारिक जुड़ाव से कम और स्वार्थ की भावना से अधिक प्रभावित होता है। अतः ऐसे वोटबैंक में सेंध लगना अधिक आसान है।

आसान भाषा में कहा जाए तो भाजपा के पास गोलबंद ओबीसी, एसटी और एससी वोटर फेविकोल के जोड़ से जुड़े हैं। अतः भागीदारी संयुक्त मोर्चा जो भी वोट ले जाएगा वह सपा और बसपा के हिस्से का होगा, ऐसे में ओवैसी राजभर और चंद्रशेखर का गठबंधन भाजपा को ही लाभ देगा।

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