जब लालसा सत्ता की होती है तो कुछ राजनीतिक पार्टियां अपनी परंपराओं को भी ताक पर रखने से परहेज़ नहीं करतीं हैं, और महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार का नेतृत्व करने वाले शिवसेना नेता और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की नीयत पर अब कुछ ऐसे ही सवाल उठाए जाने लगे हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से लेकर वीर सावरकर तक के मुद्दों पर कांग्रेस और एनसीपी जैसी पार्टियों से समझौता कर चुकी शिवसेना को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की वजह से अब गणेशोत्सव के मुद्दे पर लानत-मलामत झेलनी पड़ रही है, क्योंकि बीजेपी ने आरोप लगाया है कि अन्य त्योहारों की अपेक्षा महाराष्ट्र में गणेशोत्सव के लिए जो गाइडलाइंस जारी की गई है उनके अंतर्गत गणेशोत्सव का आयोजन ही असंभव है, और ये राज्य में सांकेतिक रूप से गणेशोत्सव को बैन करने की सोच है।
टीएफआई आपको पहले भी बता चुका है कि कैसे एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के बाद शिवसेना अपने मूल मुद्दों को भी त्याग चुकी है, चाहे औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर करना हो, या वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग, शिवसेना की जुबान सत्ता के लालच में बंद हो गई है, और शिवसेना का ये मौन प्रतिबिंबित करता है कि एनसीपी और कांग्रेस के कार्यों और वक्तव्यों को उसका मौन समर्थन प्राप्त है। कुछ ऐसा ही विवाद उद्धव सरकार द्वारा जारी गणेशोत्सव की गाइडलाइंस को लेकर भी हुआ है, क्योंकि बीजेपी नेता और विधायक नितेश राणे ने उद्धव सरकार की तुलना पश्चिम बंगाल की ममता सरकार की नीतियों से कर दी है।
Situation in Mumbai is similar to that of West Bengal, where Durga Puja celebrations were restricted. It's difficult for Ganesh Utsav Mandals to celebrate the festival in accordance with new rules. We raised our concerns with the Governor: BJP MLA Nitesh Rane pic.twitter.com/1L7iP38Km3
— ANI (@ANI) August 8, 2021
बीजेपी नेता नितेश राणे का कहना है कि अन्य त्योहारों में इतनी सख्त गाइडलाइंस नहीं थीं, जितनी गणेशोत्सव के लिए जारी की गई है। उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में गणेशोत्सव का कार्यक्रम ही असंभव है। उन्होंने कहा, “कुछ समय पहले अन्य धार्मिक उत्सव तो मनाए जा रहे थे, तब उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई, तो केवल हिंदू क्यों? हिंदू धर्म खतरे में है। हमने इस बारे में राज्यपाल से बात की है। हमने उनसे कहा है कि हमारे उत्सव की सुरक्षा करें अन्यथा ठाकरे सरकार धीरे–धीरे ये उत्सव खत्म कर देगी।”
Some time ago, other religious festivals were celebrated, they didn't face any inconvenience. Then why only Hindus? Hindu religion is in danger. We told the Guv to protect our festival, or else, Thackeray govt will gradually end the festival…(celebrations): Nitesh Rane, BJP
— ANI (@ANI) August 8, 2021
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने गणेशोत्सव के संबंध में जो गाइडलाइंस जारी की है; उसके अंतर्गत जो लोग सार्वजनिक तौर पर यह त्योहार मना रहे हैं, वे गणपति की प्रतिमा की ऊंचाई चार फीट ही रख सकेंगे। इतना ही नहीं, घर में गणेशोत्सव मनाने वाले लोगों को दो फीट की गणपति की प्रतिमा ही स्थापित करनी होगी। राज्य सरकार ने कोरोना संकट के कारण गणेशोत्सव साधारण तरीके से ही मनाने के आदेश जारी किए हैं। वहीं, बीजेपी इस आदेश को लेकर आक्रामक है। ये सच है कि मुहर्रम से लेकर अन्य त्योहारों के लिए उद्धव सरकार ने कोई बेहद सख्त गाइडलाइंस जारी नहीं की थी, किन्तु गणेशोत्सव को लेकर उद्धव सरकार कुछ ज्यादा ही सक्रियता दिखा रही है, जो कि नीयत में खोट होने का संकेत देता है।
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दूसरी ओर बीजेपी नेता नितेश राणे के बंगाल की तुलना से संबंधित दावों में भी दम प्रतीत होता है, क्योंकि बंगाल में दुर्गा पूजा हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। इसके बावजूद इस आयोजन के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीतियां सामने आती रहीं हैं, जिसको लेकर कोलकाता हाईकोर्ट भी पश्चिम बंगाल सरकार को लताड़ता रहा है। ठीक उसी तरह महाराष्ट्र का सबसे बड़ा त्योहार गणेशोत्सव ही माना जाता है। ऐसे में उद्धव ठाकरे सरकार ने त्योहार पर कोई पाबंदी तो नहीं लगाई, किन्तु जो गाइडलाइंस जारी की है, उसके अंतर्गत गणेशोत्सव का आयोजन असंभव प्रतीत होता है, और ये सांकेतिक बैन ही समझा जा रहा है।
यही कारण है कि उद्धव ठाकरे सरकार की नीयत पर जनता के मन में संदेह होने लगा है कि भले ही उद्धव सरकार गणेशोत्सव को बैन करने का खुलकर ऐलान न कर रही हो, किन्तु अजीबो-गरीब गाइडलाइंस के चलते गणेशोत्सव के कार्यक्रम पर सांकेतिक बैन तो अवश्य लगा ही दिया है, जिसके चलते महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार की तुलना पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार से की जाने लगी है।