भारत में राष्ट्रवादियों और देश विरोधियों के बीच शुरू हो गया है “Rap War”

एक ओर श्री कृष्णा के लिए अपशब्द कहने वाला MC Kode है, तो दूसरी ओर गीतों में भक्ति को सम्मिलित करने वाले rapper 'Shloka'

रैप म्यूज़िक

आजकल भारत की रैप और हिपहॉप क्षेत्र के में फिर से सक्रियता दिखने लगी है। अब इसी रैप म्यूज़िक जगत में राष्ट्रवादी और वामपंथियों के बीच एक नया वाक्युद्ध देखने को मिल रहा है। लेकिन ये रैप है क्या? कवि को संगीतमय रूप देकर नाम पड़ा ‘रैप’, म्यूज़िक जो अमेरिका और पाश्चात्य देशों में काफी प्रचलित था। इसे भारत से परिचित कराया हरजीत सिंह सहगल उर्फ बाबा सहगल ने, जिन्होंने ‘ठंडा ठंडा पानी’ और ‘दिल धड़के’ जैसे हिट गीत दिए। उनके बाद अपाचे इंडियन, बोहेमिया [हालांकि वे अमेरिकी-पाकिस्तानी मूल के हैं], जे शौन ने भारत को रैप म्यूज़िक से परिचित कराया।

लेकिन रैप म्यूज़िक जगत में भारत ने अपनी धाक जमाई 2011 में, जब ‘इंटेरनेश्नल विलेजर’ एल्बम से हिरदेश सिंह नामक रैपर यो यो हनी सिंह के नाम से बेहद प्रसिद्ध हुई। लगभग मृत पड़ चुके ‘Independent Music’ उद्योग में मानो रैप म्यूज़िक ने नवजीवन का संचार किया, और यहीं से बादशाह, रफ्तार, अल्फ़ाज़, जे स्टार जैसे रैपर्स का प्रादुर्भाव हुआ, जिन्होंने भारत के हिप हॉप जगत में धूम मचा दी, और वे शहरी और ग्रामीण युवाओं के बीच अच्छा खास लोकप्रिय हुए।

परंतु भारत में रैप म्यूज़िक के उदय के साथ कुछ ऐसे आर्टिस्ट भी सामने आए, जिन्होंने इस कला का दुरुपयोग अपनी कुंठा को प्रदर्शित करने के लिए, जैसे MC कोड़े। अपने आप को रैप म्यूज़िक आर्टिस्ट कहने वाला यह व्यक्ति असल में इस कला का उपयोग हिन्दू देवी देवताओं के विरुद्ध अश्लील कमेन्ट करने के लिए करता था। इसके पीछे उसपर पुलिस कार्रवाई तक हुई, जिसके पीछे वह कुछ महीनों तक भूमिगत भी रहा।

परंतु MC Kode एकमात्र ऐसा आर्टिस्ट नहीं था। इसी वर्ष जून में एक अन्य रैपर का वीडियो भी काफी वायरल हुआ, जिसमें वास्तविक मुंहफाड़ नामक एक आर्टिस्ट Krsna नामक रैपर को नीचे गिराने के लिए भगवान श्रीकृष्ण को ही अपमानित करने लग गया। विश्वास नहीं होता तो उसके Diss Track के इन शब्दों को देखिए,

“तू मटकी का सारा माखन खा गया माखनचोर, Aww नन्दलाला की फट गई क्या? मर गया तेरा नंदलाला नटखट, अब गोपियाँ भागेंगी _________ पनघट!” –

 

लेकिन इस कीचड़ में भी कुछ कमल हैं, जो अपनी कला से सबको मोहित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इनमें प्रमुख हैं राहुल कुमार दास, जो ‘The Shloka’ के नाम से प्रसिद्ध है और इस पंक्ति में एक नाम ‘Dakait’ का भी है। यदि वास्तविक मुँहफाड़ और MC कोड़े जैसे नीच प्रवृत्ति के वामपंथी हैं, जो कलाकार के भेस में अपनी कुंठा जगजाहिर करते हैं, तो ‘Shloka’ और ‘Dakait’ जैसे लोग भी हैं, जो अपनी कला से लोगों को मनमोहित कर रहे हैं।

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इन कलाकारों के बारे में सबसे उत्कृष्ट बात ये है कि वे अपने गीतों में भक्ति और आस्था को भी सम्मिलित करते हैं, जो आम तौर पर बड़े से बड़े कलाकार करने से कतराते हैं। ये न तो अपने गीतों में उर्दू का प्रदूषण करते हैं और वे शुद्ध हिन्दी का अधिकतम प्रयोग करते हैं। एक असली कलाकार वही होता है जिसे अपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए किसी अन्य को अपमानित न करना पड़े। ऐसे में, जब राष्ट्रवादी और वामपंथी रैपर्स के बीच वाकयुद्ध चल रहा हो, तो भारतीयों को अपने संस्कृति को प्राथमिकता देनी चाहिए, और उन कलाकारों का सम्मान करना चाहिए, जो देश का और देश की संस्कृति का सम्मान करते हैं।

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