पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान को बर्बाद कर रहा, अब अफगानियों ने उससे बदला लेने की ठान ली है

चुन-चुन कर हिसाब लेंगे अब अफ़गानी!

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तालिबान ने इस समय अफगानिस्तान में त्राहिमाम मचा के रखा है। जिस प्रकार से तालिबानी आतंकी अपने नियंत्रण के शहरों में बच्चे, बूढ़े और महिलाओं पर बेहिसाब अत्याचार ढा रहे हैं, वो किसी से छुपा नहीं है। साथ ही ये भी किसी से नहीं छुपा है कि अफगानिस्तान में इस स्थिति के लिए पाकिस्तान का कितना बड़ा योगदान रहा है। अब इसके लिए दुनिया के कोने-कोने से अफगानी समुदाय के लोग पाकिस्तान से चुन-चुन कर बदला लेने की ठान चुके हैं।

अमेरिका में पाकिस्तान दूतावास के सामने होगा प्रदर्शन

दरअसल, हाल ही में अभी खबर सामने आई थी कि अफगानिस्तान पाकिस्तान के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबंध लगवाने के लिए एक विशेष अभियान चलवाएगा। परंतु ऐसा लगता है कि वह विशेष अभियान केवल आर्थिक प्रतिबंध तक ही सीमित नहीं रहने वाला। अब अमेरिका में स्थित अफगान प्रवासियों ने वाशिंगटन डीसी में पाकिस्तान दूतावास के सामने इस्लामाबाद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है।

प्रदर्शनकारी पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन को एक बड़ा स्वरूप देने की कोशिश करेंगे ताकि अफगानिस्तान में पाकिस्तान के “Proxy war” को रोका जा सके। रिपोर्ट के अनुसार धरना 14 अगस्त को दोपहर 1-3 बजे से किया जाएगा।

बता दें कि पिछले महीने दुनिया भर में इसी तरह के प्रदर्शन हुए थे जहां प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान में आतंकी संगठनों की गतिविधियों पर प्रकाश डाला था। “अफगानिस्तान के मामलों में पाकिस्तान के हस्तक्षेप” के विरोध में अफ़ग़ान प्रवासी जर्मनी के ब्रैंडेनबर्ग गेट के सामने एकत्र हो कर प्रदर्शन कर चुके हैं। यही नहीं सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में पाकिस्तान के कथित दखल के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है तथा #SanctionPakistan ट्रेंड कर रहा है।

पश्तूनों ने इमरान खान के खिलाफ खोला मोर्चा

इसके अलावा पाकिस्तान में भी अफ़गान सरकार के समर्थन में अभियान शुरू हो गया है। पाकिस्तान में मौजूद पश्तूनों ने ही अब इमरान खान सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है, और वे पाकिस्तानी प्रशासन के विरुद्ध अफगानिस्तान का खुल कर समर्थन कर रहे है।

हिंदुस्तान समाचार की रिपोर्ट के अंश अनुसार,

“पाकिस्तान में उत्तर पश्चिम प्रांत के पश्तून मानते हैं कि अफगानिस्तान की खराब होती हालत के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है। उनका यह भी मानना है कि आतंकवादी संगठनों के पीछे इस्लामाबाद का सपोर्ट है। उनका मानना है कि इस्लामाबाद में बैठी सरकार लंबे समय से आतंकवादियों का समर्थन कर रही है और अब तालिबान में आतंकवादियों को हथियार तथा अन्य सपोर्ट मुहैया करा रही है। मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक पीटीएम [Pashtun Tahfuz Movement] के सदस्य तालिबान और पाकिस्तान पर यह भी आरोप लगा रहे हैं कि उनके क्षेत्र में भी आतंकवादी गतिवधियों के पीछे तालिबान और इस्लामाबाद का ही हाथ है।”

इस संगठन के सदस्यों का कहना है कि हिंसा से कभी शांति नहीं आ सकती है। हाल ही में इन लोगों ने चरसाडा में एक बैठक भी थी। इस बैठक के दौरान अफगानिस्तान में सुरक्षा हालात को लेकर चर्चा की गई थी। बता दें कि यह जगह खैबर पख्तूनख्वाह क्षेत्र में स्थित है। पश्तूनों ने अफगानी सुरक्षा कर्मियों पर तालिबानी कार्रवाई की निंदा करने के साथ-साथ यूएस-दोहा डील की भी निंदा की है। उनका मानना है कि इस डील से आतंकवादियों को कानूनी मान्यता मिलती है। उन्हें इस बात का भी डर है कि यह आतंकवादी संगठन नॉर्थवेस्टर्न क्षेत्र पर भी जल्द ही हमला कर सकते हैं और इसका व्यापक असर पड़ेगा।”

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इसके अलावा तालिबान जिस प्रकार से अत्याचार कर रहा है, और कई बार घोषणाओं के जरिए महिलाओं को सरेंडर या सौंपने की बात करता है, तो उससे स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान इस घिनौने खेल में कहाँ तक सक्रिय है। चाहे 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे के दंगे हो, 1947 के विभाजन के पश्चात के दंगे हो, या फिर 1971 में ऑपरेशन सर्चलाइट के नाम से बांग्ला भाषी पूर्वी पाकिस्तानियों [अब बांग्लादेशियों] पर किए गए अत्याचार हो, पाकिस्तानियों को महिलाओं के शोषण में एक अजीब ही सुकून मिलता है। तालिबान जब अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में महिलाओं, विशेष तौर पर युवतियों को आतंकियों की सेवा में सौंपे जाने की बात कर रहा हो, तो यह स्पष्ट है कि उन्हें कौन उकसा रहा है।

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इसीलिए अफ़गानिस्तान जल्द ही पाकिस्तान के विरुद्ध एक वैश्विक अभियान शुरू कर रहा है, जिसके अंतर्गत वह ये सुनिश्चित करेगा कि पाकिस्तान के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबंध लगवाएगा। लेकिन जिस प्रकार से अब विश्व भर के अफ़गान और पाकिस्तान के पश्तून तक पाकिस्तान के विरुद्ध  खड़े हो रहे हैं, उससे इतना तो स्पष्ट है – अफ़गानिस्तान पाकिस्तान से चुन-चुन कर अपना बदला लेगा।

 

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