पर उपदेश कुशल बहुतेरे जैसा मुहावरा केरल पर सबसे सटीक बैठता है। स्वास्थ्य के विषय पर वह केंद्र से लेकर पूरी दुनिया को ज्ञान देता है। पर बकरीद के अवसर पर यही केरल की सरकार अपने ही आदर्शों की जमकर धज्जियां उड़ाती है। अब जब बकरीद के कारण केरल में स्थिति सुधरने के बजाए बिगड़ रही है, तो केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने फिर से हिन्दू त्योहार की आड़ में उपदेश देने का प्रयास किया है। पर सवाल वही है, ये उपदेश बकरीद के समया क्यों याद नहीं आया? अगर याद आ गया होता तो शायद कोरोना के मामले इतनी तेजी से नहीं बढ़ते।
केरल सरकार की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज इस समय लोगों को सलाह दे रही हैं कि ओणम (Onam) पर भीड़ इकट्ठी न करें। वीना जॉर्ज के अनुसार, “लोगों से जितना हो सके, उन्हें बाहर जाने पर रोक लगानी चाहिए। अपने परिजनों से मिलने पर रोक लगानी चाहिए, विशेषकर यदि घर में छोटे छोटे बच्चे हों और किसी भी उत्सव इत्यादि में हिस्सा लेने से अपने आप को रोकना चाहिए”।
ओणम सावन के ऋतु का उत्सव मनाने हेतु केरल का सबसे लोकप्रिय उत्सव है, जिसे हर वर्ष मनाया जाता है। इस वर्ष केरल में दूसरी लहर के कारण जो दिक्कतें आई हैं, उसके कारण इस त्योहार पर सवाल उठने लगे हैं। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने सलाह दी है कि लोग ओणम के समय कम से कम घर से बाहर निकला करें, और सरकार के आदेशों का अनुपालन करें।
बकरीद सुपर स्प्रेडर और केरल बना कोरोना का सबसे बड़ा निर्यातक
कमाल है, ये वही केरल सरकार है, जो बकरीद के अवसर पर ऐसे ढील दे रही थी, जैसे ये नहीं दिया गया तो प्रलय आ जाएगा। केरल में दूसरी लहर का कहर अभी भी जारी है, लेकिन वुहान वायरस से संक्रमण के मामले कम होने का नाम ही नहीं ले रहे। प्रतिदिन 16000 मामले दर्ज किए जाते थे। लेकिन बकरीद में ढील के कारण अब केरल से अकेले 20000 से अधिक नए मामले प्रतिदिन दर्ज किए जाते हैं, जो पूरे भारत में सबसे अधिक है। आधे से ज्यादा नए मामले भारत में केवल केरल से ही निकलते हुए दिखाई दे रहे हैं।
वीना जॉर्ज को उपदेश का ख्याल बकरीद के दौरान नहीं, बल्कि एक हिन्दू त्योहार, ओणम के दौरान आया। आखिर ऐसा क्यों होता है कि सारे उपदेश वामपंथियों को केवल हिन्दू त्योहारों के समय ही याद आते हैं? कोरोना त्योहारों को देखकर तो नहीं आता, अब जब बकरीद के कारण केरल में स्थिति बद से बदतर हो चुकी है, तब केरल की स्वास्थ्य मंत्री को नैतिकता की याद आ रही है।
केरल सरकार और वामपंथियों के इन्हीं दोहरे मापदंडों के पीछे आज ये पूरे देश में कोपभाजन के पात्र बने हुए हैं। इन्हीं वामपंथियों के लिए काँवड़ यात्रा किसी प्रलयंकारी निर्णय से काम नहीं था, जिसके लिए इन्होंने सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन जब बकरीद में पाबंदियों में ढील हटाने की बात आई, तो इन्हीं वामपंथियों को सांप सूंघ गया।
इसी के कारण वुहान वायरस के सक्रिय मामलों में जबरदस्त उछाल आया है। इस समय पूरे देश में सबसे बेकार हालात केरल और महाराष्ट्र के हैं। इसके पीछे दो प्रमुख कारण है – प्रशासनिक लापरवाही और वैक्सीन के प्रति प्रशासन की आनाकानी। लेकिन केरल में स्थिति इतनी खराब है कि सीरो सर्वे के अनुसार देश में अगर किसी जगह सबसे कम एंटी बॉडी विकसित हुई है, तो वो है केरल को लोगों में ही है। इसके बावजूद केरल का प्रशासन अल्पसंख्यक तुष्टीकरण में जुटा हुआ है और अब ओणम पर ज्ञान बाँच रहा है।