हिमंता की चेतावनी के बाद लाइन पर आया ULFA, अब नहीं करेगा स्वतंत्रता दिवस का बॉयकॉट

हिमंता, योगी की लाइन पर हैं, धीरे-धीरे सब लाइन पर आएंगे।

उल्फा असम

गोस्वामी तुलसीदास की ‘रामचरितमानस’ में एक बात तो बहुत ही उचित लिखी गई है, ‘भय बिनु होई न प्रीति’। ये कथन असम के वर्तमान परिस्थितियों में बिल्कुल सटीक सिद्ध होता है। हाल ही में उग्रवादी और अलगाववादी गुट United Liberation Front for Assam यानी कि उल्फा ने अपनी दशकों पुरानी रीति स्वतंत्रता दिवस के बॉयकॉट को खत्म करने की बात कही है और साथ ही उन्होंने बातचीत का प्रस्ताव भी सामने रखा है।

उल्फा ने ये प्रस्ताव यूं ही नहीं रखा है बल्कि अब उसे भी असम में हिमंता बिस्वा सरमा का डर सता रहा है। हिमंता ने असम में अपराधियों और देशद्रोहियों पर हंटर चला रखा है जो भी किसी अपराध में लिप्त मिलता है उस पर सख्त कार्रवाई हो रही है। हिमंता लगातार ऐसे कदम उठा रहे हैं जिससे कि असम के अलगाववादियों की स्थिति बुरी होती जा रही है।

अलगाववादी गुट यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ़ असम यानी उल्फा अब लाइन पर आता दिख रहा है। अल्फा वर्षों से स्वतंत्रता दिवस का बॉयकॉट करता आ रहा था, लेकिन अब उसने ऐलान किया है कि स्वतंत्रता दिवस का बॉयकॉट नहीं करेगा। इस बात को सुनने के बाद आप भी सोच रहे होंगे कि आज सूरज किस दिशा से उगा है? जो उल्फा अक्सर भारत विरोधी बयान देता था और असम को भारत से अलग करने के स्वप्न बुनता था, वो अचानक से स्वतंत्रता दिवस के समारोह में हिस्सा लेने की बातें कैसे करने लगा? परंतु ये सच है, और इसके पीछे केवल एक कारण है – असम के वर्तमान मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और राज्य में अपराध के प्रति उनका सख्त रवैया।

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हाल ही में उल्फा के स्वतंत्र गुट यानी उल्फा आई, जिसका नेतृत्व परेश बरुआ करते हैं, ने निर्णय लिया है कि वे इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर हर वर्ष की भांति असम बंद/बॉयकॉट का फरमान नहीं जारी करेंगे। अपनी प्रेस रिलीज में इस गुट ने कहा कि वह असम के मुद्दे पर सरकार से बातचीत को तैयार है, बशर्तें वह इसके लिए संविधान में कुछ बदलाव करे।

अब सवाल ये उठता है कि आखिरकार उल्फा स्वतंत्रता दिवस क्यों नहीं मनाता था ? दरअसल, अपनी प्रेस रिलीज में ही इसका कारण उल्फा ने स्पष्ट किया है। उनके अनुसार 1826 में बर्मा और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच एक कथित समझौता हुआ था, जिसमें असम की स्वतंत्रता को मान्यता दी गई थी। इसीलिए उल्फा अपने आप को आज तक भारतभूमि का हिस्सा नहीं मानता और अलगाववाद तथा आतंकवाद के जरिए एक स्वतंत्र असम की मांग करता है, लेकिन अब उल्फा बातचीत को तैयार है, इसके लिए वो चाहता है कि केंद्र सरकार संविधान में कुछ विशेष संशोधन करे।

अब सवाल उठता है कि ये संभव कैसे हुआ ? जो उल्फा, आतंक के अलावा किसी और मार्ग के बारे में सोचता भी नहीं था वो अचानक से बातचीत के लिए कैसे तैयार हुआ? इसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं– पूर्वोत्तर की बदलती राजनीतिक तस्वीर और असम के वर्तमान मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा।

हिमंता बिस्वा सरमा पहले से ही पूर्वोत्तर में एक कद्दावर नेता रहे हैं और 2021 के चुनाव से पूर्व वे NEDA यानी भाजपा के पूर्वोत्तर लोकतान्त्रिक गठबंधन के संयोजक का पदभार भी संभालते आए हैं, लेकिन असम के नए मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने न केवल असम के राजनीतिक पटल का कायाकल्प किया बल्कि असम के प्रशासन का भी कायाकल्प किया है ठीक वैसे ही जैसे उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने किया है।

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इसके अलावा अपराध से निपटने के लिए हिमंता ने योगी आदित्यनाथ की तर्ज पर असम में एनकाउंटर मॉडल लागू किया है, जो काफी सफल भी रहा है। TFIPOST के ही एक विश्लेषण के अंश के अनुसार, “असम के पुलिस अधिकारियों को हिमंता ने अपने संबोधन में कहा है कि, अपराधी यदि भागने की कोशिश करता है तो उसे पकड़ने के लिए एनकाउंटर किया जाए। यदि क्रिमिनल पुलिस के हथियारों तक को छीनता है तो उसका एनकाउंटर करना सही पैटर्न माना जाएगा।”

इसी बैठक में हिमंता ने कहा है कि महिलाओं और युवतियों के साथ होने वाले बलात्कार जैसे संगीन अपराधों के मुद्दों पर 6 महीने के भीतर आरोप पत्र दाखिल कर दिया जाना चाहिए, जोकि पीड़ितों को जल्द न्याय दिलाने में सहायक होगा।”

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ऐसे में उल्फा को भय है कि यदि हिमंता ने असम पुलिस को खुली छूट दे दी, तो उनके बने बनाए नेटवर्क का कुछ ही महीनों में विध्वंस हो जाएगा। ऐसे में अब समूल विनाश से बचने के लिए उल्फा के पास सुलह के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है।

हिमंता बिस्वा सरमा ने जब से असम की कमान संभाली है, तब से असामाजिक तत्वों और आपराधिक तत्वों की गतिविधियों में भी थोड़ी कमी आई है। हालांकि ये लड़ाई काफी लंबी है, लेकिन दशकों बाद उल्फा का स्वतंत्रता दिवस पर ‘असम बंद’ का फरमान रद्द करना ही इस बात का परिचायक है कि समय बदल रहा है, जिसके लिए हिमंता बिस्वा सरमा की जितनी प्रशंसा की जाए वो कम होगी।

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