श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव श्री चंपत राय और उनके भाई पर भ्रष्टाचार के बेबुनियाद आरोप लगाने वाले कथित पत्रकार विनीत नारायण को माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ओर से कड़ी फटकार लगाई गई है। न्यायालय ने विनीत को आदेश दिया है कि वह अपनी फेसबुक पोस्ट डिलीट करे। साथ ही उच्च न्यायालय ने विनीत नारायण को चेतावनी दी है कि वह भविष्य में ऐसी कोई भी पोस्ट नहीं लिखेगा, जो किसी पर निराधार आरोप लगाती है। विनीत नारायण ने न्यायालय में चंपतराय और उनके भाई से माफी भी मांगी है।
हालांकि इसे विनीत कुमार नारायण की ढिठई ही मानी जाएगी कि उसने अपने झूठ पर भी अंत तक टिके रहने का साहस दिखाया और उच्च न्यायालय द्वारा कहे जाने के बाद ही पोस्ट डिलीट की। ऐसे में न्यायालय के फैसले को और सख्त होना चाहिए था और ऐसे व्यक्ति को जो रामभक्तों को अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए बदनाम कर रहा है, उसे या तो कुछ दिनों का कारावास की सजा सुनानी चाहिए थी या उस पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए था। फिर भी कोर्ट की फटकार, ऐसे दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों के लिए पर्याप्त है, क्योंकि कोर्ट ने अपने आदेश से जन्मभूमि पर अनावश्यक विवाद पैदा करने वाले सभी लोगों को कड़ा संदेश दिया है।
वास्तव में संघ और उससे जुड़े संगठनों की समस्या यही है कि उनपर कोई भी आरोप लगाकर चल देता है और वे सिर्फ सफाई देते हैं, जबकि उन्हें ऐसे लोगों पर कानूनी कार्रवाई करवानी चाहिए। चंपत राय भी विश्व हिंदू परिषद के स्वयंसेवक हैं, और स्वयंसेवकों का यह अवगुण, कि हर आरोप को हंसकर टाल दो, उनमें भी है।
इसीलिए विनीत कुमार ने श्री चंपत राय और उनके भाई संजय बंसल पर नया बेबुनियाद आरोप लगा दिया। उसने आरोप लगाया कि चंपत राय और उनके भाई ने अलका लाहोटी की गौशाला की जमीन पर कब्जा किया है। लेकिन इस बार क्योंकि मामले में चंपत राय के भाई का नाम भी शामिल था तो उन्होंने विनीत को ऐसे ही नहीं जाने दिया, बल्कि बिजनौर में उसके खिलाफ FIR दर्ज करवा दी। इस FIR में अलका लाहोटी का नाम भी शामिल था। पुलिस ने IPC की 14 धाराओं और IT एक्ट की तीन धाराओं में मामला दर्ज किया था। चंपत राय के भाई ने आरोप लगाया कि श्री चंपत राय पर लगाए गए बेबुनियाद आरोपों से लाखों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। यही मामला कोर्ट में गया और विनीत नारायण को अच्छा सबक मिल गया।
बता दें कि अलका लोहाटी पर खुद ही घोटाले का आरोप है। लाहोटी पर गोशाला सोसाइटी के अध्यक्ष पद पर रहते हुए अपने पद का दुरूपयोग कर लगभग तीन करोड़ रूपये का हेरफेर करने का भी आरोप है।
विनीत नारायण की बात करें तो उसने JNU से पढ़ाई की है। उसके पिता कांग्रेस शासन में दो बार कुलपति रहे और माँ भी कांग्रेस की नेता थीं। उसकी पत्नी JNU में ही प्राध्यापिका हैं। विनीत नारायण का नाम जैन डायरी विवाद में सामने आया था, जब उसने देश के कई बड़े नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। हालांकि इस मामले में भी श्री लालकृष्ण आडवाणी को फर्जी ही फंसाया गया था। उस समय आडवाणी ने शुचिता की मिसाल देते हुए स्वयं ही संसद से इस्तीफा दे दिया था और कहा था कि वह तब तक संसद वापस नहीं आएंगे जब तक उन पर लगे आरोप निराधार नहीं सिद्ध हो जाते। दो वर्षों में ही आडवाणी जी पर लगे आरोप फर्जी सिद्ध हो गए।
विनीत नारायण और उनके जैसे लोगों का असल निशाना चंपत राय या आडवाणी नहीं बल्कि हिंदुत्व का पुनरूत्थान है और भगवान राम का मंदिर है। आडवाणी पर भी फर्जी आरोप इसीलिए लगाए गए थे क्योंकि तब वह हिंदुत्व का एक प्रमुख चेहरा थे और मंदिर आंदोलन के मुख्य स्तंभ थे। आज चंपत राय के बहाने भी निशाना हिंदुत्व और श्रीराम ही हैं। अयोध्या का मंदिर केवल आस्था का स्थल नहीं है, वह भारतीय राष्ट्र के पुनरुत्थान, उसकी सशक्तता, और सनातन धर्म का जीवट का प्रतीक है। अयोध्या हिंदुत्व की यात्रा को दिखाता है कि कैसे एक सभ्यता को तोड़ने का प्रयास हुआ लेकिन वह सभ्यता आज धूल से उठकर फिर उदयाचल पर्वत सी बड़ी होती जा रही है। विनीत कुमार, संजय सिंह, अखिलेश यादव जैसे लोगों को यही परिवर्तन खाए जा रहा है।