अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करके भस्मासुर ने कैसे स्वयं का अंत किया था, इसका उदाहरण यदि आज के समय में देखना हो, तो हाल ही पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए नवजोत सिंह सिद्धू के क्रियाकलापों को देख सकते हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमिरंदर सिंह को मिल रहा है। सिद्धू के सलाहकार एक तरफ अलगाववादी बयान दे रहे हैं तो दूसरी ओर सिद्धू दबे मुंह कैप्टन को सीएम पद से हटाने की मांग कर चुके हैं, जिसके बाद पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने स्पष्ट कर दिया है कि कैप्टन को सीएम पद से नहीं हटाया जा सकता है। वहीं सिद्धू के सलाहकारों द्वारा दिए गए अलगाववादी बयानों के बाद से ही हरीश रावत उन्हें हटाने की बात कर चुके हैं। स्पष्ट है कि कांग्रेस आलाकमान ये मान चुका है कि सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उन लोगों ने गलती कर दी है। इसके विपरीत सिद्धू के इस रवैए के कारण कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब में स्थिति अधिक मजबूत हो गई है।
पंजाब में अमरिंदर सिंह एवं नवजोत सिंह सिद्धू के बीच कांग्रेस आलाकमान की प्लानिंग थी, कि सिद्धू के दम पर पंजाब कांग्रेस से कैप्टन अमरिंदर सिंह को साइड लाइन किया जाएगा, एवं पंजाब पर आलाकमान का विशेष प्रभाव भी होगा। इसके विपरीत सिद्धू अब कांग्रेस के लिए ही मुसीबत बन गए हैं। ऐसे में सबसे बड़ा फायदा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को हुआ है। कैप्टन ने अपना शक्ति प्रदर्शन तक करना शुरु कर दिया है। उन्होंने अपने 55 समर्थक कांग्रेस विधायकों के साथ लंच आयोजित किया, और एक अनौपचारिकता बैठक भी की, जो ये दर्शाता है कि कैसे कैप्टन अब दोबारा कांग्रेस में अपनी ताकत बढ़ा चुके हैं।
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सिद्धू अपने चार समर्थक मंत्रियों के माध्यम से ये हवा बनाने लगे थे, कि कांग्रेस को राज्य मे कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर एक नए मुख्यमंत्री को नियुक्त करना चाहिए। जबकि सिद्धू के दो सलाहकार अलगाववादी बयान देने के साथ जम्मू कश्मीर तक के मुद्दे पर ऊल-जलूल बयानबाजी करने लगे हैं। सिद्धू गुट के ये लोग सिद्धू के लिए ही मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान द्वारा सिद्धू को तगड़ी लताड़ मिली है, जिसके चलते हरीश रावत ने कहा है कि वो सिद्धू के सलाहकारों को कभी-भी हटा सकते हैं। इसके विपरीत सिद्धू के एक सहयोगी मलविंदर सिंह मालवी ने इस्तीफा दे दिया है, और कैप्टन से अपनी जान को खतरा बता दिया है।
स्पष्ट है कि आरोप चाहें जितने लगे लेकिन इस पूरे प्रकरण के बाद पंजाब कांग्रेस में इस नई उथल पुथल के बीच सबसे बड़ा फायदा कैप्टन अमरिंदर सिंह को ही मिला है। कैप्टन के इस मजबूत होते कद के पीछे सबसे बड़ी वजह उनका धैर्य धारण किए रहा है, क्योंकि जिस तरह से कैप्टन की आपत्तियों को नजरंदाज करते हुए सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था, वो उनके लिए किसी अपमान से कम नहीं था। कांग्रेस आलाकमान कैप्टन से अधिक महत्व सिद्धू को दे रहा था, लेकिन कैप्टन ने संघर्ष करना जारी रखा।
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कैप्टन एक मंझे हुए राजनेता हैं, उन्हें पता था कि सिद्धू जिद चाहे जितनी भी कर लें, लेकिन उनके पास राजनीतिक कौशल नहीं है। सिद्धू को केवल विरोध की राजनीति करना ही आता है, और वो स्वयं ही अपने लिए गड्ढे खोद लेंगे। कैप्टन की इसी राजनीतिक दूरदर्शिता का फायदा अब उन्हें मिल रहा है, क्योंकि सिद्धू कांग्रेस के लिए भस्मासुर की भूमिका निभा रहे हैं।
अमरिंदर ने अपमान का घूंट पीने के बावजूद संघर्ष किया, जिसका फायदा उन्हें मिल रहा है। सिद्धू स्वयं अपनी राजनीतिक अपरिपक्वता जाहिर कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान का मोह भंग हो चुका है और अमरिंदर का राजनीतिक कद पंजाब में बढ़ गया है।