अपने असफल करियर को पुनर्जीवित करने के लिए अन्ना हजारे लेंगे हिंदुत्व का सहारा

अपने चेले के हिंदू-विरोधी फैसलों पर कुछ नहीं बोलने वाले अब हिंदुत्व का ढोंग कर रहे हैं!

अन्ना हज़ारे आंदोलन

समाज और लोकसेवा के नाम पर मेवा मारने वाले समाज सुधारकों की एक लंबी श्रृंखला है। इन्हीं में एक हैं महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि से नाता रखने वाले किशन बाबुराव हज़ारे उर्फ अन्ना हजारे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार को कोरोना के चलते बंद मंदिरों को खोलने की अपील की है और ऐसा न होने पर अन्ना हजारे ने सड़क पर आकर आंदोलन करने कि चेतावनी भी दी है। यह चेतावनी इस समय महाराष्ट्र सरकार की नींद उड़ाने वाली साबित हो रही है क्योंकि सरकारी तंत्र इस बात से भयबीत है कि विरोध करने कि तैयारी प्रारम्भ तो हुई पर अन्ना हज़ारे उसके अग्रदूत हैं, इससे इन सभी में भय का वातावरण है।

जनलोकपाल बिल की मांग करते हुए 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान से अनशन की शुरुआत करने वाले हजारे देश भर में चर्चाओं में उसी दौरान आए थे। जिसके उपरांत इन्हीं के शिष्य ने इनकी शह पर पार्टी बना ली और आज वो दिल्ली का CM बन सत्ता का सुख भोग रहा है। हालांकि, अन्ना हजारे ने आम आदमी पार्टी गठन के समय कहा था कि इस निर्णय में उनका कोई हस्तक्षेप नहीं है। परंतु सबको यह सर्वविदित सत्य ज्ञात है कि उस जनांदोलन के माध्यम से केजरीवाल ने अन्ना के साथ मिलकर अपनी सियासी राह तलाशते हुए पार्टी का गठन किया था। अब अन्ना अपना वही आंदोलनकारी स्वरूप ओढ़ते हुए पुनः लाईमलाइट बटोरने के लिए चल पड़े हैं।

इस बार हिंदुवादी बनने का फुलप्रूफ प्लान बनाते हुए अन्ना हजारे ने महाराष्ट्र में कोरोना नियमों के अंतर्गत बंद पड़े मंदिरों को खुलवाने के लिए आंदोलन खड़े कर देने की धमकी दे दी है।

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने महाराष्ट्र सरकार के राज्य में मंदिरों को फिर से नहीं खोलने के फैसले पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि, जब बार और पब को चालू करने की अनुमति दी जा सकती है तो मंदिरों पर से प्रतिबंध क्यों नहीं हटाया गया है। ऐसा नहीं होने पर यदि आंदोलन किया जाता है तो वह उसे अपना समर्थन देंगे।

अन्ना हजारे ने एमवीए सरकार के मंदिरों को फिर से खोलने से इनकार करने पर सवाल उठाने के लिए तर्क देते हुए कहा था कि कोरोना का प्रसार न बढ़े उसकी वजह से मंदिर धार्मिक स्थल नहीं खोले जा रहे हैं। वहीं शराब की दुकानों के बाहर “बड़ी कतार” क्या कोरोना को दावत का आमंत्रण नहीं दे रही है। उन्होंने यह भी कहा कि मंदिरों को फिर से खोलने की मांग करने वाले कुछ लोगों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मुलाकात की थी।

यह भी पढ़ें- क्या केंद्र से पैसा लेने के लिए उद्धव ठाकरे जानबूझकर महाराष्ट्र को कोरोना की लड़ाई में झोंक रहे हैं?

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने कई क्षेत्रों को फिर से खोल दिया और आम लोगों को, जिन्हें पूरी तरह से टीका लगाया गया है, उन्हें मुंबई में लोकल ट्रेनों में यात्रा करने की अनुमति दी गई क्योंकि कोरोनोवायरस परिदृश्य में हफ्तों में सुधार हुआ। हालाँकि, राज्य सरकार अभी भी कोरोनोवायरस के प्रसार के डर से धार्मिक स्थलों को फिर से खोलने से सावधान है, खासकर जब महामारी की तीसरी लहर का अनुमान लगाया जा रहा है।

अन्ना हजारे का दोहरा चरित्र तब उजागर हो गया था जब इन्हीं के नन्हें-मुन्हे सिपाही अरविंद केजरीवाल के विरुद्ध दिल्ली की भाजपा इकाई ने साथ आकर अन्ना को अगस्त 2020 में केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करने का आमंत्रण दिया था। अन्ना ने अपने बालक की नीतियों ओर कुशासन के विरुद्ध चूँ तक नहीं करी और उल्टा भाजपा को ही खरी-खोंटी सुना दी आंदोलन करने से त्वरित मना कर दिया था।

यह भी पढ़ें- ‘आपकी विफलता के कारण हम क्यों घाटा सहें?’, उद्धव की तानाशाही पर रेस्तरां और होटलों ने जताया विरोध

इस पूरे प्रकरण से अन्ना हजारे के स्वार्थ सिद्ध करने से लेकर अपने हित के अनुरूप लिए गए फैसलों और अपने शिष्य को बचाने की कौतुहलता दिखाई दी है। ऐसी स्वार्थ निहित समाजसेवा अब नहीं चला पाएगी। 2011-12 में जनता का सरकार के खिलाफ आक्रोश कई मुद्दों पर था इसी वजह से आंदोलन को इतना समर्थन मिल गया था परंतु अब अन्ना का कुछ नहीं बनना।

Exit mobile version