बेगानी शादी में अब्दुल्ला दिवाना का सबसे सटीक उदाहरण पाकिस्तान है। आंदोलन शुरू हुआ अफ़ग़ानिस्तान में, भागे अशरफ गनी, सत्ता पाया मुल्ला बरादर लेकिन सबसे ज्यादा ख़ुश कौन है? पाकिस्तान के कीबोर्ड वारियर्स। ये जोश अभी पाकिस्तान में हैं। खुशियाँ ऐसे मनाई जा रही है जैसे इमरान खान को खजाना मिल गया है, जैसे पाकिस्तान को अब कटोरा नही उठाना पड़ेगा। खैर, एड्रेनलिन अभी चरम पर था कि खुद पाकिस्तान के ही एक पत्रकार सलीम साफी ने नशा उतार दिया है।
ट्विटर पर हाल ही में पाकिस्तान अनटोल्ड (@pakistan_untold) नाम के यूजर ने एक वीडियो साझा किया। वीडियो में पैनल की बहस चल रही है। बहुत से लोग है। एक बड़ा ही गंभीर व्यक्ति भी उस प्रोग्राम में है। वह बताता है कि कैसे पाकिस्तान को अब चार मोर्चे पर लड़ना होगा और पाकिस्तानियों को अपना मुंह बंद रखना चाहिए। ट्वीट के अनुसार वह गम्भीर से दिखने वाला व्यक्ति पश्तून पत्रकार सलीम साफी हैं।
Victory or gang-ban? Pak's Pakhtun journalist warns why Pakistan should stop celebrating and must get ready for a four-front situation. pic.twitter.com/O9RaYDEi9b
— Pakistan Untold (@pakistan_untold) August 17, 2021
वीडियो 1 मिनट, 12 सेकंड की है। पत्रकार सलीम साफी बताते हैं कि तालिबान के अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने के बाद अब पाकिस्तान को चार मोर्चो पर लड़ना है। पहला मोर्चा तो पाकिस्तान के अंदर हो है यानि TTP। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान एक कुख्यात आतंकी संगठन है जो अपने आप को तालिबान का ही extended arm मानता है। यह 6000 लड़ाकों का समूह है जो पाकिस्तान राज्य से सरकार को उखाड़ फेंकना चाहता है। वर्ष 2007 के दिसम्बर में बना यह संगठन पाकिस्तान के 13 आतंकी संगठनों का समूह है जो कि पाकिस्तान में काफी सक्रिय रहते हैं। साफी के हिसाब से, अफ़ग़ानिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान के सत्ता में आने से पाकिस्तान भी सुरक्षित नहीं है। तालिबान की पाकिस्तानी इकाई अब सक्रिय हो चुकी है।
सलीम साफी के अनुसार दूसरे मोर्चे पर अमेरिका है जो पाकिस्तान को एक लंबे समय से आतंकवाद को जन्म देने के लिए दंडित करना चाहता है। यही नहीं पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डालने की कोशिश भी अमेरिका में हो चुकी है। तीसरा मग़रिबी छोर पर। मग़रिब का मतलब पश्चिम, यानी पश्चिमी देश भी अब पाकिस्तान को जवाबदेह बनाने की कोशिश करेगा। पाकिस्तान दूसरे देशों के पैसों पर पलने वाला देश है। यूरोपियन यूनियन से उसको बढ़िया पैमाने पर पैसा मिलता है। पाकिस्तान की अफगानिस्तान में सक्रियता बढ़ने से, तथा उसका इस तख्तापलट में हाथ होने की स्थिति स्पष्ट होने पर, पश्चिमी देशों से भी पाकिस्तान को फटकार मिलनी तय है।
चौथा और आखिरी मोर्चा है कबीलाई लड़ाके जो एक लंबे अरसे से सक्रिय है और उनमें असंतोष का भाव भी बहुत ज्यादा है। सलीम साफी आगे बताते हैं कि तालिबान के बदल जाने की सम्भावना बहुत ही कम है, इसलिए हमें(पाकिस्तान को) अपना मुंह बंद रखना चाहिए।
पाकिस्तान के इस पत्रकार का यह बयान उन पाकिस्तानी लोगों के मुंह पर चांटा है जो तालिबान के कब्जे से फुले नहीं समा रहे हैं। शायद वो भूल गए हैं कि तहरीक-ए-तालिबान वही आतंकी संगठन है जिसने 2014 में, पेशावर के 149 बच्चों को बम धमाके में मार दिया था। साथ ही यह भी नहीं भूलना चाहिए कि तालिबानी कमांडर मुल्ला बरादर पाकिस्तानी जेल में ही कैद था जो अब तालिबान की ओर से अफगानिस्तान का राष्ट्रपति बन सकता है। ऐसे में वह पाकिस्तान से बदला लेने को आतुर होगा। आज खुश हो रहे पाकिस्तानियों को पत्रकार सलीम साफी की बात मानते हुए अपना मुंह बंद ही रखना चाहिए।