अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान अब वैश्विक स्तर पर अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए वह सोशल मीडिया पर भी अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। हालांकि फेसबुक तथा YouTube जैसे कई सोशल मीडिया इस आतंकी संगठन को बैन कर उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर ट्विटर अब अभी तालिबानियों के अकाउंट हटाने से मना कर रहा है। यानि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का अकाउंट बैन करने वाला ट्विटर स्पष्ट तौर पर आतंकी तालिबान के आकाओं के समर्थन में दिख रहा है।
दरअसल, एक तरह ट्विटर जहां तालिबानियों को Fighters बता रहा है तथा कई तालिबानियों के अकाउंट अब भी इस प्लैटफ़ॉर्म पर सक्रिय है। वहीं दूसरी तरफ फेसबुक ने एक विशेष टीम का गठन किया है जिसका काम तालिबान के समर्थन संबंधित पोस्ट और अकाउंटस् पर स्थाई प्रतिबंध लगाना है। फेसबुक के इस कदम की सराहना की जा रही है।
हैरानी की बात यह है कि ट्विटर द्वारा तालिबानियों के अकाउंट्स और Tweets पर कोई भी कार्रवाई होना तो दूर की बात है, बल्कि ट्विटर द्वारा उन्हें ‘फाइटर’ बताया जा रहा है, जिसके बाद Twitter की पॉलिसी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ट्विटर का कहना है कि जब तक वे ट्विटर की पॉलिसी मानेंगे तब तक उन्हें ट्विटर से नहीं हटाया जाएगा।
अमेरिकी कानूनों के अनुसार तालिबान एक प्रतिबंधित आतंकी संगठन है। ऐसे में सोशल मीडिया कंपनियों को इनके अकाउंट्स बहाल रखने के अधिकार नहीं हैं। सोशल मीडिया की सबसे बड़ी कंपनी फेसबुक ताबड़तोड़ तरीके से तालिबान के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। फेसबुक द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक कंपनी ने एक विशेष टीम का गठन किया है, जिसका मुख्य काम तालिबान आतंकियों के फेसबुक अकाउंट पर बैन लगाना, और तालिबान से संबंधित प्रत्येक पोस्ट को रिव्यू करने का है। इतना ही नहीं कंपनी ने इस काम के लिए एक पश्तो भाषा के विशेषज्ञों को भी इस टीम में रखा हैं, जिससे भाषा संबंधित समस्या न हो।
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इस मुद्दे पर फेसबुक की तरफ से जारी हुए बयान में अधिकारियों ने अपनी नीतियों को हवाला देते हुए कहा, “अमेरिकी कानून के तहत तालिबान को आतंकी संगठन करार दिया गया है और हमने इस खतरनाक आर्गेनाइजेशन से संबंधित नीतियों के अतंर्गत ही हमारे प्लेटफ़ॉर्म पर उन्हें प्रतिबंधित कर दिया है। इसका मतलब है कि हम उनके द्वारा चलाए जा रहे या उनसे जुड़े तमाम अकाउंट को हटा रहे हैं। इनमें वो अकाउंट भी शामिल हैं जो तालिबान का प्रतिनिधित्व, प्रशंसा या समर्थन करते हैं।”
The Taliban are sanctioned as a terrorist organization under US law & we've banned them from our services under our Dangerous Organisation Policies.This means we remove accounts maintained by/on behalf of the Taliban& ban their praise,support,&representation: Facebook Spox to ANI
— ANI (@ANI) August 17, 2021
अपनी विशेष टीम के गठन के संबंध में फेसबुक ने कहा,“हमारे पास अफगानिस्तान के विशेषज्ञों की एक समर्पित टीम है जो दरी (Dari) और पश्तो (Pashto) मूल के वक्ता हैं और इन्हें क्षेत्रीय संदर्भों की जानकारी है। ये हमें फेसबुक प्लेटफार्म पर आने वाले इस तरह के किसी भी मामले को लेकर सतर्क कर देंगे। हमारी टीम काफी करीब से हालात की मानिटरिंग कर रही है।” स्पष्ट है कि फेसबुक अपने प्लेटफॉर्म पर तालिबान का अस्तित्व पनपने नहीं देगा।
फेसबुक की इस ताबड़तोड़ कार्रवाई के बीच माइक्रोब्लॉगिंग साइट Twitter ने अपने दोगले चरित्र का एक बार फिर प्रदर्शन कर दिया है। एक तरफ जहां फेसबुक तालिबान को एक आतंकी संगठन मानता है, तो दूसरी ओर Twitter की नजरों में तालिबान के सदस्य एक ‘फाइटर’ हैं। Twitter ने अपने What’s New वाले सेक्शन में तालिबान की खबर बताते हुए लिखा, “तालिबानी लड़ाके अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन में घुसे।”
अब Twitter द्वारा ‘आतंकियों’ को ‘लड़ाके’ लिखना दिखाता है कि Twitter की तालिबान के प्रति कितनी अधिक सकारात्मक सोच है। इतना ही नहीं तालिबान के आधिकारिक प्रवक्ता जबीहुल्लाह का Twitter अकाउंट भी सार्वजनिक है। वो शख्स खुलेआम अपना डिजिटल तालिबानी आतंक सोशल मीडिया पर भी फैला रहा है, किन्तु Twitter ने अभी तक न इस पर, और नहीं इन जैसे अनेकों तालिबानी आतंकियों के Twitter अकाउंट पर कोई बैन लगाया है।
Twitter says Taliban can stay on platform if they obey rules https://t.co/U6xcJQaZzW pic.twitter.com/UdfvJAcaTG
— New York Post (@nypost) August 17, 2021
Freedom and democracy are not doing well when #Twitter continues to ban #Trump’s account but relays the #Taliban spokesperson's without any second thoughts pic.twitter.com/WAOCCdoGdt
— Jerome Riviere 🇫🇷 (@jerome_riviere) August 15, 2021
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वो Twitter जो दुनिया के कथित सुपरपावर देश अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का अकाउंट दंगा भड़काने के आरोप में स्थाई रूप से बंद कर चुका है, वो तालिबानी आतंकियो को लड़ाके बता रहा है और उन्हें अपने माध्यम से दुनिया में आतंकी विचारधारा को उकसाने का डिजिटल मंच दे रहा है। इस मुद्दे पर पहली नजर में तो Twitter पर ही सवाल खड़े होते हैं, किन्तु सवाल अमेरिका के कानून पर भी खड़े होते हैं।
आखिर जिन अमेरिकी कानूनों के अंतर्गत फेसबुक तालिबान का डिजिटल खात्मा कर रहा है, क्या वो ही कानून Twitter पर लागू नहीं होते? इस मुद्दे पर आवश्यक है कि Twitter के खिलाफ भारतीय नियमों के उल्लंघन पर भारत सरकार द्वारा ही सख्त कार्रवाई हो, क्योंकि Twitter आए दिन अपना दोगला चरित्र प्रदर्शित करता है।