उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भले ही मीडिया, आलोचकों और तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा एक “बाबा” माना जाता हो पर विकास के आंकड़े उन्हें देश के नेताओं का दादा बता रहे हैं। मात्र 4 सालों में ही उत्तर प्रदेश पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से दूसरे पायदान पर लाने के बाद अब योगी का सारा ध्यान कनेक्टिविटी पर है इसलिए उत्तर प्रदेश में देश की सबसे बढ़िया और मजबूत एक्सप्रेसवे पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विजन का हिस्सा है जिसमें उन्होंने बार-बार विकास को रोड से जोड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार कहा है कि मजबूत बुनियादी ढांचे से विकास का रास्ता साफ हो जाएगा। इसी विजन के साथ देश में रिकार्ड तोड़ हाइवे और एक्सप्रेसवे बन रहा है। पूरी दुनिया के सबसे महंगे मेगाप्रोजेक्ट में से एक दिल्ली मुंबई इकोनॉमिक कॉरिडोर का निर्माण हो रहा है जिससे 14 दिन में आने वाला सामान 14 घण्टे में आएगा।
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे
उत्तर प्रदेश में भी एक्सप्रेस वे और हाइवे की बारिश हो रही है। सबसे पहले बात पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की करते है। इसे उत्तर प्रदेश सरकार के सेक्रेटरी ने रीढ़ की हड्डी कहा है। इससे गाजीपुर को लखनऊ से जोड़ा जाएगा। पहले आजमगढ़ से लखनऊ 5 घण्टे में जाया जाता था लेकिन आज वह दूरी 2 घण्टे में पूरी होगी। इस एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के पूर्वोत्तर क्षेत्रों को राजधानी से जोड़ा जा सकेगा। इस एक्सप्रेसवे की पूरी लंबाई 340 किलोमीटर होगी। इसका कार्य 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है तथा इसी वर्ष अक्टूबर में काम पूरा होने की उम्मीद है। एक बार खुलने के बाद, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे लखनऊ जिले के गांव चंदसराय से शुरू होकर पूर्वी यूपी की हृदय रेखा बन जाएगा, तथा यूपी-बिहार सीमा से सिर्फ 18 किमी पहले गाजीपुर जिले के गांव हैदरिया तक नौ जिलों को जोड़ेगा। यह छह (6) लेन का विश्व स्तरीय कैरिजवे है और इसे आठ (8) लेन तक बढ़ाया जा सकता है। वायु सेना के लिए सुल्तानपुर जिले में एक्सप्रेस-वे पर आपात स्थिति में हवाई पट्टी भी विकसित की जा रही है।
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे
वहीं प्रदेश में 296 किलोमीटर लम्बा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे भी बन रहा है जो राजधानी से उन क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा जहाँ वीरान था और डकैतों को पनाह मिलती थी। आज वहां डिफेंस कॉरिडोर बन रहा है और वहां पर अर्थिक स्थिति में भयंकर रूप से बदलाव आ रहा है। ये हाईवे इटावा में लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा।चित्रकूट से इटावा तक 300 किमी बुंदेलखंड एक्सप्रेस परियोजना, सात जिलों – चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा को जोड़ती है। यह चार लेन की कैरिजवे है जिसे छह लेन तक विस्तार किया जा सकता है। इस परियोजना को पूरा करने की निर्धारित तिथि मार्च, 2022 है, लेकिन बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का मुख्य कैरिजवे दिसंबर 2021 तक चालू होने की उम्मीद है।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे
91 किलोमीटर लम्बा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का निर्माण भी लगभग पूरा होने वाला है जिससे गोरखपुर को लखनऊ, बनारस, गाजीपुर से जोड़ा जाएगा। इन सबके बाद आता है 594 किलोमीटर लम्बा गंगा एक्सप्रेसवे। इस हाइवे की कीमत ₹40,000 करोड़ है। यह मेरठ से प्रयागराज तक लम्बा एक्सप्रेसवे होगा।
गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना
लगभग 600 किमी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे परियोजना के साथ, योगी सरकार भारत का दूसरा सबसे लंबा राज्य एक्सप्रेसवे बनाने की प्रक्रिया में है। यह एक्सप्रेसवे मेरठ के बिजौली गांव से प्रयागराज तक, यूपी के 12 जिलों यानी मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज को जोड़ेगा।
उत्तर प्रदेश में आज देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे नेटवर्क है। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले प्रदेश में दो ही एक्सप्रेसवे थे। 165 किलोमीटर लम्बा लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे और 302 किलोमीटर लंबा आगरा राजधानी एक्सप्रेसवे। यानी सपा और बसपा दोनों के शासन के पिछले 15 वर्षों में सिर्फ 467 किलोमीटर लंबी एक्सप्रेसवे थी। आज उत्तर प्रदेश में 1325 किलोमीटर की एक्सप्रेसवे है जो की पूर्व से चार गुना ज्यादा है।
2020 में भी पीएम नरेंद्र मोदी ने योगी आदित्यनाथ की तारीफ की कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश एक ‘एक्सप्रेस स्टेट’ बनता जा रहा है।
गुजरात मॉडल और केरल मॉडल पर बड़ी-बड़ी बातें आपको सुनने के लिए मिल जाएंगी पर उत्तर प्रदेश का मॉडल इन मॉडलों से ज्यादा कारगर साबित होता दिख रहा है। मात्र 3.5 वर्षों में 1 लाख 88000 करोड़ रुपये का निवेश आ चुका है जिसमें ₹66,000 करोड़ का निवेश लॉकडाउन के समय आया है। बहुत से लोग अब यूपी मॉडल को समझ रहे है। प्रदेश में चल रही सरकारी विकास योजनाएं, उत्तर प्रदेश के स्वर्णिम दौर की नींव है। विभिन्न हिस्सों में बन रहे एक्सप्रेसवे, राजधानी से सटे हुए क्षेत्रों में प्रशासनिक सेवा, नए अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे और लालफीताशाही का अंत चंद उदाहरण है जिससे प्रदेश में आर्थिक विकास हो रहा है। निवेश मित्र नामक पोर्टल से एप्पलीकेशन से लेकर क्लीयरेंस तक, सबकुछ एक खिड़की से हो जा रहा है। महीने भर के भीतर जमीन अधिग्रहण से लेकर राज्य प्रशासन द्वारा स्वीकृति प्रदान कर दी जा रही है। इन्हीं कारणों से उत्तर प्रदेश में इस स्तर पर काम हो रहा है।
आज यूपी के पास देश के सबसे बेहतरीन एक्सप्रेसवे है। आज यहां निवेश और व्यापार को बढ़ाने की प्रतिबद्धता दिख रही है। बुंदेलखंड में ग्रीन डिफेंस कॉरिडोर बन रहा है। सिर्फ इस परियोजना से 1 लाख करोड़ से अधिक के निवेश आने की संभावना है। सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त है। निवेशकों को संसाधन, सुरक्षा और स्वीकृति ही चाहिए है जो उत्तर प्रदेश में मिल रही है। एंकर रिसर्च लैब के CEO अनुपम प्रसाद ने बताया, “हमें एक पैसा भी किसी को नहीं देना पड़ा है। ऐसा पहले की सरकारों में नहीं होता था। सरकार हमारी जरूरतों के लिए सहायक दिखाई दी।”
चीन में मजदूरी महंगी होने के बाद निवेशक और उद्योगपति दुनिया भर में जा रहे हैं और उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें आकर्षित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। ऐसी ही कम्पनी जर्मनी की है जो उत्तर प्रदेश आई है। जूते के निर्माण से जुड़ी हुई कम्पनी, Von Wellx ने अपनी सहायक कम्पनी लाइट्रिक इंडस्ट्रीज चीन से सारा धन और व्यापार लेकर उत्तर प्रदेश में आ गई है।
भले ही उनके राजनीतिक कद को धार्मिक महत्व के आगे कम आंका जाता हो पर सच यह है कि वह कई अन्य मुख्यमंत्रियों के लिए रोल मॉडल है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा, अपने पशुपालन मंत्री को लखनऊ भेजते हैं ताकि वो प्रदेश के गौहत्या प्रतिबंध कानून के बारे में जान सकें। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, अंतर-धार्मिक विवाह के खिलाफ यूपी के कानून को जानने के लिए एक राजकीय अधिकारी, विधानसभा प्रोटेम स्पीकर को उत्तर प्रदेश भेजते हैं। यूपी के सीएम द्वारा ‘एंटी-लव जिहाद’ कानून लाने के इरादे की घोषणा के एक दिन बाद ही हरियाणा के मनोहर लाल खट्टर भी इसी तरफ संकेत देते है। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी पुलिस महकमे के आला अधिकारियों को यह आदेश देते है की विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए नुकसान की भरपाई कराने के लिए उत्तर प्रदेश से सीखना चाहिए। ये कुछ बातें है जो “बाबा” योगी आदित्यनाथ को एक तर्क सम्मत मुख्यमंत्री बनाती है।
कोई भी विरोधी दल का नेता आज के तारीख में यह नहीं कह सकता है कि योगी आदित्यनाथ विकास नहीं कर रहे है, बस एजेंडे पर चल रहे है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पूरा देश जानता है की खबरों के पीछे उत्तर प्रदेश में रिकार्ड स्तर पर काम हो रहा है। खुद मुख्यमंत्री ने ही मार्च में विधान सभा में कहा था कि उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार दुबारा बन जाने पर उत्तर प्रदेश देश का सबसे मजबूत आर्थिक राज्य बन जाएगा। उन्होंने कहा कि मात्र 4 सालों में ही उत्तर प्रदेश पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से दूसरे पायदान पर आ गया है। 2015-16 में उत्तर प्रदेश की जीडीपी 10.90 लाख करोड़ रुपये थी जो अब बढ़कर 21.73 लाख करोड़ पहुंच गई है। समाजवादी पार्टी के शासन में प्रत्येक व्यक्ति आय ₹43,000 थी जो चार वर्षों में बढ़कर ₹95,000 जो गई है। अब एक्स्प्रेसवे के क्षेत्र में योगी ने यूपी ‘एक्सप्रेस-वे क्रांति’ कर दी है। भले ही कोई धार्मिक आस्था के आधार पर किसी का विकासशीलता नापना चाहता हो पर योगी आदित्यनाथ ने यह बताया है की कैसे आप सामाजिक न्याय के साथ साथ आर्थिक विकास कर सकते है।