भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने कोविड के लिए DNA आधारित वैक्सीन बना ली है। देश के नागरिकों को अब यह वैक्सीन छठे विकल्प के रूप में मिलेगी जिससे कोरोना के ख़िलाफ़ भारत की लड़ाई को मजबूत मिलेगी। जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने शुक्रवार को आपात इस्तेमाल की इजाजत दे दी है। कैडिला की ZyCoV-D वैक्सीन के 3 डोज लगेंगे जो 28 दिन के अंतराल पर दिए जा सकते है।
भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही जंग में अब तक 57 करोड़ से ज्यादा डोज लग चुके है। 13 करोड़ आबादी दोनों डोज लगवाकर पूर्ण रूप से सुरक्षित हो गई है जोकि आबादी के 10% से कम है। 10% से कम सुनकर हताश होने की आवश्यकता नहीं है। यह समझिए की हम लोग 5 बार ऑस्ट्रेलिया की पूरी आबादी को वैक्सीन लगा चुके है। ZyCoV-D वैक्सीन के साथ अब देश के पास छः वैक्सीन हो गई है।
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ZyCoV-D वैक्सीन डीएनए पर आधारित दुनिया की पहली वैक्सीन है। इस टीके को 12 साल व इससे अधिक उम्र के लोगों को दिया जा सकता है। ZyCoV-D वैक्सीन की खूबियां चर्चें में हैं। इसकी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे बिना सुई की मदद के फार्माजेट द्वारा लगाया जाएगा, जिससे साइड इफेक्ट के खतरे कम हो जाएंगे। बिना सुई वाले इंजेक्शन में दवा भरी जाती है, फिर उसे एक मशीन में लगाकर बांह पर लगाया जाता है। मशीन पर लगे बटन को दबाने से टीका की दवा अंदर शरीर में पहुंच जाती है।
ZyCoV-D वैक्सीन में जेनेटिकली इंजीनियर्ड प्लास्मिड्स (Genetically Engineered Plasmid) है जिनको शरीर में इंजेक्ट किया जाएगा। इससे शरीर में कोविड-19 की तरह स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन होता है और इस तरह वायरस से बचाव वाले एंटीबॉडी पैदा होते हैं।
ऐसे वैक्सीन का निर्माण हमारे देश में हो रहे मेडिकल रिसर्च की प्रतिबद्धता दिखाती है और इससे यह मालूम चलता है कि दुनिया भर में हमारे देश के रिसर्च की क्या अहमियत है।
ऐसे स्वदेशी वैक्सीन के निर्माण का कारण आत्मनिर्भर भारत योजना भी मानी जा सकती है। आत्मनिर्भर भारत और वैक्सीन के सम्बंध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा था, ” विपदा के समय में, भारत दुनिया की मदद के लिए सक्षम इसलिए है क्योंकि भारत अब दवाइयों और वैक्सीन के लिए खुद पर निर्भर है। यही आत्मनिर्भर भारत का विचार है। भारत जितना अधिक मजबूत और सक्षम होगा, भारत मानवता और दुनिया के लिए उतनी ही मदद कर पाएगा।”