M.K स्टालिन नास्तिक होते हुए भी तमिलनाडु के 36400 से अधिक मंदिरों की कमेटी के अध्यक्ष बन सकते हैं

हिन्दू मंदिरों की कमेटी का अध्यक्ष भी कोई हिन्दू ही होना चाहिए!

Hindu Religious and Charitable Endowments Act

हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका को रद्द किया है। इस याचिका के अंतर्गत तमिलनाडु Hindu Religious and Charitable Endowments Act 1959 के अंतर्गत एड्वाइज़री कमेटी के अध्यक्ष बनने से तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को रोकने की अपील की थी। लेकिन मद्रास हाईकोर्ट ने उलटे अपील को ठुकराते हुए एमके स्टालिन के मंदिर एड्वाइज़री कमेटी के अध्यक्ष बनने का मार्ग साफ कर दिया।

लेकिन ये तमिलनाडु Hindu Religious and Charitable Endowments Act 1959 क्या है? इसके अंतर्गत गठित सलाहकार कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर एमके स्टालिन की नियुक्ति से हिंदुओं को क्या हानि होगी? दरअसल, इस एक्ट के अंतर्गत तमिलनाडु के 36400 से अधिक मंदिरों, 56 से अधिक मठ और 1700 से अधिक धार्मिक संस्थानों का प्रशासन संभाला जाता है।

अब एमके स्टालिन द्राविड़ मुन्नेत्र कज़्हगम यानि डीएमके के अध्यक्ष होने के साथ-साथ तमिलनाडु के मुख्यमंत्री भी हैं। इसके अलावा वे धुर-हिन्दू विरोधी राजनेता एवं तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री मुथुवेल करुणानिधि के पुत्र भी हैं।

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इसके अलावा जब से डीएमके ने सत्ता संभाली है, तमिलनाडु में हिंदुओं के स्थिति बद से बदतर हो रही है। उदाहरण के लिए कोयम्बटूर में एक के बाद एक सात मंदिरों को बचकाने आधार पर स्टालिन प्रशासन ने ध्वस्त करा दिया, लेकिन ईसाई माफिया द्वारा कब्जे में की गई वज्रगिरी के पहाड़ को मुक्त करने में इसी प्रशासन को सांप सूंघ गए।

TFI पोस्ट के विश्लेषण के अंश अनुसार,

“कुमारसामी नगर निगम का कहना है कि झील के आस-पास करीब 31.25 करोड़ रुपए के खर्च से विकास परियोजनाएं प्रस्तावित हैं और ये मंदिर अवैध निर्माण के तहत बनाए गए हैं, इसलिए इन्हें तोड़ दिया है। खबरों के मुताबिक कार्यकारी अभियंता एस. रविचंद्रन और सहायक नगर योजना अधिकारी के. सत्य की देखरेख में बुलडोजर और टैंकों की मदद से अम्मान कोविल, बन्नारी अम्मन कोविल, अंगला परमेश्वरी, करुपरायण कोविल, मुनीस्वरन कोविल और कुछ अन्य मंदिरों को ध्वस्त कर दिया। गौरतलब है कि विकास परियोजनाओं के नाम पर पहले ही 2,400 परिवारों को बेघर करते हुए उनके मकानों पर बुलडोजर चलवाए जा चुके हैं।”

ठीक इसी प्रकार से जब स्टालिन की नियुक्ति के विरुद्ध जनहित याचिका दायर की गई, तो उसे ये कहकर रद्द कर दिया गया कि यह मुकदमा विद्वेष के दृष्टि से किया गया है। इतना ही नहीं, याचिकाकर्ताओं पर अन्य किसी भी प्रकार का मुकदमा दायर करने की छूट को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने उक्त याचिकाकर्ताओं पर पाँच वर्षों का प्रतिबंध लगाया है।

जिस प्रकार से एमके स्टालिन ने समय-समय पर सनातन धर्म का अपमान किया है, और जिस प्रकार से वे अपने पिता करुणानिधि के आदर्शों पर चलते आए हैं, जो स्वयं हिन्दू विरोधी थे, उससे स्पष्ट होता है कि उनका मंदिर एड्वाइज़री कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर चुना जाना ही तमिलनाडु के हिंदुओं के लिए खतरे की घंटी है।

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