भारत सरकार की महत्वाकांक्षी PLI योजना का प्रत्यक्ष प्रभाव इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर देखने को मिल रहा है। एक और जहां एप्पल और सैमसंग जैसी बड़ी कंपनियां भारत में निवेश के माहौल को देखते हुए अपनी विनिर्माण इकाइयों को स्थापित कर रही है। वहीं, भारत सरकार भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में भारत की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए PLI योजना के भीतर कई देशी विदेशी कंपनियों को विशेष सुविधाएं और छूट दे ही है। इसी क्रम में ताइवान की आईफोन से संबंधित उपकरण बनाने वाली कंपनी Wistron ने दिल्ली स्थित भारतीय कंपनी, ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, के साथ 30 बिलियन डॉलर का समझौता किया है। दोनों कंपनियां भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स से संबंधित कई प्रकार के उपकरण बनाएंगी। इसके अंतर्गत भारत में मोबाइल फोन, लैपटॉप, आटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स गाड़ियों से संबंधित उपकरण तथा अन्य आईटी संबंधित उपकरण बनाए जाएंगे।
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ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड इस समझौते के अंतर्गत अगले 3 से 5 वर्षों में 1350 करोड़ का निवेश करेगा। आईटी उत्पादों के जरिए OEL को 38000 करोड़ रुपए का लाभ होने की संभावना है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके पूर्व ऑप्टिमस इंफ्राकॉम लिमिटेड (Optiemus Infracom Ltd.) ने Wistron के साथ सफलतापूर्वक एक ज्वाइंट वेंचर चलाया है। ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ऑप्टिमस इंफ्राकॉम लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है और ऑप्टिमस इंफ्राकॉम लिमिटेड ने ही ए गुरुराज को ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (ओईएल) के प्रबंध निदेशक के रूप में नियुक्त किया था।
हालांकि, बाद में दोनों कंपनियों के आपसी समझौते के बाद ज्वाइंट वेंचर का पूरा स्वामित्व OIL को मिल गया था। पुराने ज्वाइंट वेंचर के बंद होने का एक कारण यह था कि HTC और ब्लैकबेरी जैसी कंपनियों के बड़े क्लाइंट भारत के मोबाइल फोन मार्केट से बाहर हो गए थे। देसी कंपनी के ज्वाइंट वेंचर के पिछड़ने का कारण यही था कि पूर्ववर्ती सरकार ने मोबाइल फोन के बाजार में चीनी कंपनियों के बढ़ते वर्चस्व को गंभीरता से न लेते हुए इसकी उपेक्षा कर दी।
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ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर ए गुरुराज ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि “वैश्विक अर्थव्यवस्था को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत की ओर झुकाव बढ़ रहा है और भारत सरकार पीएलआई जैसी योजना लेकर आई है। इस कारण साथ मिलकर काम करने का विचार उचित प्रतीत होता है। Wistron के पास भारत को लेकर एक अलग दृष्टिकोण है और अब हम भी अपने पुराने संबंधों को पुनर्जीवित कर रहे हैं। हम पहले ही अपने विचारों और अपने अनुभव को एक दूसरे के साथ साझा कर रहे हैं।”
गुरुराज की बातों से यह स्पष्ट है कि भारतीय कंपनियों में अब यह विश्वास जाग रहा है कि भारत सरकार की योजनाओं के कारण अब उन्हें भी वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा नाम बनने के अवसर प्राप्त हो सकते हैं। ऐसा नहीं है कि पूर्व में भारतीय कंपनियों के पास योग्यता की कमी थी। अकुशल आर्थिक नीतियों के कारण भारत मल्टीनेशनल कंपनियों का बाजार बनकर रह गया, जबकि भारत के पास सदैव ही ग्लोबल सप्लाई चेन का महत्वपूर्ण अंग बनने की क्षमता थी।
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एक अनुमान के अनुसार Dell, Lava, Dixon, Wistron और Foxconn जैसी बड़ी कंपनियों को जल्द ही पीएलआई योजना के तहत भारत में व्यापारिक गतिविधियां संचालित करने के लिए आधिकारिक अनुमति मिल जाएगी। इसके कारण अगले 4 वर्षों में आईटी सेक्टर की 14 कंपनियां हैं जो भारत में 36000 लोगों के लिए प्रत्यक्ष नौकरी उपलब्ध करवा देंगी। इसके अतिरिक्त आईटी सेक्टर के उत्पादन में कुल 1.61 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी होने की संभावना व्यक्त की जा रही।
आईटी सेक्टर के अतिरिक्त फूड प्रोसेसिंग से लेकर लोह निर्माण उद्योग तक कई ऐसे क्षेत्र है जहां पर भारत सरकार द्वारा पीएलआई योजना लागू की जा रही है। भारत सरकार की योजना 2025 तक भारत के निर्यात को एक ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ाने की है। पीएलआई योजना की सफलता भारत को उसके महत्वकांक्षी लक्ष्य तक पहुंचाने में मुख्य भूमिका निभाने वाली है।